कांग्रेस दफ्तर पर पुलिस का हमला लोकतंत्र के लिए शर्मनाक- प्रमोद तिवारी

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  • हेरल्ड समेत उन कई मामलों की जांच जे.पी.सी. करे जिन्हें बीजेपी ने दबाया।कांग्रेस दफ्तर पर पुलिस का हमला लोकतंत्र के लिए शर्मनाक।

लखनऊ। प्रमोद तिवारी, सांसद, राज्यसभा, एवं सदस्य, केंद्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी, ने कहा है कि कल भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे शर्मनाक दिन था जब मुख्य विरोधी दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड, नई दिल्ली में जाकर दिल्ली पुलिस ने, जो केंद्र सरकार के अधीन है, उसने वहां कांग्रेस के नेताओं को मारा था-पीटा था और अपमानित किया था।

आजादी के बाद की यह सबसे शर्मनाक घटना है जिस तरह बर्बरता पूर्वक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मारा-पीटा गया और अपमानित किया गया वह वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा बदले की भावना की गई शर्मनाक व निंदनीय कार्यवाही है।

श्री तिवारी ने कहा कि इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन करता हूं कि माननीय श्री राहुल गांधी जी ईडी का सहयोग नहीं कर रहे हैं, वह तो स्वयं जा रहे हैं। बिना कोई आरोप मेरा आग्रह है कि एक पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन कर लिया जाए, जिसमें सभी दलों के माननीय सांसद हों, नीचे दिए गए मुद्दों पर एवं ईडी के प्रकरण की भी निष्पक्ष जांच कराने के लिए क्या केंद्र सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय जाकर इन सभी मुद्दों पर जांच कराने का अनुरोध करेगी-

  1. हाल ही में श्रीलंका में इलेक्ट्रिकल बोर्ड के चेयरमैन ने संसदीय समिति के सामने खुलासा किया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अडानी को पावर प्लांट का कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए कहा था और उस क्लाज को जिसमें प्रतिस्पर्धात्मक बोली की बात थी, किनारे कर दिया गया था।
  2. माननीय प्रधानमंत्री जी काबुल से आते समय रास्ते में लाहौर पाकिस्तान उतरे/रुके थे और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नवाज शरीफ जी से गले मिले थे, उनके घर गए थे। पत्रकार बरखा दत्त जी ने अपनी पुस्तक The unquiet land- Stories from India’s Fault Lines में खुलासा किया है कि यह मीटिंग श्री संजय जिंदल जी ने करवाई थी।
  3. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंरक्विस ओलैण्ड जी ने अनिल अंबानी को चुना था उन्होंने उसी पार्टनर को चुना जिसको भारत सरकार ने लिया था।  स्मरणीय है कि यह डील माननीय प्रधानमंत्री जी व मिस्टर ओलैण्ड के बीच सीधे हुई थी। इसमें रक्षा मंत्री को शामिल नहीं किया गया था।स्विटजरलैण्ड में चौकसी भाई प्रधानमंत्री से मिले थे  यह वही चौकसी भाई हैं जिन्हें प्रधानमंत्री ने भाई और मित्र कहा था और बाद में वे बीस हजार करोड़ रूपये लेकर फरार हो गये थे।