उत्तर प्रदेश में भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत Spiritual and Cultural Heritage of India in Uttar Pradesh

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मुख्यमंत्री ने 12वीं उ0प्र0 डाक टिकट प्रदर्शनी-‘यूफ़िलेक्स-2022’ का उद्घाटन किया‘यूफ़िलेक्स-2022’ की थीम ‘भारत की समृद्धि, संस्कृति और विकास में उ0प्र0 का योगदान’। डाक विभाग ने अपनी रचनात्मक गतिविधियों के साथ डाक टिकटों के संग्रह को रुचि का क्षेत्र बना दिया। मुख्यमंत्री ने ‘श्रीराम वन गमन पथ-विशेष आवरण व विरूपण’, उ0प्र0 में श्रीराम वन गमन पथ पर स्थित 14 स्थानों के मानचित्र तथा ‘डिफनेटिव स्टाम्प-थीमेटिक पैकेट’ का विमोचन किया। किसी विशिष्ट घटना या कार्यक्रम अथवा महापुरुष से सम्बन्धित डाक टिकट इतिहास को समेटे रहते हैं। उ0प्र0 एक समृद्धशाली राज्य, भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास काल में सर्वाधिक 12 वर्ष
उन्होंने प्रदेश में ही व्यतीत किये, प्रदेश का जनपद चित्रकूट इसका साक्षी। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत उ0प्र0 में निवास करती है। किसी चित्र अथवा ग्राफिक्स के माध्यम से किसी घटना की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उन्हें समझाना आसान, चित्र अथवा ग्राफिक्स गागर में सागर भरने का कार्य करते हैं।
प्रदेश की समृद्धशाली तथा आध्यात्मिक परम्परा को डाक टिकटों तथा स्पेशल कवर के माध्यम से संरक्षित किये जाने की आवश्यकता, जिससे आने वाली पीढ़ी का सहज और सरल तरीके से ज्ञानवर्धन किया जा सके। आगामी 17 अक्टूबर को यहां भगवान बुद्ध से जुड़े हुए
,06 प्रमुख स्थलों पर विशेष परिशिष्ट जारी किये जाएंगे।

लखनऊ। डाक विभाग ने अपनी रचनात्मक गतिविधियों के साथ डाक टिकटों के संग्रह को रुचि का क्षेत्र बना दिया है। इसके माध्यम से डाक विभाग ने वर्तमान को अतीत से जोड़ने का बेहतर प्रयास किया है। डाक टिकटों का संग्रह अनेक रचनात्मक गतिविधियों से हमें जोड़ता है। मुख्यमंत्री यहां ललित कला अकादमी में चीफ पोस्ट मास्टर जनरल उत्तर प्रदेश परिमण्डल द्वारा आयोजित 12वीं उत्तर प्रदेश डाक टिकट प्रदर्शनी ‘यूफ़िलेक्स-2022’ का उद्घाटन करने के उपरान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने ‘श्रीराम वन गमन पथ-विशेष आवरण व विरूपण’ का विमोचन किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश में श्रीराम वन गमन पथ पर स्थित 14 स्थानों के मानचित्र का विमोचन किया। मुख्यमंत्री जी ने ‘डिफनेटिव स्टाम्प-थीमेटिक पैकेट’ का विमोचन भी किया।

           मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उन्होंने यहां जिस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया है, उसमें 300 से अधिक फ्रेम्स लगे हुए हैं। प्रदर्शनी में आजादी के बाद से अब तक जारी हुए डाक टिकटों तथा स्पेशल कवर को देखने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह हमारा सौभाग्य है कि यहां भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम वन गमन पथ पर आधारित विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन किया गया है। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के उन 14 प्रमुख क्षेत्रों को देखने का अवसर प्राप्त होगा। यह एक संग्रह के साथ ही ज्ञानवर्धन व मनोरंजन का माध्यम भी है।

          मुख्यमंत्री ने कहा कि डाक टिकटों का संग्रह एक समय लोगों का शौक हुआ करता था। डाक सेवाओं के बिना जीवन अधूरा समझा जाता था। सभी लोग किसी न किसी रूप में डाक सेवाओं से जुड़े थे। उस समय आवागमन के साधन सीमित थे। दूर संचार की सेवाएं नहीं थीं, अथवा न के बराबर थीं। उन स्थितियों में जीवन के समग्र विकास से जुड़ी तमाम चीजों का केन्द्र बिन्दु पोस्ट ऑफिस हुआ करता था। डाक घर सूचनाओं के आदान-प्रदान, मनी ऑर्डर के माध्यम से पैसे भेजने अथवा एक सामान्य परिवार की छोटी पूंजी को जमा करने के केन्द्र हुआ करते थे।डाक टिकटों का संग्रह उस समय की तकनीक से हमें जोड़ने के साथ ही उस समय पैसे की कीमत के बारे में भी ध्यान आकर्षित करता है। किसी विशिष्ट घटना या कार्यक्रम अथवा महापुरुष से सम्बन्धित जो डाक टिकट जारी होते हैं, वह इतिहास को समेटे रहते हैं। वह अनेक सूचनाएं प्रदान करते हैं, जो वर्तमान पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्धन के साथ संग्रहणीय होते हैं।

