उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को- प्रियंका गांधी

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हमारी प्रतिज्ञा है कि महिलाएं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से भागीदार होगीं। यह निर्णय प्रयागराज की पारो, सोनभद्र की किस्मत, उन्नाव पीड़िता की भाभी और उसकी नौ साल की बेटी और चंदौली की वैष्णवी के लिए है। यह निर्णय हाथरस पीड़िता की मां, रमन कश्यप की बेटी वैष्णवी, लखनऊ की लक्ष्मी बाल्मीकी तथा सीतापुर की महिला कांस्टेबल मधु और पूजा के लिए है। जो महिलाएं बदलाव, न्याय, एकता और समता चाहती हैं और प्रदेश को आगे बढ़ाना चाहती हैं उनके लिए है यह निर्णय । पूरे प्रदेश से विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक विशेषकर महिलाओं से अगले महीने की 15 तारीख तक लिए जायेंगें आवेदन।


  लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगामी उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा 40 प्रतिशत महिलाओं को उम्मीदवार बनाने की घोषणा के साथ ही प्रदेश की महिलाओं को राजनैतिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में पहली प्रतिज्ञा का ऐलान कर दिया। उन्होंनें ‘‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’’ के उद्घोष के साथ ही प्रदेश की राजनैतिक दिशा बदलने का भी मार्ग प्रशस्त कर दिया है। एक ऐसी राजनीति, जिसमें महिलाओं की सम्मानजनक भागीदारी होगी, उनकी संघर्ष क्षमता एवं शक्ति को सम्मान मिलेगा और राजनैतिक भागीदारी सुनिश्चित होगी।
श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा अपने दो साल से अनवरत जारी उत्तर प्रदेश भ्रमण एवं प्रदेश सरकार के अत्याचार के खिलाफ संघर्ष की राह पर रूबरू तमाम महिलाओंं का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी प्रतिज्ञा है कि महिलाएं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से भागीदार होगीं। आप समाजसेविका है, अध्यापक हैं, एक नौजवान महिला हैं जो अपना भविष्य बनाना चाहतीं हैं, आप प्रेस में हैं अगर आप बदलाव चाहतीं हैं तो इंतजार मत करिए। उन्होंनें महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि राजनीति में आइए, मुझसे कंधे से कंधा मिलाइए और विकास की राजनीति को आगे बढ़ाइए।


उन्होनें 40 प्रतिशत भागीदारी की घोषणा के पीछे की कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘जब मैं 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश प्रचार के लिए आयी थी तो इलाहाबाद युनिवर्सिटी की कुछ लड़कियां मुझसे मिलीं थीं और उन्होंनें मुझसे बताया कि किस तरह से युनिवर्सिटी के नियम कानून उनके लिए अलग थे और पुरूषों के लिए अलग। यह निर्णय उनके लिए है। यह निर्णय उनके लिए है जिसने गंगा यात्रा के दौरान मेरी नाव को वापस तट पर बुलाकर कहा कि मेरे गांव में पाठशाला नहीं है और मैं अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती हूं। यह निर्णय प्रयागराज की उस लड़की ‘‘पारो’’ के लिए है, जिसने मेरा हाथ पकड़कर कहा था कि दीदी मैं नेता बनना चाहती हूं। यह निर्णय चंदौली में शहीद एयरफोर्स के पायलट की बहन वैष्णवी के लिए है जिसने मुझे कहा था कि उनके भाई शहीद हो गये लेकिन वह पायलट बनना चाहती है। यह निर्णय सोनभद्र में उस महिला के लिए है जिसका नाम ‘‘किस्मत’’ है जिसने अपने लोगों के लिए आवाज उठाई, संघर्ष किया और न्याय मांगा। यह निर्णय उन्नाव की उस लड़की के लिए है जिसे जलाया गया, मारा गया, उसकी भाभी के लिए है जो आज भी संघर्ष कर रही है, उसकी भाभी की नौ साल की बेटी के लिए है जिसे स्कूल में धमकाया गया था।

