सम्मेलन ने किया निराश

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आख़िर विपक्ष का क्या होगा….?

सपा का राज्य एवं राष्ट्रीय सम्मेलन राजधानी लखनऊ में संपन्न हुआ जिसमें प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए सर्वोत्तम साबित हुए हैं उनके नेतृत्व काल में समाजवादी पार्टी लगातार तथाकथित रूप से आगे बढ़ रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष को सपा सुप्रीमो का विश्वासपात्र और बहुत करीबी माना जाता है जिनके नेतृत्व में विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव हुए परंतु पार्टी का कद घटता गया इसी को अच्छा मानते हुए इन्हें पुनः प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। राज्य सम्मेलन में जैसे ही समाजवादी पार्टी ने नरेश उत्तम को उत्तर प्रदेश का सर्वोत्तम घोषित किया पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा की लहर दौड़ गई और कुछ कार्यकर्ता वहां से कुर्सी छोड़ कर बाहर की ओर चल दिए। उसके बाद रही सही कसर सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफ़ेसर ने पूरी कर दी।सपा के कुछ डेलीगेट्स ने ऐसा भी आरोप लगाया कि हमारे भैया जी की ऐसी क्या मजबूरी है जो उत्तम को ही सर्वोत्तम बनाना जरूरी है,ऐसा भैया जी ने क्यों समझा। बहुत से कार्यकर्ता उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाने पर आपत्ति भी जता रहे थे आखिर किसी की ऐसी क्या मजबूरी है जो लगातार हार के बाद भी उत्तम को सर्वोत्तम साबित करने में तुली है। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि कुछ करीबी लोग ही पार्टी को गर्त में ले जा रहे हैं उन्हें भैया जी समझ नहीं पा रहे हैं ऐसा भी दर्द डेलीगेट्स के बातों से सामने आ रहा था।सपा के राज्य सम्मेलन में जितनी भीड़ थी उतनी भीड़ राष्ट्रीय सम्मेलन में नज़र नहीं आ रही थी।


2022 में सरकार समाजवादियों की बनी थी लेकिन मशीनों के द्वारा सरकार छीन ली गई। सपा अगर 3% अधिक वोट प्राप्त कर लेती तो आज प्रदेश में उसकी सरकार होती। सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में तथाकथित राष्ट्रीय पार्टी के नवनियुक्त तथाकथित राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी बात बड़ी बेबाकी से रखी और अपने कार्यकर्ताओं से आवाहन किया कि उन्हें आगामी चुनाव में अपना बूथ और अपना गांव जीतना होगा। एक-एक वोट पर नजर रखनी होगी। सत्ता दल पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में महिलाओं पर अधिक अपराध हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में आज इलाज नहीं मिल रहा है। सपा हर संघर्ष को तैयार है, जेल भरने को भी तैयार है। सपा सुप्रीमो ने सत्ता दल पर हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि आज अस्पताल, स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्था को इसलिए बर्बाद किया जा रहा है ताकि लोग निजी विद्यालयों की ओर अग्रसर हों और सरकार को इन सरकारी संस्थानों को बेचने का मौका मिल सके। इसलिए समय-समय पर आज जनता को जगाना होगा। जैसा कि आप जानते हैं कि केंद्र से राशन मिलना बंद हो गया था लेकिन फिर पता चला कि राज्य में चुनाव आ गए हैं तो मुफ्त राशन की बौछार सरकार ने फिर कर दी है अर्थात जैसे चुनाव आता है राशन फ्री हो जाता है। सपा सुप्रीमो ने सत्ता दल पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसी उद्योगपति के नंबर एक और नंबर दो हो जाने पर हमारे प्रदेश-देश की गरीब किसान मजदूर खुशहाल नहीं होता है उसके लिए उसके कारोबार को बढ़ावा देना आवश्यक होता है। प्रत्येक कार्यकर्ता को अपना गांव और भूत जीतना होगा जिससे कि हमें इस सरकार को बेदखल करने में सफलता प्राप्त हो।

नेताजी का सपना है कि सपा राष्ट्रीय पार्टी बने। हम सभी संकल्प लेते है कि अगले पांच साल में यह सपना साकार करेंगे। उन्होंने कहा कि सपा द्वारा चलाए जा रहे सदस्यता अभियान में बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं। आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो यह अभियान चलता रहेगा। जो लोग समाजवाद में भरोसा रखते हैं वे निरंतर जुड़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि आज केंद्र व राज्य में जो पार्टी है। वो प्रचार और झूठ के दम पर सत्ता में है जब उनका सच सामने आएगा तो वो राजनीति के धरातल पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि हिटलर की सरकार में तो एक ही प्रोपोगेंडा मंत्री था इनकी तो पूरी सरकार की प्रोपोगेंडा से चल रही है। भाजपा सिर्फ प्रोपोगेंडा कर रही है। कोई ठोस कम नहीं किया।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में शायद ही किसी पत्रकार को आमंत्रण पत्र से सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया हो जो भी पत्रकार आया था वह स्वतः स्वेच्छा से सम्मेलन को कवर करने आया था। सपा के सम्मेलन में होल्डिंग की भरमार रही लेकिन डेलिगेट्स की संख्या कम रही सम्मेलन स्थल पूरी तरह से होलडिंग से पटा नजर आ रहा था जिससे लग रहा था कि समाजवादियों का सम्मेलन है।