            उत्तर प्रदेश एक समृद्धशाली राज्य है। भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास काल में सर्वाधिक 12 वर्ष उन्होंने उत्तर प्रदेश में ही व्यतीत किये थे। प्रदेश का जनपद चित्रकूट इसका साक्षी है। उस समय साधन नहीं थे। इसलिए श्रीराम वन गमन मार्ग की दूरी बहुत ज्यादा लगती है। लेकिन आज साधन हैं। एक-एक स्थल इस बात के गवाह हैं कि भगवान श्रीराम किन मार्गाें के माध्यम से वन में गये थे तथा किस प्रकार उन्होंने उस समय के समाज को सुरक्षित माहौल देने का कार्य किया था।

            मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें अवगत कराया गया है कि आगामी 17 अक्टूबर को यहां भगवान बुद्ध से जुड़े हुए 06 प्रमुख स्थलों पर विशेष परिशिष्ट जारी किये जाएंगे। भगवान बुद्ध का राज परिवार कपिलवस्तु में निवास करता था। उन्होंने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ की धरती पर दिया था। भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक चातुर्मास उत्तर प्रदेश मंे व्यतीत किये थे। उनकी महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर उत्तर प्रदेश में है। भगवान बुद्ध से जुड़े हुए कौशाम्बी तथा संकिसा भी प्रदेश में हैं। इन स्थानों पर देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायी आकर अपनी आस्था को व्यक्त करते हैं। यह संग्रह डाक टिकटों तथा स्पेशल कवर के माध्यम से अतीत को समेटकर इतिहास का वृहद ज्ञानवर्धक कोष हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं। उत्तर प्रदेश ऐसी अनेक घटनाओं का साक्षी है।

          भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत उत्तर प्रदेश में निवास करती है। देश में 04 प्रमुख स्थानों पर कुम्भ का आयोजन होता है। लेकिन जब कुम्भ की चर्चा की जाती है तो सबका ध्यान प्रयागराज की ओर जाता है। कुम्भ की परम्परा को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप मंे वैश्विक मान्यता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष है। जब आजादी की लड़ाई का उल्लेख होता है तो 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर से लेकर 1942 के भारत छोड़ों आन्दोलन तक के सभी घटना क्रम हमारे समक्ष उभर आते हैं।

        उत्तर प्रदेश में जन्मे मंगल पाण्डे ने 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर का शुभारम्भ किया था। धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में मेरठ में इस समर को आगे बढ़ाने का कार्य हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई झांसी में तथा तात्या टोपे बिठूर में इस लड़ाई की अगुवाई कर रहे थे। 1922 में चौरी-चौरा की घटना घटित हुई। इसी तरह काकोरी की घटना तथा भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग स्थानों का योगदान रहा है। इतिहास की पुस्तकों में लिखी गयी बातें अक्सर बच्चों के लिए उबाऊ होती हैं। अगर स्पेशल कवर और स्पेशल डाक टिकट के माध्यम से इन घटनाओं से बच्चों को अवगत कराया जाए तो यह उनके लिए एक संग्रह के साथ ज्ञानवर्धन का माध्यम हो सकता है।

          उत्तर प्रदेश में दुनिया की सबसे उर्वरा भूमि है। सबसे अच्छे जल संसाधन भी प्रदेश में हैं। आज के इस कार्यक्रम में धूप है, लेकिन इसी समय प्रदेश के लगभग 17 जनपद बाढ़ से भी प्रभावित हैं। एक अजीब स्थिति देखने को मिल रही है। ऐसी स्थिति में यदि इन सब चीजों का संग्रह किया जाए तो भविष्य में लोगों को जागरूक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी चित्र अथवा ग्राफिक्स के माध्यम से किसी घटना की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उन्हें समझाना आसान हो जाता है। चित्र अथवा ग्राफिक्स गागर में सागर भरने का कार्य करते हैं। प्रदेश की समृद्धशाली तथा आध्यात्मिक परम्परा को डाक टिकटों तथा स्पेशल कवर के माध्यम से संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है, जिससे आने वाली पीढ़ी का सहज और सरल तरीके से ज्ञानवर्धन किया जा सकेगा।

         इस अवसर पर विधायक नीरज बोरा, अमरेश कुमार तथा जय देवी, उत्तर प्रदेश डाक परिमण्डल के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, डाक टिकट संग्रहकर्ता, विभिन्न स्कूलों के बच्चे तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। टिकट प्रदर्शनी ‘यूफ़िलेक्स-2022’ की थीम ‘भारत की समृद्धि, संस्कृति और विकास में उत्तर प्रदेश का योगदान’ है। डाक विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश के 14 स्थानों को चिन्हित किया गया है, जहां-जहां से भगवान श्रीराम गुजरे थे। इन स्थानों का सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व है। इसी पर आधारित विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन मुख्यमंत्री जी द्वारा किया गया है। इन 14 स्थानों में जनपद अयोध्या, जनपद अयोध्या का तमसा नदी घाट तथा सूर्य कुण्ड, जनपद सुल्तानपुर का सीता कुण्ड, जनपद प्रतापगढ़ का देव घाट, जनपद प्रयागराज का श्रृंग्वेरपुर, राम जेता, भारद्वाज ऋषि आश्रम तथा अक्षय वट, जनपद चित्रकूट का सीता पहाड़ी, महर्षि वाल्मीकि आश्रम, कामदगिरि, रामशैय्या तथा रामघाट शामिल हैं।