प्रसपा जातीय व आर्थिक जनगणना की पक्षधर

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राजनैतिक-आर्थिक प्रस्ताव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) प्रदेश कार्यकारिणी सम्मेलन साथियों, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की प्रांतीय इकाई अथवा कार्यकारिणी अपने शीर्ष नेतृत्व के प्रति सम्यक मार्गदर्शन तथा आदित्य यादव के रूप में कर्मठ, कटिबद्ध, युवा, युगानुरूप, गतिशील व सामर्थ्यवान अध्यक्ष देने के लिए समवेत स्वर में आभार प्रकट करती है। प्रसपा कार्यकारिणी कालजयी क्रांतिधर्मी चिन्तक राममनोहर लोहिया व लोकनायक जयप्रकाश नारायण सदृश महामानवों के वैचारिक विरासत के वाहक शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में प्रतिबद्ध आस्था अभिव्यक्त करते हुए समावेशी राष्ट्रीयता, प्रगतिशील समाजवाद के साथ-साथ सामाजिक न्याय के सिद्धान्त को मूर्त-रूप देने के लिए संकल्पबद्ध है।


प्रसपा प्रांतीय कार्यकारिणी प्रस्ताव करती है कि बेहतर राजनीतिक विकल्प के लिए किसी भी अन्य दल से किसी भी प्रकार के गठबंधन के संदर्भ में सभी निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी लेंगे। प्रांतीय कार्यकारिणी उनके निर्णय को सहर्ष-साकार भाव से स्वीकार करेगी। कार्यकारिणी जनसंवाद के विभिन्न मंचों व माध्यमों से किसानों, गरीबों, कमजोरांे, बेरोजगारों व पीड़ित नारियों की समस्याओं, वेदना, व्यथा, दर्द व दंश को सशक्त स्वर देने के लिए अपने सर्वमान्य नेता शिवपाल सिंह को साधुवाद देती है। सर्वविदित तथ्य है कि 18वीं विधानसभा के गठन के बाद बेरोजगारी, युवाओं के आर्थिक शोषण तथा संविदाकर्मियों के सवाल पर गलत नीतियों के विरुद्ध धरने पर बैठने वाले प्रथम पंक्ति के नेताओं में अग्रगण्य लोकबन्धु राजनारायण व नेताजी मुलायम सिंह की परम्परा के अग्रदूत एवं छोटे लेहिया जनेश्वर मिश्र के शिष्य शिवपाल जी ही हैं।


प्रसपा की प्रांतीय कार्यकारिणी ने 07 अक्टूबर 2020 को आहुत बैठक में ’’हर घर से एक व्यक्ति को रोजगार दिलाने’’ का संकल्प पास किया था। शिवपाल जी ने इस संकल्प को जन-स्वर दिया फलस्वरूप माननीय मुख्यमंत्री ’’हर परिवार से एक बेटा अथवा बेटी’’ को नौकरी देने की घोषणा सार्वजनिक मंचों से कर रहे हैं। प्रसपा मांग करती है कि सरकार श्वेत-पत्र जारी कर बतलाये कि रोजगार देने की कार्ययोजना का प्रारूप अथवा रोड़मैप क्या है? सरकार ने कई बार सार्वजनिक रूप से संविदाकर्मियों को स्थाई सेवा प्रदान करने का आश्वासन दिया है किन्तु कम बजट की दुहाई देकर स्थाई सेवाओें को भी संविदा पर आधारित करती जा रही है। प्रसपा केन्द्र सरकार से सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश यूपी के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करती है। शिक्षा, चिकित्सा, बिजली व पेय जल की सुविधा को सुलभ व सस्ता, हो सके तो निःशुल्क किया जाय। अनिवार्यतः गरीबों को तीनों निःशुल्क उपलब्ध कराकर लोककल्याणकारी राज्य का उदाहरण प्रस्तुत किया जाए। प्रसपा हर उस व्यवस्था का प्रतिकार करेगी जो गरीबों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करने के कुत्सित सोच के फलस्वरूप और कुछ लोगों को ही लाभ पहुंचाने के षडयंत्र के तहत होगी।


प्रसपा की कार्यकारिणी सामाजिक न्याय की उदात्त अवधारणा में विश्वास प्रकट करते हुए लोहिया के विशेष अवसर के सिद्धान्त पर आधारित बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल आयोग, न्यायमूर्ति रजिन्दर सच्चर आयोग तथा न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र आयोग की संस्तुतियों को शीघ्रातिशीघ्र दृढ़तापूर्वक लागू करने को ख्ुाली पैरवी करती है ताकि पिछड़ांे, अल्पसंख्यकों, व वंचित वर्गों का समुचित सशक्तीकरण हो और देश-प्रदेश में व्याप्त अवांछित-अतिरंजित-अनावश्यक असमानता कम हो। उत्तर प्रदेश का प्रशासनिक तंत्र जड़ व भ्रष्टाचार की सर्वग्रासी पकड़ में हैं। लोकशाही धीरे-धीरे पंगु व आभाहीन होती जा रही है। निरंकुश नौकरशाही आम जनता से मध्ययुगीन सामंतों व ब्रिटानिया हुकूमत के दौर के जमीन्दारों जैसा बर्ताव कर रही है। कार्यकारिणी चिन्ता व्यक्त करती है कि थानों व सरकारी दफ्तरों मे सम्मानित जनता को छोड़िए जनप्रतिनिधियों तक की वाजिब बातें नहीं सुनी जाती। प्रशासनिक भ्रष्टाचार व निरंकुशता के विरुद्ध प्रसपा की प्रांतीय इकाई आहिंसक लोकतांत्रिक आंदोलन की आवश्यकता को अपरिहार्य मानती है। भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा निर्गत अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार सुशासन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश 18 बड़े प्रंातों की रैंकिग में 17वें स्थान पर है। नौकरशाही को जवाबदेय, पारदर्शी व जनोन्मुखी बनाने के लिए संथानम् समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को प्रांतीय कार्यकारिणी दोहराती है। उत्तर प्रदेश देश ही नही दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दी भाषा प्रांत है।

