ऑपरेशन कायाकल्प

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मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में परिषदीय विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के संतृप्तीकरण संबंधी प्रस्तुतीकरण किया गया।

लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में परिषदीय विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के संतृप्तीकरण संबंधी प्रस्तुतीकरण किया गया।मुख्य सचिव ने कहा कि ऑपरेशन कायाकल्प 2.0 के अंतर्गत प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के अनुकूल फर्नीचर जैसे टेबल, बेंच आदि उपलब्ध कराया जाए। समस्त प्राथमिक विद्यालयों को स्मार्ट विद्यालयों के रुप में विकसित किया जाए।

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इसके अलावा मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालय के अंतर्गत प्रत्येक विकास खंड में 4 से 5 कम्पोजिट विद्यालय का चरणबद्ध तरीके से आधुनिकीरण कराया जाए, क्लास में कौशल विकास के दृष्टिगत् स्किल हब सेंटर संचालित किया जाए। दीक्षा एवं निष्ठा जैसे कार्यक्रमों के द्वारा स्कूल लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम के माध्यम से शिक्षकों का क्षमता संवर्द्धन किया जाए। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए आत्म रक्षा शिविर का भी  आयोजन किया जाए


           मुख्य सचिव ने कहा आगामी 3 वर्षों में समस्त प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों में फर्नीचर की उपलब्धता के लिए राज्य बजट में प्रति वर्ष रुपये 800 करोड़ का प्राविधान किया जाए। विद्यालयों में स्थायी विद्युत संयोजन के लिए विद्युत विभाग को अतिरिक्त बजट प्रदान करने पर उन्होंने सहमति दी। उन्होंने नेडा के माध्यम से वैकल्पिक ऊर्जा के रुप में सोलर पैनल स्थापित कराये जाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि नल-जल सुविधा से शत-प्रतिशत विद्यालयों को जल निगम के माध्यम से प्राथमिकता से संतृप्त किये जाने के निर्देश दिए गये हैं। उन्होंने कार्यक्रम कायाकल्प के माध्यम से किये गये कार्यों की प्रशंसा की तथा नगरीय क्षेत्र में अवस्थित समस्त परिषदीय विद्यालयों को माह सितम्बर 2023 तक सुदृढ़ीकरण के साथ ही समस्त मूलभूत अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये।बैठक में प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव, जल निगम के एमडी अनिल कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद समेत सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।

श्रमिकों के बच्चो के लिए शुरू हुई ‘‘सचल पालना गृह योजना’’ घोटाले की भेंट चढ़ गई।  लगभग 6 वर्ष के अधिक हो गये सीबीआई अभी तक इस घोटाले की जांच कर रही है। घोटाले में लिप्त अफंसरों, कर्मियों के खिलाफ अभियोजन मंजूरी अभी तक नहीं दी गई।उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय ने आगे बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर सचल पालना गृह योजना में करोड़ो रूपये के हुए फर्जीवाडे़ की जांच शुरू हुई थी तथा सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन मंजूरी मांगी थी, लेकिन अभी तक श्रमिकों के बच्चों का हक ड़कारने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार को सीबीआई को मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी नहीं दी गई। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

महिला कल्याण निदेशक व बोर्ड के प्रशासक के कई कर्मचारियों के खिलाफ भी मंजूरियां मांगी गई थी उन्हें भी मंजूरी नहीं दी गई। इस घोटाले में सैकड़ो स्वयं सेवी संस्थाओं की भूमिका भी संदिग्ध रही है जो जांच के घेरे में हैं तथा कई को ब्लैकलिस्टेड करने की भी सिफारिश की गई है, लेकिन सब लीपा पोती के दायरें में चल रहे हैं। कृष्ण्कांत पाण्डेय ने आगे कहा कि ज्ञात हो कि मजदूरों के बच्चों की देख भाल तथा शिक्षा के लिए सचल पालना गृह योजन की शुरूआत हुई थी जिसके तहत विशेष रूप से महिला श्रमिकों के कार्यस्थल के स्थान पर बच्चों को खेलने खाने और सोने की व्यवस्था होनी थी, जो उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में होनी थी जिसमें 6 साल तक के बच्चे पात्र थे। इसमें भी रजिस्टरों में बच्चों की मौजूदगी ज्यादा दिखाकर फर्जीवाड़ा किया जाना सामने आया।श्री पाण्डेय ने आगे बताया कि वर्ष 2013 में कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार के समय में यह योजना शुरू हुई थी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को पहली किस्त के रूप में 68 करोड़ रूपये दिये गये थे।अंत में श्री पाण्डेय ने कहा कि सरकार द्वारा श्रमिकों के बच्चों का हक मारने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी न देना कहीं न कहीं अधिकारियों और कर्मियों को बचाने का कुप्रयास है। यह इस सरकार की मजदूर विरोधी मंशा को दर्शाता है।  

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