जूनियर रेजीडेंट की भर्ती जल्द

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रेजीडेंट डॉक्टर चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के कार्यों से मुक्ति मिलेगी, थीसिस भी 28 फरवरी 2022 तक जमा करवा सकेंगे।जूनियर रेजीडेंट की भर्ती भी जल्द। हड़ताल खत्म करवाने में अजमेर के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. वीर बहादुर सिंह की महत्त्वपूर्ण भूमिका।

एस0 पी0 मित्तल

राजस्थान भर के रेजीडेंट डॉक्टर 9 दिसंबर को प्रातः 9 बजे से काम पर लौट आए हैं। पीजी काउंसलिंग सहित 8 सूत्रीय मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर 5 दिसंबर से बेमियादी हड़ताल पर थे। रेजिडेंट की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज ठप सा हो गया था। सीनियर डॉक्टरों ने ऑपरेशन टाल दिए तो अस्पतालों में भर्ती मरीजों को छुट्टी दी जाने लगी। ऐसे नाजुक माहौल में राज्य सरकार ने अजमेर के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. वीर बहादुर सिंह को हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता करने के लिए अधिकृत किया। डॉक्टर सिंह ने हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को अच्छी तरह समझ कर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया से लंबी वार्ता की। इसी का नतीजा रहा कि 8 दिसंबर को गलरिया के जयपुर स्थित आवास पर रेजीडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता हुई।

डॉक्टरों की सभी मांगों पर सरकार की ओर से लिखित में समझौता किया गया। इस समझौते पर डॉ. वीर बहादुर सिंह के ही हस्ताक्षर हैं। समझौते के बाद रेजीडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधियों ने भी माना कि हड़ताल को खत्म करवाने में डॉ. सिंह की सकारात्मक भूमिका रही है। डॉ. सिंह का कहना रहा कि सरकारी अस्पतालों के संचालन में रेजीडेंट डॉक्टरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। रेजीडेंटस पर काम का बोझ है, लेकिन फिर भी रेजीडेंट डॉक्टर सेवा की भावना से रात और दिन काम करते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि जो समझौता हुआ है उसके अनुरूप रेजीडेंट डॉक्टरों को राहत मिलना शुरू हो जाएगी। जानकार सूत्रों के अनुसार आमतौर पर डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान जयपुर के सीनियर डॉक्टर ही मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, लेकिन यह पहला अवसर रहा जब जयपुर से बाहर अजमेर के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को सरकार ने मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किया। डॉ. वीर बहादुर सिंह सरकार की अपेक्षाओं पर खरे भी उतरे। इस समझौते से रेजीडेंट डॉक्टरों की अनेक मांग पूरी हो गई है। जो समझौता हुआ उसके अनुसार नीट पीजी परीक्षा 2021 की काउंसलिंग का निर्णय केंद्रीय स्तर पर किया जाना है, राजस्थान में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की भर्ती की प्रक्रिया के अनुसार उनका पदस्थापन आवश्यकता के अनुसार किया जाएगा।

पेपर एवं पोस्टर प्रेजेंटेशन के बाध्यता एनएमसी की गाइड लाइन के अनुरूप है। इस संबंध में मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य अगले सात दिनों में प्रस्ताव बनाकर एनएमसी को भिजवाएंगे। इसके साथ ही थीसिस जमा कराने की तिथि 28 फरवरी 2022 तक बढ़ा दी गई है। चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से संबंधित कार्य अब टीपीए सेल के माध्यम से करवाए जाएंगे ताकि लिपिकीय कार्य का बोझ रेजीडेंट डॉक्टरों पर न पड़े। इन सर्विस रेजीडेंट डॉक्टर्स के अध्ययन अवकाश हेतु कॉलेज निदेशालय, चिकित्सा विभाग एवं निदेशालय चिकित्सा व स्वास्थ्य स्तर पर नए पीजी बैच के प्रवेश से पूर्व नोडल ऑफिसर नियुक्त किए जाएंगे, जो अध्ययन अवकाश संबंधी प्रकरणों का जल्द निस्तारण करेंगे। सीनियर रेजिडेंट के पदों से संबंधित मेडिकल कॉलेजों में आवश्यकता के अनुरूप क्लिनिकल एवं नॉन क्लिनिकल विभागों में चरणबद्ध तरीके से राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं राजमेस मेडिकल कॉलेजों में वित्त विभाग की स्वीकृति के उपरांत वृद्धि की जाएगी। नॉन क्लिनिकल विभागों में वरिष्ठ प्रदर्शकों के पदों को परिवर्तित कर सीनियर रेजिडेंट के पदों में रूपांतरित करने हेतु प्रकरण प्रक्रियाधीन है। प्रक्रिया उपरांत वर्तमान में वरिष्ठ प्रदर्शकों के रिक्त पदों को सीनियर रेजिडेंट के पदों में रूपांतरित कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया मार्च 2022 तक पूर्ण कर ली जाएगी।

तत्पश्चात प्रधानाचार्य स्तर पर शीघ्र भर्ती के लिए विज्ञप्ति नियमानुसार महाविद्यालय स्तर पर विभागवार हर वर्ष निकाली जाएगी एवं वर्तमान नॉन क्लिनिकल विभागों में सीनियर रेजिडेंट के कॉमन पूल में से कुछ पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों के पीजी पश्चात देय तीन अग्रिम वेतन वृद्धि हेतु 2017 में दिए गए आदेश की मूल भावना के अनुसार पीजी डिग्री के पश्चात तीन इनक्रिमेंट एक्सट्रा व डिप्लोमा के पश्चात दो इंक्रीमेंट अतिरिक्त देय है, किंतु आदेशों की व्याख्या की विसंगति के कारण पीजी डिग्री पश्चात दो इंक्रीमेंट व डिप्लोमा के पश्चात एक इंक्रीमेंट ही वास्तविक रूप से देय हो रहा है। जिसे निदेशालय स्तर पर विभाग को प्रेषित कर आदेश की मूल भावना के अनुरूप अधिकतम दो माह की अवधि में दुरुस्त किया जाएगा। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2019 के पीजी छात्रों के हॉस्टल फीस के संबंध में निदेशालय स्तर पर परीक्षा करवा कर उचित निर्णय लिया जाएगा तथा हॉस्टल फीस चिकित्सा शिक्षा के आदेश दिनांक 1 जनवरी, 2020 के अनुरूप ही ली जाएगी। इसके साथ ही रिकवरी को निरस्त किया जाएगा। हड़ताल की अवधि का वेतन नहीं काटा जाएगा।