प्रसपा की प्रांतीय इकाई भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की सबसे बड़ी व महान वाहक हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ में आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की वैश्विक मांग का प्रतिबद्ध समर्थन करती है। उत्तर प्रदेश विधान सभा व विधान परिषद द्वारा इस आशय का प्रस्ताव पारित होना चाहिए। हमें गर्व है कि हिन्दी के पक्ष में हमारे नेता शिववाल जी ने 3 अक्टूबर 2019 को उत्तर प्रदेश विधान सभा में हिन्दी की आवाज व परचम को बुलंद किया । सभी माननीय सदस्यों द्वारा करतल-ध्वनि से समर्थन के बावजूद कोई सार्थक कदम का न उठना दुःखद है। प्रसपा हिन्दी व हिन्दी-भाषियों के साथ सदैव खड़ी रहेगी। हम भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने के वैश्विक अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए माननीय प्रधानमंत्री व परराष्ट्र मंत्री महोदय से इस दिशा में दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ने की अपील करते हैं। प्रसपा की प्रांतीय कार्यकारिणी उन कुत्सित व संकुचित सोच वाली शक्तियों को आगाह करती है जो योगेश्वर कृष्ण, प्रभु-राम व भगवान शिव के नाम लेकर साम्प्रदायिकता व वर्गीय वैमनस्यता का विष-विमन कर रही हैं। ये तीनों भारतीय एकता व आत्मा के देवता है। इनके नाम पर संकीर्णता फैलाने की अनुमति किसी को नही जा सकती। कविश्रेष्ठ तुलसीदास के राम ही अल्लामा के ’’इमाम-ए-हिन्द’’ हैं। मीरा व सूर के कृष्ण ही रसखान के मोहन मुरलीधर है। सर्वविदित है कि भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के आराध्य भगवान शिव हैं।

भारत में राम-कृष्ण-शिव, राष्ट्रीयता व सांस्कृतिक उदारता को कट्टरता के ढांचे में ढालना सर्वग्रासी होगा। प्रसपा कार्यकारिणी देश और उत्तर प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य विशेषकर प्रतिव्यक्ति आय में पिछड़ापन, आर्थिक असंतुलन व बढ़ते कर्ज के लेकर चिंतित है। देश की प्रति व्यक्ति आय मात्र एक लाख 49 हजार 848 रुपये (2601 डालर) है। भारत इस लिहाज से 158 देशों में पीछे है। भारत मंे उत्तर प्रदेश प्रति व्यक्ति आय के दृष्टिकोण से 32वें स्थान पर सिर्फ बिहार से ऊपर है। प्रदेश की औसत आमदनी चालू कीमतों पर 81 हजार 398 रुपये है जो भारत की प्रति व्यक्ति आय से 68 हजार 450 रुपये और पड़ोसी प्रांत दिल्ली से 3 लाख 20 हजार 548 रुपये कम है। उत्तर प्रदेश में व्याप्त क्षेत्रीय आर्थिक असंतुलन की ओर कार्यकारिणी ध्यान ध्यान आकर्षित करना चाहती है। यूपी के सबसे धनी जिला गौतमबुद्धनगर (नोएडा) की प्रतिव्यक्ति आय (6.71 लाख रुपये) सबसे गरीब जिला बलरामपुर की औसत आमदनी से (32305रु0) से 21 गुना अधिक है। सार्वजनिक कर्ज की स्थिति देश व प्रदेश में भयावह स्तर पर है।

भारत 620.7 अरब डालर के कर्ज में है जो पूरे बजट का 19.9 फीसदी है। उत्तर प्रदेश की ऋणग्रस्तता सकल घरेलू उत्पाद की 32.5 प्रतिशत है। प्रसपा की प्रांतीय इकाई श्रम गहन उद्योगों, लघु व कुटीर उद्योगों पर आधारित विकेन्द्रीकरण की आर्थिक नीतियों की खुली वकालत करती है ताकि अधिकाधिक लोगों को रोजगार मिले और विषमता की खाई कम हो।प्रसपा जातीय व आर्थिक जनगणना की सिफारिश करती है जिससे जो आर्थिक नीतियां बनें, वे पारदर्शी व प्रभावशाली हों। प्रसपा की प्रांतीय कार्यकारिणी पूरी शक्ति के साथ नगर-निकायों के चुनावों में सहभाग करने की इच्छा रखती है और अपने शीर्ष नेतृत्व को आश्वस्त करती है कि इन चुनावों के परिणाम प्रसपा के हित में होंगे।मित्रों, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की प्रांतीय कार्यकारिणी संकल्पबद्ध है कि लोक-संघर्ष के किसी भी मोर्चे से लेश-मात्र भी पीछे नहीं हटेगी। आदरणीय शिववाल जी व पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, कार्यकारिणी मनसा-वाचा-कर्मना अनुपालन करेगी।