विश्व कर रहा समस्याओं का सामना

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विश्व कर रहा समस्याओं का सामना
विश्व कर रहा समस्याओं का सामना

सीआईआई पार्टनरशिप समिट 2023


विश्व कर रहा समस्याओं का सामना आज विश्व जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनके समाधान के लिये यह समय मित्रता और साझेदारी का है। भारत सतत लक्ष्यों, सतत जीवनशैली और चक्रिय अर्थव्यवस्था के लिये प्रतिबद्ध है और वह अपने प्रयासों में अन्य देशों के साथ साझीदारी करना चाहता है।अन्य प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में अनेक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हैं; भारत सामान की उच्च गुणवत्ता और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का उपयोग करने पर ध्यान दे रहा है। भारत अनेक देशों के साथ रुपये में कारोबार का विस्तार कर रहा है, बातचीत उन्नत स्तर पर है। दो ऑस्कर जीतने पर हमें गर्व है; दी एलीफेंट व्हिस्पर्स में हमारे सतत विकास और प्रकृति के साथ समरसता को रेखांकित किया गया है।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में सीआईआई पार्टनरशिप समिट 2023 में कहा कि आज विश्व जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनके समाधान के लिये यह समय मित्रता और साझेदारी का है। श्री गोयल ने कहा इस मुश्किल भरे समय में, जब दुनिया बड़ी कठिनाई से कोविड से बाहर निकल पाई है, जब हम उन टकरावों का सामना करते हैं जो अर्थव्यवस्थाओं को नीचे ले जाते हैं, जिनसे मंहगाई बढ़ती है तथा परिणामस्वरूप ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जिसके कारण दुनिया के अनेक भागों में मंदी चल रही है, तो इस तरह की मुलाकातों से हमें मदद मिलती है कि हम यह देख सकें कि हम वैश्विक चुनौतियों व वैश्विक समस्याओं का सामूहिक समाधान निकालकर एक-दूसरे के लिये कैसे बेहतर काम कर सकते हैं।

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भारत आपूर्ति श्रृंखला के हर स्थिति में काम करने लायक, विस्तृत और स्थिर स्रोतों की तलाश में हैं। हम बड़े बाजारों को देख रहे हैं और इस काम में हम जोखिम की संभावना को न्यूनतम करना चाहते हैं। अनेक अर्थव्यवस्थायें इन जोखिमों का सामना कर रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का उद्धरण दिया कि केवल साझेदारी से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। भारत ने विश्व के लिए एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में, जब हमने कोविड वैक्सीन विकसित की, तो हमने न केवल अपने नागरिकों के लिए इसे उपलब्ध कराया और उन्हें निशुल्क 2.2 बिलियन टीके लगाए, बल्कि हमने कम विकसित देशों से लेकर प्रशांत द्वीप राष्ट्रों से लेकर कैरिबियन देशों तक, हमारे पड़ोस के छोटे द्वीप राज्यों को भी टीके प्रदान किए। उन्होंने कहा कि 250 करोड़ से अधिक टीके दुनिया के अन्य हिस्सों में निशुल्क मुहैया कराये गये।

नवाचार की आवश्यकता पर बोलते हुए श्री गोयल ने कहा कि हम सभी को अभिनव विचारों, अपने काम को अधिक कुशलता और अधिक प्रभावी ढंग से करने के नये तरीकों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत में, जहां सात साल पहले मुश्किल से तीन या चार यूनिकॉर्न थे, आज 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं और भारत की स्टार्टअप इको-प्रणाली दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी प्रणाली है। भारत में हम अपने सतत लक्ष्यों और निरंतरता भरी जीवनशैली के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं। श्री गोयल ने कहा कि हम कचरे को खत्म करने या पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग के लिए प्रतिबद्ध हैं और मैं अपने सभी साझीदार देशों को भारत के साथ काम करने, भारत से सीखने, दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के इस प्रयास में भारत के साथ साझेदारी करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

भारत में निरंतरता जीवन का एक तरीका है और हमें दुनिया के अन्य हिस्सों को सिखाने या उनसे सीखने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे हरित लक्ष्य बहुत महत्त्वाकांक्षी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने निरंतरता भरी जीवनशैली की अवधारणा पेश की है, जो समय की मांग है। इस सिलसिले में याद रहे कि हम सभी दुनिया भर में, विशेष रूप से विकसित दुनिया में जो अपशिष्ट पैदा कर रहे हैं, वह मानवता की जरूरतों की तुलना में जलवायु परिवर्तन की इस बड़ी समस्या का एक बड़ा कारण है। श्री गोयल ने कहा कि जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, इस पीढ़ी में हम सभी अपने बच्चों के लिये न्यासी और संरक्षक हैं। हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि हम विरासत में मिले विश्व की तुलना में एक बेहतर विश्व छोड़कर जायें, ताकि हमारे बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सके।

