मणिपुर की घटना से देश हुआ शर्मसार-प्रमोद तिवारी

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भाजपा सांसद का अल्पसंख्यकों के खिलाफ शर्मनाक बयान-प्रमोद तिवारी
भाजपा सांसद का अल्पसंख्यकों के खिलाफ शर्मनाक बयान-प्रमोद तिवारी

प्रमोद तिवारी कांग्रेस सांसद एवं उप नेता राज्य सभा केन्द्रीय कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी ने कहा है कि मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जो अमानवीय और शर्मसार कर देने वाली घटना घटी है उस घटना ने शर्म से देश का सिर झुका दिया है। पीड़ा से पूर्वोत्तर सहित पूरा देश जल रहा है। देश में ऐसी हृृदय विदारक घटना शायद पहले कभी नहीं हुई होगी। प्रधानमंत्री अहंकार छोंड़िये, और पूरी शक्ति के साथ मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिये निर्देष दीजिये, इस घटना से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी गुस्सा है, मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जिस तरह सामूहिक बलात्कार हुआ, उनकी नग्न परेड करायी गयी, उन्हें नोचा खसोटा गया यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है, इस घटना ने देश वासियों का सिर शर्म से झुका दिया है। मणिपुर की घटना से देश हुआ शर्मसार-प्रमोद तिवारी

श्री तिवारी ने सवाल करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री जी.. ! हम किस युग में आ गये हैं…? क्या आजाद भारत में महिलाओं के साथ ऐसी अमानवीय घटना होने की भी कभी किसी ने कल्पना की होगी ? उस पर भी मणिपुर के माननीय मुख्यमन्त्री जी का यह कहना कि ‘‘ऐसी घटनायें तो मणिपुर में सैकड़ों हुई है।’’ जिन दोनों महिलाओं के साथ यह अमानवीय घटना हुई उसमें से एक महिला के पति, जिसने कारगिल युद्ध में देश की रक्षा की हो, जिसने श्रीलंका में जाकर भारत का मान बढ़ाया हो, उस जवान का यह कहना कि ‘‘मैने कारगिल तो बचा लिया किन्तु अपनी पत्नी, अपने बच्चों और अपने गांव को नहीं बचा पाये, यह कितनी पीडा़दायक है…? वहां पर पाँच- सात की बच्चियों को नहीं बख्शा गया- 80 साल की बुजुर्ग महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। यह हमें बंगला देश की याद दिलाता है- ‘‘बंगला देश मुक्ति संग्राम’’ के समय पाकिस्तानी सेना ने वहां जो अमानवीय कृृत्य किया था – मणिपुर की घटना उसी की याद दिलाता है । मणिपुर की इस घटना से हम सबका सिर शर्म से झुक जाता है और माननीय प्रधानमंत्री जी आपका भी सिर शर्म से झुकना चाहिए…।

प्रधानमंत्री जी साहस जुटाईये और पूरी शक्ति के साथ इसे रोकिये,आप 78 दिन खामोश रहे, आपने मणिपुर का नाम भी नहीं लिया, जब इतिहास पढ़ा जायेगा तो याद रखिये एक द्रौपदी के चीरहरण ने कुरुक्षेत्र में महाभारत कराया था, और कौरवों की इतनी बड़ी सेना एक अबला के श्राप से पराजित हुई थी,और पाण्डव विजयी हुये थे, ‘‘गीता’’ पढ़ लीजिये – इतिहास अपने को दोहराता है ।श्री तिवारी ने कहा है कि मणिपुर की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो बार विदेश जा चुके है किन्तु अपने देश में मणिपुर जाने के लिये वे समय नहीं निकाल पाये, अथवा उन्हें ऐसा लगा कि यह इतनी महत्वपूर्ण घटना नहीं है, और मणिपुर नहीं गये । मणिपुर जाना तो दूर की बात मणिपुर का उन्होंने नाम तक नहीं लिया जबकि माह मई से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। प्रधानमंत्री जी स्वयं कई बार अपने भाषणों में कह चुके हैं कि आपके साथ, पूर्वोत्तर राज्यों के साथ बड़ा सौतेला व्यवहार होता रहा है । तो क्या मणिपुर देश का हिस्सा नहीं है ? आप जिक्र करें या न करें, किन्तु जब आप विदेश गये थे तो विदेश के सांसदों ने आपसे यह सवाल पुँछा था ।

