फीस बढ़ोतरी वरुण गांधी के बाद रीता बहुगुणा ने विरोध जताया

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फीस बढ़ोतरी में सांसद वरुण गांधी के बाद अब सांसद रीता बहुगुणा ने विरोध जताया, शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र.

लखनऊ। चार गुना फीस बढ़ोतरी के विरोध में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों का आंदोलन लगातार जारी है. इस बीच प्रयागराज से बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने भी फीस बढ़ोतरी को न सिर्फ़ गलत करार दिया है, बल्कि इसे लेकर शिक्षा मंत्री को चिट्ठी भी भेजी है. रीता जोशी ने साफ तौर पर कहा है कि निजी तौर पर वह इस तरह से फीस बढ़ोतरी के पक्ष में कतई नहीं है.

रीता जोशी से पहले बीजेपी के एक अन्य सांसद वरुण गांधी भी इसके खिलाफ आवाज उठा चुके हैं. रीता जोशी के बयान के बाद छात्रों के आंदोलन को संजीवनी मिल सकती है और फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर यूनिवर्सिटी प्रशासन और छात्र एक बार फिर से आमने सामने आ सकते हैं.

गौरतलब है कि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने 31 अगस्त को कार्यपरिषद की बैठक कर फीस में चार गुना की बढ़ोतरी किए जाने का ऐलान किया था. यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ अगले दिन से ही छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया था. पिछले तकरीबन दो महीनों से छात्र अनशन पर हैं. इस दौरान यूनिवर्सिटी कैंपस में कई बार जमकर हंगामा हुआ है.

कैंपस काफी दिनों तक छावनी में तब्दील रहा है. सत्ताधारी नेताओं के साथ ही विपक्ष के अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा, आप सांसद संजय सिंह और नीतीश कुमार की पार्टी भी फीस बढ़ोतरी को गलत बताते हुए इसके खिलाफ आवाज उठा चुके हैं. छात्रों के आंदोलन से मचे कोहराम के बावजूद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव आज तक छात्रों से बात करने के लिए वक्त नहीं निकाल सकी हैं. इतना ही नहीं फीस बढ़ोतरी का फैसला लिए जाने के बाद से यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी मीडिया से भी दूरी बना ली है.

उधर, छात्रों के अनशन को 57 दिन पूरे हो चुके हैं. इस बीच तकरीबन 50 छात्रों की तबीयत बिगड़ चुकी है और इलाज के लिए उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जा चुका हैं. हालांकि तबीयत बिगड़ने पर दूसरे नए छात्र आमरण अनशन पर बैठ जाते हैं, जबकि बाकी छात्र उनके समर्थन में क्रमिक अनशन पर रहते हैं. दीपावली की छुट्टियों के बाद यूनिवर्सिटी आज एक बार फिर से खुल गई है. मंगलवार को एक तरफ कक्षाएं भी चली तो वहीं दूसरी तरफ छात्रों का अनशन भी जारी रहा.

छात्रों ने साफ तौर पर कहा है कि फीस बढ़ोतरी के विरोध में वह लगातार आंदोलन करते रहेंगे. अभी तक का आंदोलन उन्होंने गांधीवादी तरीके से अहिंसात्मक तौर पर चलाया है, लेकिन अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन अब भी अड़ियल रवैये पर कायम रहता है तो आने वाले दिनों में वह सड़कों पर उतर कर हिंसक आंदोलन करने को मजबूर होंगे.