आस्था का श्रद्धा-केन्द्र शिवखोड़ी

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राजू यादव

भारत एक आस्था प्रधान देश है। भारत में मौजूद प्राचीन मंदिर भारत वासियों की आस्था का प्रमुख केन्द्र हैं भगवान शिव से संबंधित अनेकों मंदिरों के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। शिवखोड़ी गुफा में भगवान शिव से संबंधित कई मान्यताएं जुड़ी हैं। एक मान्यता के अनुसार लोगों का मानना है कि इस गुफा में आज भी भगवान शिव स्वयं वास करते हैं, और कुछ लोगों का मानना है कि यह गुफा पावन गुफा अमरनाथ तक जाती है। एक मान्यता के अनुसार इस गुफा में निश्चित दूरी के आगे जो भी व्यक्ति गया है वह आज तक वापस नहीं लौटा है।

हिंदुओं कि धार्मिक आस्था है कि इस गुफा में रखी भगवान शिव की पिण्डियों के दर्शन से हर कामना पूरी हो जाती है। धारणा यह भी है कि इस गुफा को स्वयं भगवान शिव ने बनाया था। पुराण कथा यह भी कहा गया है कि भस्मासुर ने तप कर शंकर को प्रसन्न किया।तब भस्मासुर ने शिव से यह वर पाया कि वह जिसके सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए। वर मिलते ही भस्मासुर, भगवान शिव पर ही हाथ रखने के लिए आगे बढ़ा।देश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जहाँ शिव जी अपने विभिन्न रूपों में विराजमान हैं। उसी क्रम में शिव खोड़ी भी भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के रियासी ज़िले में स्थित एक हिन्दू धार्मिक महत्व वाली गुफा है। यह संगर गाँव में स्थित है और शिव जी को समर्पित है। इसमें एक प्राकृतिक शिवलिंग स्थित है। यह शिवालिक पर्वतमाला में स्थित है और वर्ष के बाराह महीनों में शिव-भक्तों के लिए एक प्रमुख श्रद्धा-केन्द्र बना रहा है।

शिवखोड़ी की प्राकृतिक गुफा संगड़ की पहाड़ियों में स्थित है। शिव खोड़ी भगवान शिव का एक प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व का मंदिर है। इस गुफा में भगवान के अर्ध नारिश्वर रूप के दर्शन होते हैं।मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान के दर्शन किये तो आपका स्वर्ग जाना तय है। शिवखोड़ी एक ऐसी अलौकिक और अद्भुत गुफा है जिसमें भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ वास करते हैं और मान्यता है कि इसी गुफा का रास्ता सीधा स्वर्ग लोक की और जाता है क्योंकि यहाँ स्वर्ग लोक की ओर जाने वाली सीढ़ियां भी बनी हुई हैं।शिव खोड़ी की गुफा में शिव के साथ पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी की पिण्डियों के दर्शन होते हैं। यह गुफा स्वयंभू मानी जाती है। इनके साथ यहां सात ऋषियों, पाण्डवों और राम-सीता की भी पिण्डियां देखी जा सकती हैं।पिण्डियों पर गुफा की छत से जल की बूंदे गिरने से प्राकृतिक अभिषेक स्वतः होता है। शिव द्वारा बनाई गई यह गुफा बहुत गहरी है, इसका अंतिम छोर दिखाई नहीं देता।

शिवखोड़ी गुफा में दो कक्ष हैं। बाहरी कक्ष कुछ बड़ा है, लेकिन भीतरी कक्ष छोटा है। बाहर वाले कक्ष से भीतरी कक्ष में जाने का रास्ता कुछ तंग और कम ऊंचाई वाला है जहां से झुक कर गुजरना पड़ता है। आगे चलकर यह रास्ता दो हिस्सों में बंट जाता है, जिसमें से एक के विषय में ऐसा विश्वास है कि यह कश्मीर जाता है। यह रास्ता अब बंद कर दिया गया है। दूसरा मार्ग गुफा की ओर जाता है, जहां स्वयंभू शिव की मूर्ति है। गुफा की छत पर सर्पाकृति चित्रकला है, जहां से दूध युक्त जल शिवलिंग पर टपकता रहता है।शिवखोड़ी गुफा के काफी अंदर जाने पर आपको एक सीधा रास्ता भी दिखाई देगा जो सीधा ऊपर जाता है और ऐसा माना जाता है यह रास्ता भगवान शिव ने स्वयं बनाया था और इस रास्ते से स्वर्ग जाया जा सकता है।

