आसमान में छाई लाली

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मुख्य सचिव ने एस0पी0एच0ई0ई0एच0ए0 द्वारा आयोजित गोष्ठी को किया संबोधित।कार्यक्रम के उपरान्त मुख्य सचिव ने साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की प्रतिमा का किया अनावरण।

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”] लखनऊ/आगरा। प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने आज सोसायटी फॉर रिजर्वेशन आफ हेल्थ इन्वायरमेंट एंड इकोलॉजी एंड हेरिटेज ऑफ आगरा (एस0पी0एच0ई0ई0एच0ए0) द्वारा जे0पी0 पैलेस होटल एण्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित गोष्ठी को संबोधित किया। मुख्य सचिव ने कहा कि आज से 25 वर्ष पूर्व 1997 में ऐसी ही एक गोष्ठी ताज महोत्सव के दौरान हुई थी, जिसमें मुख्य अतिथि भारत सरकार के संयुक्त सचिव हुआ करते थे पहले वे आगरा मण्डल के मण्डलायुक्त थे उस समय चर्चा के दो विषय थे पहला कि आगरा में तीन विश्व संपदा, विश्व धरोहर घोषित किया जाए तो शायद यहां पर लोग ज्यादा दिन आएंगे और दूसरा विषय था लोगों की चिंता, जब आगरा लोग आते हैं तब यहां न ताज एक्सप्रेसवे थी, यहां की जो नेशनल हाईवे थी उस पर भी लोग इतनी रफ्तार से नहीं चल पाते थे। नेशनल हाईवे भी कुछ अच्छे नहीं थे कुछ 2 से 3 ट्रेनें थी ताज एक्सप्रेस हुआ करती थी लोगों की चिंता थी कि लोग आते हैं और आकर के शाम को चले जाते हैं और आज 25 साल के बाद जब मैं देख रहा हूं कि अभी भी वही चिंता बरकरार है कि लोग आते हैं और आकर के चले जाते हैं जबकि ताज एक्सप्रेस भी आ चुकी है, जबकि यह नेशनल हाईवे भी बहुत अच्छी बन चुकी है, लेकिन मुझे एक परिवर्तन नजर आ रहा है वह परिवर्तन है आगरा ताज बियान्ड नेचुरल वेल्थ ऑफ आगरा।


उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर के आगरा में बहुत कुछ काम हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन जिसने पूरे देश में बहुत कमाल का काम किया है। स्वच्छ भारत मिशन को चलाने का मुझे जो सौभाग्य मिला था, उससे पूरे देश के साथ-साथ आगरा भी बदला है। उन्होंने कहा कि दुनिया में जो मानमेंट्स है मैंने जब आंकड़े देखे थे, उसके पहले 2019-20 में जो पूरे देश भर के स्मारक थे, उसमें लगभग 04 करोड़ से ज्यादा लोगों की टिकट लेकर एंट्री हुई थी और आपको जान करके यह आश्चर्य होगा कि उसमें से 10.5 प्रतिशत यानी करीब 46 से 47 लाख लोग केवल ताजमहल को देखने आये थे।मुख्य सचिव ने द्वारिका ग्रीन फेज-1 पार्क, रोहता इंटर कॉलेज के सामने ग्वालियर रोड पर स्वर्गीय द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की प्रतिमा का माल्यार्पण कर अनावरण भी किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि स्वर्गीय माहेश्वरी जी जैसी महान विभूति जिनकी कवितायें मैने अपने बचपन में पढी थी, आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस अवसर पर आने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि मुझे आज बच्चों के गांधी कहे जाने वाले बच्चों के लिये कविता के माध्यम से तमाम सारी बातें जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जो कि आज के सौ साल बाद भी, पांच सौ साल बाद भी, एक हजार साल बाद भी रहेंगी।उन्होंने अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि मैं उस कवि से मिल रहा हूं जिन्होंने अपनी कविताएं जैसे- सूरज निकला चिड़िया बोली, कलियों ने भी आंखें खोली, आसमान में छाई लाली, हवा बही……., वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो, सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो, तुम निडर डरो नहीं तुम कभी रुको नहीं….., तमाम सारी चीजें तमाम सारी कविताएं जिनको मैंने बचपन में सीखा था। उन्होंने साक्षरता मिशन के डायरेक्टर के रूप में, एक टीचर के रूप में बहुत सारे ऐसे काम किये। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय श्री द्वारिका प्रसाद महेश्वरी जी की कविताएं सालों साल चलती रहेंगी। [/Responsivevoice]