श्री गोयल ने विश्व अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत की साझेदारी पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम अपने कारोबार को सक्षम बनाने के लिए कई देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय समझौते कर रहे हैं, क्योंकि हम दुनिया भर के व्यवसायों को सक्षम बनाना चाहते हैं। हम एक-दूसरे से जुड़ेंगे, ताकि हम अंतरराष्ट्रीय वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर दमखम दिखा सकें। उन्होंने कहा कि इस प्रयास का नेतृत्व प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आगे बढ़कर किया है। एक उदाहरण देते हुए श्री गोयल ने कहा कि दो साल पहले, हमारे माल और सेवाओं का निर्यात सामूहिक रूप से 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। प्रधानमंत्री ने फैसला किया कि भारत कोविड के संकट को एक अवसर में बदल देगा, हम इस संकट से विचलित नहीं होंगे। प्रधानमंत्री ने देश की सभी निर्यात संवर्धन परिषदों से बात की और उन्होंने उन चुनौतियों को समझा जो वे सामना कर रहे थे। उन्होंने समाधान खोजा और दुनिया भर में हमारे मिशन प्रमुखों से बात की। और, अब जब हम स्वतंत्र भारत के 75 साल का जश्न मना रहे हैं, तो ऐसे वक्त में हम वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के 750 बिलियन के लक्ष्य को पार करने के लिए निकल पड़े हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि भारत आज अन्य प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अनेक प्रतिस्पर्धात्मक लाभों की पेशकश करता है। उन्होंने कहा कि हम उच्च गुणवत्ता वाले सामान और बड़े पैमाने वाली अर्थव्यवस्थाओं के उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, खासतौर से विशाल स्वदेशी बाजार के मामले में, जहां यह पेशकश हम उन व्यापारों व निवेशकों को कर रहे हैं, जो भारत आते हैं और यहां काम करते हैं। हम अपने उन मित्र देशों को भी यह पेशकश कर रहे हैं, जिनके भारत के साथ आर्थिक सम्बंध हैं।

हमारे एमएसएमई पहले डिजिटलीकरण के साथ जुड़ रहे हैं और जैसा कि पहले उल्लेख किया गया था, भारत बाकी दुनिया के उपयोग के लिए डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के रूप में अपने डिजिटल संकल्प को पूरा करने में जुटा है। सिंगापुर और भारत ने हाल ही में यूपीआई पर साझेदारी की है और हम निकट भविष्य में यूएई के साथ भी ऐसा करने की उम्मीद करते हैं। हम कई देशों के साथ रुपये के व्यापार का विस्तार कर रहे हैं, जिनमें से कई के साथ बातचीत उन्नत चरण में हैं और जल्द उसे अंतिम रूप दे दिया जायेगा। जब हम वैश्विक आर्थिक सुधार के वित्तपोषण के बारे में बात करते हैं, तो एक मजबूत और उत्तरदायी अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत ढांचे की आवश्यकता होती है। हमें यह भी देखने की जरूरत है कि कुछ अपारदर्शी अर्थव्यवस्थायें, जिनकी आर्थिक प्रणालियां पूरी तरह से धूमिल हैं, वे बहुपक्षीय भागीदारी के फलों का लाभ उठा रही हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि दुनिया ऐसे देशों की आलोचना करे और उन्हें जवाबदेह और पारदर्शी बनाये।

प्रौद्योगिकी साझेदारी पर बोलते हुए, श्री गोयल ने कहा कि जब हम उदीयमान प्रौद्योगिकियों के बारे में बात करते हैं, तो यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि हम कुशलता का हिसाब-किताब लगायें। हमें कुछ ऐसे देश मिलेंगे जिनके पास जबरदस्त कौशल है। इस तरह हम देख सकते हैं कि कहां कौशल है, कहां नही, जिसे मैच-मेकिंग कहा जा सकता है। इसे मद्देनजर रखते हुये हमें यह जानना चाहिये कि अमीर देशों को उन कौशल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह मैच-मेकिंग ही साझेदारी के बारे में है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर और भारत इस मैच-मेकिंग के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। श्री गोयल ने अपने भाषण की शुरूआत भारत के दो ऑस्कर विजेताओं को बधाई देते हुए की। उन्होंने कहा कि दो ऑस्कर जीतने पर आज हमें गर्व है। वृतचित्र ‘दी एलीफेंट व्हिस्पर्स’ प्रकृति के साथ सतत विकास और समरसता को रेखांकित करता है, लेकिन यह हमें भारत में महिलाओं के विकास की समझ भी देता है, क्योंकि यहां निर्देशक और निर्माता दोनों महिलायें हैं। विश्व कर रहा समस्याओं का सामना