जेल में थम नही रहा घटनाओं का दौर

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जेल अभिरक्षा में अस्पताल भेजे गए युवा बन्दी की मौत।लखनऊ जेल में थम नही रहा घटनाओं का दौर।स्थानांतरित होकर आए बन्दी को लगा दिया मशक्कत पर।

राकेश यादव

लखनऊ। पुलिस अभिरक्षा से फरार हुए बन्दी की घटना पर अभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो नहीं पाई थी कि जेल अभिरक्षा से इलाज के लिए अस्पताल भेजे गए युवा बन्दी की मौत हो गयी। संदिग्ध परिस्थितियों में हुई इस मौत ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। चर्चा है कि बन्दी की मौत जेल में ही हो गयी थी किसी अनहोनी से बचने के अधिकारियों ने आनन-फानन में बन्दी की जेल गार्ड से बलरामपुर अस्पताल भेज दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक विचाराधीन बन्दी सुशील कुमार शर्मा को जिला जेल बाराबंकी से लखनऊ जेल स्थानांतरित किया था। सूत्रों का कहना है बीती पांच जनवरी 22 को स्थानांतरित होकर आए बन्दी सुशील को जेल प्रशासन के अधिकारियों ने वसूली व उत्पीड़न की खातिर मशक्कत (काम) पर लगा दिया, जबकि नियम है कि स्थानांतरित बन्दी से कोई काम नही लिया जाएगा। जेल प्रशासन के उत्पीड़न से आजिज बन्दी सुशील कुमार शर्मा की रविवार (30 जनवरी 22) को अचानक तबियत बिगड़ गयी। जेल चिकित्सालय में उपचार के बाद आनन-फानन में जेल गार्ड से बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया। बलरामपुर अस्पताल पहुँचे बन्दी सुशील को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। तीन घंटे के अल्प उपचार के दौरान युवा बन्दी की मौत ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए है। कयास लगाए जा रहे है कि जेल अस्पताल में उपचार के दौरान ही बन्दी की मौत हो गयी थी। बवाल के डर से बन्दी को बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया।

जेलर व पीएसी जवान में हुई भिड़ंत- जेल अधिकारियों व पीएसी जवानों के बीच सामंजस्य नही बैठ पा रहा है। उरई जेल में घटना के बाद राजधानी की जिला जेल में भी जेलर व पीएसी के जवान में भिड़ंत हो गयी। जेलर के गाली-गलौज करने से आक्रोशित पीएसी जवानों व नवनियुक्त वार्डर ने जेल के मुख्य गेट पर प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने समझा बुझाकर किसी तरह मामले को शांत कराया। उधर जेल प्रशासन के अधिकारियों ने पूरे मामले को ही दबा दिया। वह इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचते नज़र आये।

बीते सप्ताह लखनऊ जेल का एक बन्दी सत्यवीर जिसको उपचार के लिए केजीएमयू में भर्ती कराया गया था पुलिस कर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। इस मामले में जेल प्रशासन ने पुलिस अभिरक्षा से हुई फरारी कहकर जेल के दोषी अधिकारियों को बचा लिया। इस मामले में विभाग के आला-अफसर कार्यवाही कर भी नही पाए थे कि इस संदिग्ध मौत की घटना ने जेल अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर इस संबंध में जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बन्दी की मौत होने की पुष्टि तो की लेकिन इसके अलावा इस पर और कोई भी टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया।