सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का मतलब अपनों का कल्याण-लौटनराम निषाद

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सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का मतलब अपनों का कल्याण।उच्च न्यायालय इलाहाबाद व लखनऊ खंडपीठ के 841 विधि अधिकारी बर्खास्त,586 नियुक्त।”राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति में 80 प्रतिशत से अधिक सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व,क्या यही सामाजिक न्याय है”।

उत्तर प्रदेश न्याय अनुभाग-3(नियुक्तियां) दिनांक-01-08-2022 के आदेश के अनुक्रम में राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति में ओबीसी,एससी, एसटी के प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज किया गया है।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि भाजपा का सबक साथ सबका विकास सबका विश्वास का नारा पूरी तरह ढोंग है।मण्डल कमीशन के विरोध में कमंडल रथयात्रा निकालने वाली भाजपा कभी वंचित वर्ग की हितैषी नहीं हो सकती।उन्होंने कहा कि न्याय अनुभाग-3 के पत्र संख्या-डी-904(1)/सात-न्याय-3-22-19रिट/2017 दिनांक-01 अगस्त,2022 के द्वारा मा.उच्च न्यायालय इलाहाबाद व खंडपीठ लखनऊ में 586 विधि अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश जारी किया गया है।राज्य विधि अधिकारियों के 586 पदों पर नियुक्ति की गई है।

जिसमें मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद में 466 व लखनऊ खण्डपीठ में 220 विधि अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जिसमें 80 प्रतिशत से अधिक सामान्य वर्ग की नियुक्ति की गई है।ओबीसी,एससी को 10 प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है,जो सामाजिक न्याय की मीमांसा के बिलकुल विरुद्ध है।उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद में विधि अधिकारी के रूप में आबद्ध 505 अधिवक्ताओं की आबद्धता 1 अगस्त,2022 को समाप्त कर 466 व खण्डपीठ लखनऊ में आबद्ध 336 अधिवक्ताओं की आबद्धता समाप्त कर 220 अधिवक्ताओं को विधि अधिकारी नियुक्त किया गया है।

निषाद ने बताया कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद में 366 व लखनऊ खंडपीठ में 220 विधि अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय में नियुक्त किये गए 366 विधि अधिकारियों में 161 स्थायी अधिवक्ता,13 अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता,105 ब्रीफ होल्डर(सिविल) व 87 ब्रीफ होल्डर(क्रिमिनल) की नियुक्ति की गई है।इसी तरह खंडपीठ लखनऊ में 36 स्थाई अधिवक्ता,8 अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता,115 ब्रीफ होल्डर(सिविल) व 61 ब्रीफ होल्डर(क्रिमिनल) की नियुक्ति की गई है। उन्होंने बताया कि कुल 586 विधि अधिकारियों में स्पष्ट तौर पर 468(79.86%) सामान्य वर्ग(ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य,कायस्थ, राय) के हैं और ओबीसी,एससी, एसटी,मुस्लिम आदि 10 प्रतिशत भी नहीं हैं।

निषाद ने बताया कि 586 विधि अधिकारियों में 126 राजपूत,201 ब्राह्मण,113 कायस्थ,20 वैश्य,8 भूमिहार हैं। पिछड़ी,दलित,अल्पसंख्यक वर्ग में ज़ाहिर तौर पर 9 कुर्मी,2-2 पाल, यादव,12 मौर्य/कुशवाहा/सैनी,5-5 मुस्लिम, निषाद,3-3 साहू,चौरसिया, एससी व 1-1 गिरि,प्रजापति, सोनी,जैसवाल यानी स्पष्ट तौर मात्र 48 ओबीसी हैं और 70 का जातिबोध नहीं है।उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि भाजपा सबका साथ के नारे के बहाने अपनों का विकास कर रहीं है।