पच्चीस साल के कठिन सियासी संघर्षो के बाद कामयाब

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पच्चीस साल के कठिन सियासी संघर्षो के बाद तारुन ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर पत्नी को बैठाने में कामयाब हुये फयाराम वर्मा।

राम जनम यादव

अयोध्या। पच्चीस साल के कठिन सियासी संघर्षों के बाद तारुन ब्लाक प्रमुख की कुर्सी तक पत्नी सुशीला वर्मा को पहुँचाने में कामयाब हुये फयाराम वर्मा।लेकिन उनकी यह लड़ाई आखिरी मुकाम तक पहुँचने में सफल रही।बर्ष 1996 में उन्होंने तत्कालीन ब्लाक प्रमुख व राजनीति के कुशल खिलाड़ी रहे पूर्व मंत्री सीताराम निषाद की पत्नी मधुबाला के खिलाफ ब्लाक प्रमुख पद के लिए चुनाव लड़ा लेकिन उनकी किस्मत ने उनका साथ नही दिया और वो चुनाव हार गये। परन्तु उन्होंने हिम्मत नही हारी।गांधी जी की तरह उनका आखिरी मुकाम तक पहुँचने का संघर्ष जारी रहा।

लेकिन उनके पच्चीस साल के परिश्रम का सपना पत्नी सुशीला वर्मा को ब्लाक प्रमुख बनाने में  साकार हो गया।बर्ष 2000 में उन्होंने गन्ना सहकारी समिति मसौधा में चेयरमैन पद पर चुनाव जीत कर अपनी काबलियत का झंडा फहराया और 2000 से 2015 तक वो समिति के लगातार चेयरमैन रहे।बर्ष 2010 से 2015 के बीच उनकी पत्नी सुशीला वर्मा ग्राम प्रधान पद पर काबिज रही।

आखिरकार पच्चीस साल के सियासी संघर्षो के बाद  श्री वर्मा की पत्नी सुशीला वर्मा ब्लाक प्रमुख की कुर्सी तक पहुँचने में इलाक़ाई भाजपा विधायक इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू के प्रयासों के बाद अपने आखिरी मुकाम तक पहुँचने में कामयाब हो गयी। उनकी जीत का जश्न मनाने में भाजपा समर्थको ने जगह जगह मिष्ठान का वितरण कर पटाखे दागे। फयाराम वर्मा का कहना है की उनकी यह जीत गांव गरीब जनता की जीत है।