यह निर्णय हाथरस की उस मां के लिए है जिसने मुझे गले लगाकर कहा था कि उसको न्याय चाहिए, उसको न्याय नहीं मिल रहा है। यह निर्णय रमन कश्यप की बेटी के लिए है जिसका नाम भी वैष्णवी है जो बड़े होकर डाक्टर बनना चाहती है। लखीमपुर में एक लड़की मुझसे मिली, मैनें उससे पूछा क्या बनना चाहती हो बड़ी होकर उसने कहा मैं प्रधानमंत्री बनना चाहतीं हूं उसके लिए है यह निर्णय। यह निर्णय लखनऊ की एक बस्ती में लक्ष्मी बाल्मीकी के लिए है जो आईटीआई पढ़ी हैं, बीए किया है, कम्प्यूटर पास किया है, आज तक उसे नौकरी नहीं मिली है। लखीमपुर जाते हुए पुलिस कर्मियों ने मुझे घेर लिया, मुझसे लड़ीं, मैं भी भिड़ गयी उनसे, मुझे जीप में बिठाया, दो महिला कांस्टेबल और दो पुरूष कांस्टेबल के साथ सीतापुर पीएसी कम्पाउण्ड ले गये, उसमें एक का नाम मधु और दूसरे का नाम पूजा था, यह निर्णय उनके लिए भी है, क्योंकि मैं समझ रही थी कि वह सुबह 4 बजे डयूटी पर थीं। उनकी एक अफसर जिनकी पोस्टिंग सीतापुर में थी और उनकी बूढी मां नोएडा में थी।

यह निर्णय लखीमपुर की रितु सिंह के लिए है जिनका ब्लाक प्रमुख चुनाव के दौरान चीरहरण किया गया था। कितना संघर्ष करना होता महिलाओं को, कौन करेगा यह संघर्षं, अगर महिलाएं एकजुट नहीं होगीं। यह निर्णय उत्तर प्रदेश की हर एक महिला के लिए है जो बदलाव चाहती है, न्याय चाहती, जो एकता चाहती है, जो चाहती है कि उसका प्रदेश आगे बढ़े। सब बातें करते हैं लेकिन जब सुरक्षा करने का समय आता है तब मदद करने कोई नहीं आता। मदद् उनकी करते है जो आपको कुचलते हैं, आज सत्ता का नाम यह है कि आप खुलेआम सबके सामने लोगों को कुचल सकतें हैं यह सत्ता बन गयी है, यह गलत है। घृणा का बोलबाला है, नफरत का बोलबाला है यह गलत है इसको महिलाएं ही बदल सकतीं हैं। महिलाएं इसलिए बदल सकती हैं क्योंकि करूणा भाव, सेवाभाव, और दृढता शक्ति सबसे ज्यादा महिलाओं में है। यहां मेरे प्रेस की सहेलियां है मैं जानतीं हूं कि आपका संघर्ष क्या है, सुबह से शाम तक आप कैसे दौड़ती हैं।


अगर देश प्रदेश को जाति धर्म की राजनीति से निकालकर विकास की राजनीति की ओर ले जाना है, अगर देश को समता की राजनीति की ओर ले जाना है, भागीदारी की राजनीति की ओर ले जाना है तो महिलाओं को आगे बढ़ना पड़ेगा, खुद राजनीति करना पड़ेगा, आगे बढिए, मैं आग्रह करती हूं आपसे। मैनें विधानसभा के लिए आवेदन पत्र मांगा है यह अगले महीने की 15 तारीख तक खुले रहेंगें खासकर मेरी बहनों के लिए। जो लड़ना चाहतीं हैं आएं मेरें पास आपको मौका मिलेगा। हम इस देश प्रदेश की राजनीति को बदलेंगें।


एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंनें कहा कि मैं उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी हूं हमने यहां पर 40 प्रतिशत भागीदारी का निर्णय लिया है। यहां भागीदारी बढ़ेगी तो नेशनली भी बढ़ेगा। एक और प्रश्न का जबाव देते हुए उन्होंनें कहा कि राजनैतिक पार्टियां सोचती है कि एक गैस सिलेण्डर देकर, दो हजार रूपये देकर खुश कर देगें, लेकिन जो महिला का संघर्ष है बहुत लम्बा है और गहरा संघर्ष है। जब तक हम समझेगें नहीं कि एकजुट होकर लड़ाई लड़नी है तब तक राजनीति में बदलाव नहीं आ सकता है। हम एकजुट होकर लड़ें और जब कोई महिला लड़ रही है तब मेरे मन में यह आए कि यह मेरी बहन लड़ रही है मुझे इसके साथ मिलकर लड़ना चाहिए।  


  पत्रकार वार्ता में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, नेता विधानमण्डल दल आराधना मिश्रा मोना, वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी, इलेक्शन मैनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन सलमान खुर्शीद, इलेक्शन कैपेंन कमेटी के चेयरमैन पीएल पुनिया, राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत, चार्जशीट कमेटी के चेयरमैन आचार्य प्रमोद कृष्णम्, मीडिया विभाग के चेयरमैन व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह भी उपस्थित रहे।