प्रोफेसर को बचाने में लगे कुलसचिव

127

सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजी के जांच में असिस्टेंट प्रोफेसर समीर सर्राफ को बचाने में लगे कुलसचिव : डॉ आदेश कुमार अधीक्षक

दो बार कमेटी द्वारा की गयी जांच में दोषी होने के बाबजूद कुलसचिव ने आरोपी डॉक्टर समीर सर्राफ को दी विदेश यात्रा की परमीशन.

मुकदमा लिखाने की तहरीर देने पर कुलसचिव ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ आदेश कुमार को हटाने के आदेश किये जारी,जब कि शासन की जांच में खुद दोषी है कुलसचिव.

सैफई:- मेडीकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ समीर सर्राफ व अन्य का घपला उजागर करने पर शासन द्वारा दोषी कुलसचिव ने चिकित्सा अधीक्षक को हटाने के आदेश जारी कर दिए जबकि शासन द्वारा कराई गई जांच में कुलसचिव को खुद दोषी है। जिसे जांच में अधिकारी खुद दोषी हो वह दूसरे दोषी अधिकारी को हटाने का आदेश कैसे जारी कर सकता है।


यह बात सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ आदेश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही उन्होंने कहा कि कोरोना काल मे पेशेंट किचेन कॉन्ट्रेक्टर मामले में शासन द्वारा मंडलायुक्त से कराई गई जांच में कुलसचिव समेत 14 लोग दोषी पाए गए हैं इससे पूर्व मेरे द्वारा थाना सैफई में कार्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ समीर सर्राफ व अन्य दोषी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी गई थ। जिसमे कई बड़े अधिकारियो की गर्दन फंस रही है जिसकी वजह से कुलसचिव ने मुझे हटाने के लिए साजिश रची है। और साजिश में तहत मुझे हटाने का आदेश जारी कर दिया जब कि जांच में कुलसचिव खुद दोषी है। उन्होंने बताया इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री/ कुलाधिपति व शासन को व जिलाधिकारी इटावा को पत्र लिखा गया है।


चिकित्सा अधीक्षक डॉ आदेश कुमार ने बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात रहे डॉक्टर समीर सर्राफ व अन्य लोगों द्वारा वर्ष 2019 में करीब एक करोड़ मूल्य की अनावश्यक आर्बिट्रेरी परचेस किए गए जिसमें लाखों रुपए की धांधली हुई कई मरीजों की जान जोखिम में डाली कई मरीजों को सस्ते में नकली पेसमेकर लगाई गई इसमें मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा जांच टीम गठित की गई जिसका अध्यक्ष में स्वयं था जांच टीम द्वारा जांच टीम में तत्कालीन एसडीएम सैफई हेम सिंह,तहसीलदार,खंड विकास अधिकारी डॉ देवेंद्र पाठक,डॉ मनोज कुमार डॉ अमित सिंह उक्त जांच टीम में शामिल थे। जांच टीम ने नवंबर माह में अपनी जांच आख्या कुलपति को भेजी गई जिसमें डॉक्टर समीर सर्राफ व अन्य लोग दोषी पाए गए डॉक्टर समीर के दोषी पाए उसके बाद एक जांच कमेटी बनाई गई जिसमें डॉ आई के शर्मा द्वारा जांच की गई उसमें भी डॉक्टर समीर व अन्य लोग दोषी पाए गए लेकिन एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद अभी तक मेडिकल यूनिवर्सिटी के उच्चाधिकारियों द्वारा डॉक्टर समीरके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कराई गई ना ही नियमानुसार मुकदमा दर्ज कराया गया।

उन्होंने बताया कि मुकदमा दर्ज कराने का अधिकार कुलसचिव का है और कुलसचिव डॉ समीर को बचाने में लगे हुए। दूसरी समीर सर्राफ को कुलसचिव ने कई बार विदेश यात्रा की अनुमति दी जो नियम विरुद्ध है उन्होंने कहा कि का कार्डियोलॉजी के भ्रष्टाचार में कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फस रही है जिन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है इसी वजह से मुझे चिकित्सा अधीक्षक के पद से हटाने का आदेश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि हटाने का अधिकार कुलसचिव को किसने दिया है क्योंकि कुलसचिव शासन द्वारा कराई गई जांच में खुद दोषी है।उन्होंने कहा कुलसचिव को डॉक्टर समीर पर कार्रवाई करने के लिए कई पत्र लिखने के बावजूद भी डॉक्टर समी पर कोई कार्यवाही नहीं की गईउक्त कार्रवाई के लिए जब मैंने स्वयं थाने में मुकदमा लिखने के लिए प्रार्थना पत्र दिया तो मुझे हटाने का षडयंत्र रचा गया।