एसपीजी को समझना चाहिए कि पंजाब में है चन्नी सरकार

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एसपीजी को यह समझना चाहिए कि पंजाब में राहुल-चन्नी की सरकार है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

एस0 पी0 मित्तल

कांग्रेस को यह अच्छी तरह पता है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या आतंकवाद के कारण ही हुई थी। कहा जा सकता है कि बदले की भावना की कीमत सबसे ज्यादा कांग्रेस ने ही चुकाई है, लेकिन 5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को लेकर पंजाब के फिरोजपुर में जो दृश्य उत्पन्न हुआ वह देशवासियों को अचंभित करने वाला है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री यदि किसी राज्य में 20 मिनट तक असुरक्षा के माहौल में खड़े रहे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने खराब रहे होंगे। हालांकि विपरीत परिस्थितियों में नरेंद्र मोदी सकुशल एयरपोर्ट पहुंच गए, लेकिन बठिंडा के एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले मोदी ने पंजाब पुलिस के अधिकारियों से कहा कि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को धन्यवाद देना, क्योंकि मैं जिंदा लौट रहा हंू। देश के प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी किसी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए बहुत कठोर है। इस टिप्पणी से जाहिर होता है कि 5 जनवरी को पीएम मोदी का काफिला जब फिरोजपुर के फ्लाई ओवर पर खड़ा था, तब देश के प्रधानमंत्री को जान का खतरा था। यह खतरा इसलिए भी बढ़ा की प्रधानमंत्री के काफिले के सामने ही प्रदर्शनकारी खड़े थे। हालातों को देखकर लग रहा था कि विरोध करने वालों को पंजाब पुलिस का संरक्षण है।

हम सब जानते हैं कि भारत में संघीय व्यवस्था है। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। यदि प्रधानमंत्री किसी राज्य में जाते हैं तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की ही होती है। इसमें यह नहीं देखा जाता कि प्रधानमंत्री किस राजनीतिक दल के हैं। वैचारिक मतभेद के बाद भी राज्य सरकार को प्रधानमंत्री की सुरक्षा करना अनिवार्य है। 5 जनवरी की घटना के बाद पंजाब के सीएम चन्नी कुछ भी सफाई दें, लेकिन यह सही है कि उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का फोन रिसीव नहीं किया। पीएम मोदी जब फिरोजपुर के फ्लाईओवर पर खतरे में थे, तब नड्डा ने सीएम चन्नी से फोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन चन्नी ने नड्डा का फोन रिसीव नहीं किया। इससे चन्नी की नियत का पता लगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दायित्व एसपीजी और आईबी जैसी तजुर्बेकार एजेंसियों के पास भी होता है। एसपीजी और आईबी को अब यह समझना होगा कि पंजाब में राहुल गांधी और चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार है। चन्नी पंजाब के सीएम बने इसका फैसला खुद राहुल गांधी ने किया था।

पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से कितनी नफरत करते हैं। सवाल उठता है कि क्या इस नफरत का खामियाजा ही 5 जनवरी को नरेंद्र मोदी की फिरोजपुर में उठाना पड़ा? यह माना कि चन्नी को मुख्यमंत्री का दायित्व राहुल गांधी के निर्देशों पर ही निभाना होगा, लेकिन चन्नी को यह भी समझना चाहिए कि पंजाब की सीमाएं पाकिस्तान से लगी हुई और पिछले कुछ माह से पंजाब में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां तेज हुई है। राहुल गांधी और चन्नी इस बात से खुश हो सकते हैं कि नरेंद्र मोदी के सामने प्रदर्शनकारी खड़े हो गए और मोदी को रैली में भाषण दिए बगैर ही लौटना पड़ा, लेकिन इससे देश को जो क्षति पहुंची है उसकी भरपाई होना मुश्किल है। राहुल गांधी और चन्नी माने या नहीं, लेकिन 5 जनवरी की घटना से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि भी बिगड़ी है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसियों का भी यह दायित्व है कि वे नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें। भविष्य में फिरोजपुर जैसी घटना नहीं होनी चाहिए। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि करोड़ों लोगों का नेतृत्व करने वाले नायक भी है। देशवासी कभी नहीं चाहेंगे कि नरेंद्र मोदी जैसे शख्स की जान को खतरा उत्पन्न हो।