शासन के अफसरों का सहकारी चीनी मिल संघ व मिलों में बड़ा खेल। आधा दर्जन अफसरों को दी गई चीनी मिलों व संघ में अस्थाई नियुक्ति। प्रोन्नति देने के बजाए रिटायर अफसरों को किया गया नियुक्त…!

कुमार राकेश

नानपारा। उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ रिटायर अफसरों के भरोसे चल रहा है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन संघ में तैनात अफसरों की सूची को देखे तो यह सच सामने आ जाएगा। चीनी मिल संघ कार्यालय में तैनात अधिकारियों की विगत 6 वर्षों से प्रोन्नति नहीं किये जाने के बजाए सेवानिवृत अधिकारियों को ही तीन-तीन माह के लिए संविदा पर नियुक्ति देकर काम चलाया जा रहा है। इससे विभागीय अफसरों में असंतोष व्याप्त है। सेवानिवृत्त अधिकारियों को संविदा पर रखने का कोई अनुमोदन विभागीय मंत्री से भी नहीं लिया जा रहा है। गुपचुप तरीके से अपने चहेते अफसरों को संविदा पर रखा जा रहा है।


मिली जानकारी के उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ में दर्जनों की संख्या में अधिकारियों को विगत 6 साल से किसी भी संवर्ग की कोई प्रोन्नति नहीं प्रदान की गई। बीते 6 सालों से प्रोन्नति की आस लगाए बैठे दर्जनों अधिकारी बिना पदोन्नति के ही रिटायर भी हो गए। जबकि मुख्यमंत्री तथा शासन स्तर से सभी विभागों में रिक्त पदों पर पदोन्नाति के लिए अंतिम डेड लाइन 30 सितंबर तय की गई थी। परंतु विभाग के आला अफसर आदेश को ताक पर रखकर नियम विरुद्ध तरीके से 3-3 माह की संविदा की कार्य स्वीकृति कार्य की आवश्यकता दिखाकर विगत एक साल से अधिक चहेते सेवानिवृत्त अधिकारियों को रख रखा है। विगत 6 सालों से अधिकारियों के लगातार रिटायर होने से संघ में अधिकारियों की संख्या काफी कम हो गई है। इस कमी को दूर करने के लिए शासन में बैठे आला अफसरों ने संघ में रिटायर अधिकारियों को संविदा पर नियुक्त कर रखा है।

कार्यरत अफसरों के समान सुविधाएं देकर लगाया जा रहा राजस्व का चूना उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ में गन्ना आयुक्त कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए उप गन्ना आयुक्त को कार्यरत अफसरों के समान सुविधाएं भी मुृहैया करायी जा रही है। अस्थाई नियुक्त इन अधिकारियों को यात्रा भत्ता, मोबाइल की सुविधा, वाहन तथा कार्यालय में कार्य करने के लिए अन्य सामान्य सुविधाये उपलब्ध कराई जा रही हैं। सहकारी चीनी मिल संघ के अफसरों को प्रोन्नति नहीं देकर अस्थाई नियुक्त अफसरों को यह सुविधाएं देकर सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।


सूत्रों का कहना है कि गन्ना विभाग से जुलाई 2021 में उप गन्ना आयुक्त के पद से रिटायर हुए शेर बहादुर को नानपारा प्रधान प्रबंधक बना दिया। यही नहीं इन्हें जिलाधिकारी बहराइच से नियम विरुद्ध वित्तीय अधिकार भी दिलवा दिये। जबकि शासन की वित्तीय नियमावली के अनुसार कभी भी संविदा के अधिकारी तथा कर्मचारी को कोई वित्तीय प्रभार दिया ही नहीं जा सकता। इसी प्रकार शुगर फेडरेशन में शासन द्वारा नियुक्त संयुक्त प्रबंध निदेशक आरपी सिंह भी 31 जुलाई 2021 को रिटायर होने के बाद बिना शासन की अनुमति प्राप्त किये ही संविदा पर ओएसडी के पर पर नियुक्त कर दिया गया। संविदा पर रखकर उनसे कार्मिक और शिकायत जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों का कार्य लिया जा रहा है जबकि संघ में ओएसडी का कोई पद ही नहीं है।

जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर की जांच में वित्तीय आरोपों में दोषी पाये गये प्रधान प्रबंधक हर्ष वर्धन कौशिक को पहले तीन माह के लिए अस्थायी नियुक्ति दी गई फिर उनका संविदा कार्यकाल लगातार बढ़ाकर आज तक बरकरार रखा गया है। श्री कौशिक आज तक भी संविदा पर रहकर चीनी मिलों की चीनी तथा शीरा विक्रय जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य भी कराये जा रहे है। इसकी पुष्टि संघ की चीनी तथा शीरा विक्रय की पत्रावलियां से की जा सकती हैं। इस संबंध में जब सहकारी चीनी मिल संध के प्रबंध निदेशक रमाकांत पांडे से बात की गई तो उन्होंने सेवानिवृत्त अफसरों की अस्थाई नियुक्ति किए जाने की बात तो स्वीकार की लेकिन इसके अलावा इस पर और कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया।