मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेल रहें हैं कबड्डी

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चौतरफा घिरे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब कबड्डी खेल रहे हैं, ताकि निराशा नहीं झलके। कबड्डी खेलना कांग्रेस के असंतुष्टों को चुनौती भी है।

एस0 पी0 मित्तल

14 सितंबर को रात 8 बजे फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल पर लाइव डिबेट (बिग फाइट) का प्रसारण हुआ। इस डिबेट में पत्रकार के तौर पर मैंने भी भाग लिया। मेरे साथ सरकार के मंत्री गोविंद राम मेघवाल और भाजपा विधायक व प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा भी मौजूद रहे। अशोक गहलोत एक विचारधारा है शीर्षक पर आयोजित डिबेट में मंत्री और विधायक ने तो अपनी अपनी पार्टी का पक्ष रखा, लेकिन मेरा कहना रहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत इन दिनों चौतरफा घिरे हुए हैं और विरोधियों से अकेले ही जूझ रहे हैं।

चेहरे पर निराशा का भाव न आए, इसलिए 14 सितंबर को उदयपुर के गोगुंदा में आयोजित ग्रामीण ओलंपिक खेलों में स्वयं ने भी युवाओं के साथ कबड्डी खेली। गहलोत की उम्र 71 वर्ष के पार है और अब कबड्डी जैसा जोखिम भरा खेल खेलना संभव नहीं है, लेकिन विरोधियों को चुनौती देने के लिए गहलोत ने गोगुंदा में कबड्डी खेली। असल में गहलोत को भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के असंतुष्टों से खतरा है। 12 सितंबर को पुष्कर में आयोजित गुर्जरों के प्रोग्राम में जिस तरह से गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और सरकार के मंत्रियों को बोलने तक नहीं दिया, उससे जाहिर है कि गहलोत को अपनों से ही ज्यादा परेशानी है।

कांग्रेस के नेताओं को जब मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना नि:शुल्क दवा एवं जांच, सवा करोड़ महिलाओं को नि:शुल्क स्मार्ट फोन, मनरेगा की तरह शहरी क्षेत्र में युवाओं को 100 दिन के रोजगार देने की गारंटी, बिजली के बिल में मोटी सब्सिडी जैसी योजनाओं का प्रचार करना चाहिए, तब कांग्रेस के ही नेताओं और विधायक गुर्जरों के प्रोग्राम में मंत्रियों और वैभव गहलोत को नहीं बोलने देने का मुद्दा उछाल रहे हैं, सब जानते हैं कि गहलोत एक वर्ष से कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय है। दिल्ली जाकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का नतीजा ही है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोधपुर (गहलोत के गृह जिले) में आकर सार्वजनिक सभा की। इतना ही नहीं गहलोत के गृहराज्य मंत्री राजेंद्र यादव के परिवार के सदस्यों के व्यावसायिक ठिकानों पर आयकर के छापे दर्शाते हैं कि आने वाले दिनों में गहलोत के मंत्रियों और पहचान वालों पर छापामार कार्यवाही होगी। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का ऐसा कोई नेता नहीं है जो चौतरफा घिरे अशोक गहलोत का बचाव कर सके।

कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार का बचाव तो खुद गहलोत ही कर रहे हैं। कांग्रेस में राष्ट्रीय पर गहलोत के मुकाबले कोई नेता नहीं है, इसलिए गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है। पुष्कर में पुत्र और मंत्रियों के साथ जो व्यवहार हुआ उससे अशोक गहलोत बेहद आहत हैं। लेकिन अभी गहलोत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गहलोत शायद सचिन पायलट की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। पुष्कर में पायलट समर्थकों ने ही अपनी भावनाओं को ही प्रदर्शित किया था। 12 सितंबर की घटना के बाद अभी तक भी दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया सामने नहीं आना बहुत कुछ प्रदर्शित कर रही है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो राजनीतिक संघर्ष चल रहा है उसके परिणाम अब जल्द ही देखने को मिलेंगे। कांग्रेस में आला कमान का मतलब अब अशोक गहलोत ही है।