सियासत ने अजीब हाल कर दिया..!

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आरक्षण से बढ़ी सियासी हलचल
आरक्षण से बढ़ी सियासी हलचल

भारतीय सियासत ने अजीब हाल कर दिया है मानव क़ौम का आज़ादी से पहले उसका सिर्फ एक ही दुश्मन था। जिससे वतन को आज़ाद कराने के लिए क़ौम के हज़ारों बेटों ने अपनी जानों के नज़राने पेश किये थे। अपने मुल्क़ को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद करके की दम लिया था। सोचा था अब दुश्मन चले गए। अब देश में अमन कायम होगा।उन्नति एवं तरक्की के रास्ते खुलेंगे।देश में भाईचारे का माहौल होगा। आजादी के 75 सालों के बाद वही खुद को अपने ही देश मे सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। बचपन से हम ये बात सुनते आए हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई। मगर इस बात को सियासत नही मानती। क्या सियासत चाहती है कि नफरत का परचम बुलंद रहे…? सियासत में विरासत के सहारे चुनावी जंग लडऩे की बात नई नहीं है।

एक बुरा दौर आया है टल जायेगा,

वक़्त का क्या है एक दिन बदल जायेगा

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अब जरा कल्पना करें कि सत्तारूढ़ भाजपा बल्लेबाजी की क्रीज पर है और कांग्रेस विपक्ष में फील्डिंग कर रही है। फिर ऊपर बताए गए रूपक का इस्तेमाल करें तो कांग्रेस ने हाल ही में सिटर का पूरा ओवर बर्बाद कर दिया है। अच्छी तरह जमी हुई भाजपा को राजनीतिक रूप से कई कमजोर क्षणों का सामना करना पड़ा है। आंख-कान खुले रखने वाला कोई भी विपक्ष होता तो ये आसान कैच लेकर सरकार की राजनीतिक पूंजी के कुछ हिस्से को उड़ा देता। खेद की बात है कि कांग्रेस ने तो सिटर का पूरा ओवर ही गंवा दिया। कांग्रेेस ने मुख्यत: अपना काम न करके जो आसान कैच गिराए उनकी चर्चा करते हैं। कुछ कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कमेंट किए लेकिन, उनके नेता राहुल (जो पहले ही घटती विश्वसनीयता से पीड़ित हैं) की तरफ से प्रतिक्रिया देरी से हुई, वह दबी हुई थी और सटीक व तीखी नहीं थी।

क्रिकेट में एक शब्द है ‘सिटर। ‘यह सबसे आसान, सीधा और फील्डर के हाथ से न छूटने वाला कैच होता है।’ साइट पर आगे कहा गया है, ‘ऐसा कोई कैच छोड़ना भीड़ से अपने लिए लानतों का सैलाब आमंत्रित करना और विशाल रिप्ले स्क्रीन पर लगातार शर्मिंदगी झेलना है।

आज सियासत इतनी गन्दी और बांटने वाली हो गई है के अपने फायदे के लिए बच्चों के अंदर तक ज़हर भर कर उनका धर्म और जाति में बांट दिया गया है ये बढ़ती नफरत एक दूसरे के प्रति अविश्वास देश को कमजोर ही करेगी लेकिन लोग समझ नहीं रहे और नेताओं को तो खैर इससे फायदा ही हो रहा है वो क्यों फिक्र करने लगे। इसी देश में सदियों से लोग अपने अपने ढंग से इबादत करते आए हैं और दूसरे लोग उनको सम्मान के साथ सहयोग भी करते आए हैं। फिर आज ऐसा क्या हो गया जो अचानक से सबको दिक्कत होने लगी है ? बचपन से ये बात सुनते आए हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई मगर इस बात को सियासत नही मानती सियासत चाहती है कि नफरत का परचम बुलंद रहे।

विरासत की सियासत पर राजनीतिक दलों का भरोसा पहले के मुकाबले बढ़ा है।विरासत की राजनीति लगभग सभी प्रमुख दल खेला करते हैं। आज भारतीय सियासत की व्यवस्था बदली नज़र आती है। हमारे यहां संविधान में संसदीय शासन की व्यवस्था की गई है। विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका के मध्य शक्तियों एवं कार्यों का विभाजन है। हमारे यहाँ कानून निर्माण में विधायिका सर्वोच्च है।आज राज्यों में विधायिका और कार्यपालिका की पूरी शक्ति मुख्यमंत्रियों में ही समाहित हो गई हैं। हमारे देश में पार्टी नहीं अपितु चेहरों का शासन हो रहा है। जैसे शिवराज सरकार,अखिलेश सरकार,कमलनाथ सरकार, योगी सरकार, रमन सरकार, खट्टर सरकार।यह नई राजनीतिक संस्कृति एक बड़ा संवैधानिक नुकसान भी कर रही है। धीरे-धीरे यह राज्यों में विधायिका का महत्व कम कर रही है। सियासत ने अजीब हाल कर दिया..!