मुलायम सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगते रहे हैं परंतु उत्तर प्रदेश में तीन बार सीएम रहते हुए भी नेता जी ने अपना खुद का राजधानी में मकान तक नहीं तैयार करवाया था। उन्हें भी राजधानी में अपना मकान तब नसीब हुआ जब उनका पुत्र सीएम बना और सीएम बनने के बाद परास्त हुआ। सत्ता में आई भाजपा ने जब पिता पुत्र से उनका सरकारी मकान खाली कराया तब उन्हें लगा। अर्थात नेता जी को लगा कि हमने समाज के लिए बहुत कुछ किया है अब अपने लिए एक आशियाना भी राजधानी बना लेना ही उचित होगा जो अपने बुढ़ापे का सहारा होगा। कुछ समय के लिए नेता जी को भी राजधानी में आवास के लिए दर-दर भटकना पड़ा था। नेताजी मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े नेता थे जिन्हें आज पूरा विश्व नेता जी के नाम से जानता है। अर्थात हम कह सकते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बाद मुलायम सिंह यादव को ही लोग नेता जी के नाम से संबोधित करते हैं। ऐसे महान व्यक्ति के हाथ से जबसे समाजवादी पार्टी फिसली है तब से लगातार पतन की ओर अग्रसर हो रही है।आज जो बूथ जीतने की बात करता था कहता था कि जो बूथ जीतेगा उसी को पार्टी में पद और कद मिलेगा। आज वही अपना बूथ स्वयं हारकर प्रदेश का मुखिया बना दिया जाता है जिससे कार्यकर्ताओं में संदेश जाता है कि मुझे भी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनना है लेकिन अगर हम अपना बूथ और गांव जीता देंगे तो शायद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ना बन पाए। इसलिए वह सिर्फ पार्टी कार्यालय नेताओं की चक्कर काटता रहता है जनमानस की समस्याओं से दूर रहता है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्र के दौरान एक दिन महिलाओं के नाम किया था जिसमें सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों की महिला सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिसमें सपा की महिला सदस्यों ने भी अपनी बात बड़ी वाकपटुता और चतुराई से रखी थी। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी महिला सदस्यों ने इस एक दिन का सत्र महिला सदस्यों के नाम से खुश खुश थी। यहां पर मुख्य विपक्षी दल शायद नहीं समझ पाया कि आज वह अपने राष्ट्रीय सम्मेलन में भी महिलाओं को बराबर मौका न दे सका । सपा के सम्मेलन में महिला विधायक अपनी बात को बड़ी चतुराई से रखने वाली महिलाओं को बोलने का मौका न मिला न ही मंच पर महिलाओं की भागीदारी दिखी। अगर नजर आई तो सिर्फ और सिर्फ अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव या फिर जया बच्चन । जिसमें प्रदेश की किसी महिला विधायक को मंच पर स्थान तक नसीब न हुआ। यह दुर्भाग्य ही है कि आधी आबादी को साथ लिए बिना लड़ाई की तैयारी कर रही सेना अपने दुश्मनों पर कैसे विजय प्राप्त करेगी। यह सोचने का विषय है जब तक पार्टी की कमान या पार्टी के कर्ता-धर्ता नेताजी हुआ करते थे उस समय महिलाओं की भागीदारी को विशेष ध्यान रखा जाता था और उन्हें प्रोत्साहित किया जाता रहा । आज वह दृश्य देखने को सपा के सम्मेलन में नहीं मिला। सपा के सम्मेलन में मंच पर अगर महिलाओं को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाता तो दृश्य शायद कुछ और ही होता। यही नहीं कि वहां महिला विधायकों का अभाव है वहां अपनी बात काफी चतुराई से रखने वाली महिला या महिला विधायक भी हैं । जिस तरह विधानसभा में महिला सत्र के दौरान रागिनी ने अपनी बात को बड़ी चतुराई से रखी और सरकार की खिंचाई भी की थी अगर वही दृश्य सपा अपने सम्मेलन में प्रस्तुत करवाती तो शायद ही लोगों में और विश्वास बढ़ता अर्थात नई पीढ़ी को मौका देना ही होगा।

समाजवादी पार्टी की तरफ से लाखों की संख्या में समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि इन सम्मेलनों में शिरकत करेंगे ऐसा दावा किया गया था। बात पहले दिन शुरू हुए प्रांतीय सम्मेलन की करें या दूसरे दिन आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की, दोनों दिन मंच पर जब अखिलेश यादव मौजूद, कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। ठीक उसी दौरान मंच के ठीक सामने कार्यकर्ताओं के बैठने के लिए बने ब्लाॅक में लगाई गई कुर्सियां खाली नजर आ रही थीं। मैदान भरना तो दूर की बात थी,समाजवादी पार्टी व्यवस्थापकों की तरफ से जितनी कुर्सियां लगाकर सीटिंग अरेंजमेंट कार्यकर्ताओं के लिए किया गया था। उन कुर्सियों पर भी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं बैठ थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि समाजवादी पार्टी रमाबाई रैली मैदान में इतना बड़ा आयोजन करने का फैसला किया जब इसको भरने की क्षमता ही नहीं थी।चौंकाने वाली बात तो यह है रमाबाई रैली मैदान के मुख्य मंच के सामने कुछ हिस्से को समाजवादी पार्टी की तरफ से कवर किया गया था और कई ब्लॉक बनाकर उनमें कुर्सियों को लगाकर कार्यकर्ताओं के बैठने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन जब मंच पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अखिलेश यादव मौजूद थे तो मंच के ठीक सामने बाएं तरफ बने पहले ब्लॉक की कुर्सियां ही पूरी तरह से खाली नजर आईं। इसके अलावा अन्य ब्लॉकों में लगाई गई कुर्सियां भी खाली नजर आ रही थीं।