श्री तिवारी ने कहा कि यह घटना 4 मई, 2023 की है, 21 जून को एफ.आई.आर.दर्ज हुई । प्रधानमंत्री जी के मणिपुर न जाने पर मुझे एक बार कहावत याद आती है कि ‘‘जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था।’’ आप इतिहास छुपा सकते हैं झुंठला नहीं सकते। हमें अपने नेता राहुल गाँधी जी पर गर्व है कि तमाम व्यवधान के बीच भी वह मणिपुर गये, उन्हें रोकने की तमाम कोषिषें हुई किन्तु वे गये, वे लोगों के दुःख दर्द में शामिल हुये । वहां पर हर समुदाय के लोगों ने उन्हें गले लगाया। एक बड़ा सवाल यहां यह भी है कि देश के गृृहमंत्री अमित शाह चाणक्य कहे जाते हैं- वे तीन दिन मणिपुर में रहे, और उनका कहना है कि उन्होंने सबसे वार्ता कर ली है, किन्तु यहां यह सवाल उठता है कि या तो गृृह मन्त्री जी को इस घटना की जानकारी नही दी गयी या उन्हें जानकारी दी गयी तो उन्होंने इस घटना की जानकारी देश को नहीं दी, यह मैं देशवासियों पर छोंड़ता हूँ । क्या यह इतनी बडी घटना नहीं थी जिसे देश वासियों से साझा की जाय, और भविष्य में ऐसी घटना न हो इसे रोका जाय।

भीषण गर्मी में इस समय पर्याप्त मात्रा में बिजली की आपूर्ति न होने के कारण पूरे प्रदेश में भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं, शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचल तक में त्राहि- त्राहि मची हुई है । इस समय खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई हो रही है, ऐसे समय में एक तरफ जहां बरसात नही हो रही है वहीं दूसरी तरफ किसानों को बिजली नहीं मिल रही है, ऐसे में धान की रोपाई प्रभावित हो रही है जिसका प्रतिकूल प्रभाव उत्पादन पर पड़ेगा । बरसात न होने से और पर्याप्त बिजली न मिलने से किसानों के सामने गम्भीर समस्या बनी हुई है, उनके फसल की रोपाई नहीं हो पा रही है । नेषनल ग्रिड में पर्याप्त बिजली उपलब्ध है, सरकार वहां से बिजली खरीदे और पर्याप्त मात्रा में बिजली की आपूर्ति सुनिष्चित करे। एक तरफ आपका केन्द्रीय आयोग कह रहा है कि देश 40 साल में सबसे अधिक बेरोजगारी का सामना कर रहा है, तो दूसरी तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी आपने प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियां देने का वायदा किया था, जबकि सच्चाई यह है कि रेलवे सहित कई अन्य विभागों में लगभग 4 लाख पद खाली हैं। कोरोनो काल में जो लोग रोजगार से थे और कार्यरत स्थानों से वापस आये थे उन्हें दोबारा रोजगार नहीं मिल रहा है। लाखों लोग बेरोजगार हो गये हैं, जिनके सामने परिवार के भरण पोषण की समस्या उत्पन्न हो गयी है।

कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुये कहा कि जितनी नौकरियां उनके कार्यकाल में दी गयी हों, और जितने लोग सेवा निवृृत्त हुये हों, उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। अपने वायदो के मुताबिक प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियां देने के हिसाब से 18 करोड़ नौकरियों के सापेक्ष, जितनी नौकरियां दी गयी हों और जितने सेवा निवृृत्त हुये हो- दोनों की सूची देश के सामने क्यों नहीं सार्वजनिक करते…? श्री तिवारी ने जोर देते हुये कहा है कि यदि सबके सामने मेरे आरोप गलत साबित हुये तो मैं सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करूंगा, और यदि मेरे आरोप सही साबित हुये तो माननीय प्रधानमंत्री जी स्वयं सार्वजनिक रूप से देश से क्षमा याचना करें । भारत के संविधान के अनुच्छेद- 75 के अनुसार प्रधानमंत्री और मंत्रि परिषद सामूहिक रूप से सदन के प्रति उत्तरदायी होता है। किन्तु माननीय प्रधानमंत्री जी संसद में आते नहीं, संसद के बाहर सीढ़ियों पर बयान देते हैं। क्या इससे सदन की और संविधान के अनुच्छेद- 75 की अवमानना नहीं होती है…? मणिपुर की घटना से देश हुआ शर्मसार-प्रमोद तिवारी