नियमों को दर किनार कर एसीएस गन्ना बांट रहे रेवड़ी

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  • एसीएस गन्ना की तानाशाही से चीनी मिल संघ अफसरों में आक्रोश ।
  • गन्ना विभाग से रिटायर उप गन्ना आयुक्त को बनाया जीएम नानपारा ।
  • नियमों को दर किनार कर एसीएस बांट रहे रेवड़ी ।
राकेश यादव

लखनऊ। अपनों पर सितम, गैरो पर करम…यह कहावत अपर मुख्य सचिव गन्ना पर एकदम फिट बैठती है। अपर मुख्य सचिव गन्ना की नियमों को ताक पर रखकर लगातार की जा रही अस्थाई नियुक्तियों से चीनी मिल संघ के अफसरों में खासा आक्रोश व्याप्त है। संघ में तकनीकी पदों से रिटायर हुए अधिकारियों को नियुक्त करने के बजाए गन्ना विभाग से रिटायर हुए अफसरों तक को नियुक्त किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि नियुक्ति के पात्र अधिकारियों को रखने के बजाए अपात्रों की नियुक्ति ने अपर मुख्य सचिव गन्ना की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर मामला शासन से जुड़ा होने की वजह से संघ के अधिकारी भी इस मसले पर चुप्पी साधे हुए है।

सूत्रों के मुताबिक गन्ना एवं चीनी विभाग के गन्ना आयुक्त/ अपर मुख्य सचिव गन्ना संजय भूसरेड्डी विभाग में अपनी मनमानी तथा नियम विरुद्ध काम करके सहकारी चीनी मिल को नुकसान पहुंचा रहे है साथ ही इससे भ्रष्टाचार भी चरम पर पहुँच गया है।
एसीएस गन्ना ने सारे नियमों को ताक पर रखकर अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति हेतु गन्ना विभाग से रिटायर हुए उप गन्ना आयुक्त शेर बहादुर को अस्थाई नियुक्ति देकर चीनी मिल संघ में संविदा पर प्रधान प्रबंधक की नियुक्ति की पहल कर दी। यही नही बहराइच जिले की नानपारा चीनी मिल में नियुक्त कराकर बहराइच के जिलाधिकारी से उन्हें वित्तीय अधिकार भी दिलवा दिये जबकि चीनी मिल संघ द्वारा संविदा पर प्रधान प्रबंधक रखने के लिए ई-टेंडर निकाल कर अंतिम तारीख 13 दिसंबर 2021 निर्धारित कर रखी है।

ऐसा तब किया जा रहा जब चीनी मिल संघ के बोर्ड ने यह प्रस्ताव पारित कर रखा है कि केवल तकनीकी अधिकारी/ कर्मचारियों को छोड़कर कोई लिपिकीय/ प्रशासनिक अधिकारी को रिटायर होने के बाद सेवा में नहीं रखा जाए। इसके बाद भी एसीएस गन्ना ने शेर बहादुर के अलावा जुलाई में सरकार से रिटायर हुए पीसीएस आरपी सिंह को चीनी मिल संघ में ओएसडी तथा विवादित एवं भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हर्ष वर्धन कौशिक को फरवरी में रिटायर होने के बाद जीएम के पद पर रखकर कौशिक से शीरा एवं चीनी बिकवा कर करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे हैं। चीनी मिल संघ अफसरों का कहना है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जायेगा। उधर एसीएस गन्ना संजय भूसरेड्डी कहते है हम आपके जवाबदेह नही है।