शिवालिक पर्वत शृंखलाओं में अनेक गुफाएँ हैं। यह गुफाएँ प्राकृतिक हैं। कई गुफाओं के भीतर अनेक देवी-देवताओं के नाम की प्रतिमाएँ अथवा पिंडियाँ हैं। उनमें कई प्रतिमाएँ अथवा पिंडियाँ प्राकृतिक भी हैं। देव पिंडियों से संबंधित होने के कारण ये गुफाएं भी पवित्र मानी जाती हैं। डुग्गर प्रांत की पवित्र गुफाओं में शिव खोड़ी का नाम अत्यंत प्रसिद्ध है। यह गुफा तहसील रियासी के अंतर्गत पौनी भारख क्षेत्र के रणसू स्थान के नजदीक स्थित है। जम्मू से रणसू नामक स्थान लगभग एक सौ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए जम्मू से बस मिल जाती है। यहां के लोग कटड़ा, रियासी, अखनूर, कालाकोट से भी बस द्वारा रणसू पहुंचते रहते हैं। रणसू से शिव खोड़ी छह किलोमीटर दूरी पर है। यह एक छोटा-सा पर्वतीय आंचलिक गांव है। इस गांव की आबादी तीन सौ के करीब है। यहां कई जलकुंड भी हैं। यात्री जलकुंडों में स्नान के बाद देव स्थान की ओर आगे बढ़ते हैं।

देव स्थान तक सड़क बनाने की परियोजना चल रही है। रणसू से दो किलोमीटर सड़क मार्ग तैयार है। यात्री सड़क को छोड़ कर आगे पर्वतीय पगडंडी की ओर बढ़ते हैं। पर्वतीय यात्रा तो बड़ी ही हृदयाकर्षक होती है। यहां का मार्ग समृद्ध प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। सहजगति से बहते जलस्त्रोत, छायादार वृक्ष, बहुरंगी पक्षी समूह पर्यटक यात्रियों का मन बरबस अपनी ओर खींच लेते हैं। चार किलोमीटर टेढ़ी-मेढ़ी पर्वतीय पगडंडी पर चलते हुए यात्री गुफा के बाहरी भाग में पहुंचते हैं। गुफा का बाहरी भाग बड़ा ही विस्तृत है। इस भाग में हजारों यात्री एक साथ खड़े हो सकते हैं। बाहरी भाग के बाद गुफा का भीतरी भाग आरंभ होता है। यह बड़ा ही संकीर्ण है। यात्री सरक-सरक कर आगे बढ़ते जाते हैं। कई स्थानों पर घुटनों के बल भी चलना पड़ता है। गुफा के भीतर भी गुफाएं हैं, इसलिए पथ प्रदर्शक के बिना गुफा के भीतर प्रवेश करना उचित नहीं है। गुफा के भीतर दिन के समय भी अंधकार रहता है। गुफा के भीतर एक स्थान पर सीढ़ियां भी चढ़नी पड़ती हैं, तदुपरांत थोड़ी सी चढ़ाई के बाद शिवलिंग के दर्शन होते हैं।

शिवलिंग गुफा की प्राचीर के साथ ही बना है। यह प्राकृतिक लिंग है। इसकी ऊंचाई लगभग एक मीटर है। शिवलिंग के आसपास गुफा की छत से पानी टपकता रहता है। यह पानी दुधिया रंग का है। उस दुधिया पानी के जम जाने से गुफा के भीतर तथा बाहर सर्पाकार कई छोटी-मोटी रेखाएं बनी हुई हैं, जो बड़ी ही विलक्षण किंतु बेहद आकर्षक लगती हैं। गुफा की छत पर एक स्थान पर गाय के स्तन जैसे बने हैं, जिनसे दुधिया पानी टपक कर शिवलिंग पर गिरता है। शिवलिंग के आगे एक और भी गुफा है। यह गुफा बड़ी लंबी है। इसके मार्ग में कई अवरोधक हैं। लोक श्रुति है कि यह गुफा अमरनाथ स्वामी तक जाती है।

शिव खोड़ी गुफा में कई ऐसे रहस्य है जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है ऐसा माना जाता है इस गुफा को स्वयं भगवान शिव ने बनाया था। इसकी छत पर त्रिशूल के निशान भी है और सुदर्शन चक्र भी बना हुआ है धार्मिक जगह होने के कारण इसमें किसी भी तरह की रिसर्च की अनुमति नहीं है। इस गुफा के अंदर आपको कबूतर देखने को मिलेंगे लेकिन इसके बाहर इस इलाके में आपको कोई कबूतर नहीं मिलेगा यहां के स्थानीय निवासी कहते हैं कबूतर इतनी ऊंचाई पर पाये ही नही जाते। लेकिन इस गुफा में प्रवेश करते ही आपको कबूतरों की कई प्रजातियां देखने को मिलेंगी,यह कबूतर कहां से आते हैं और कैसे इसके अंदर रहते हैं इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

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