400 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप,प्रवर्तन निदेशालय गहलोत सरकार से भी पूछताछ कर सकता

80

अब पता चलेगा कि राजस्थान शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे डीपी जारोली ने किस लालच से संदिग्ध प्रिंटिंग प्रेस और कम्प्यूटर फर्म को रीट परीक्षा का काम दिया।प्रवर्तन निदेशालय गहलोत सरकार के मंत्री सुभाष गर्ग से भी पूछताछ कर सकता है। 400 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नाराजगी और बढ़ेगी।

एस0 पी0 मित्तल

राजस्थान की राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) का प्रश्न पत्र आउट होने और परीक्षा के विभिन्न कार्यों में हुए भ्रष्टाचार की जांच पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी भी करेगा। ईडी की प्रदेश शाखा ने मामला दर्ज कर लिया है। अब तक इस मामले की जांच राज्य की एसओजी कर रही है और एसओजी ने 48 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। लेकिन राज्य सभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का कहना है कि एक हजार करोड़ रुपए के हस घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, मौजूदा तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग और राजस्थान शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे डीपी जारौली जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों की भी भूमिका रही है। डॉ. मीणा ने जो सबूत दिए उसी आधार पर ईडी ने मुकदमा दर्ज किया है। एसओजी ने भले ही डोटासरा और सुभाष गर्ग जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों से रीट घोटाले में पूछताछ नहीं की हो, लेकिन केंद्र सरकार के अधीन आने वाली ईडी ने अब समन जारी कर डोटासरा, सुभाष गर्ग और डीपी जारौली को तलब कर सकती है। रीट परीक्षा के समय डोटासरा स्कूली शिक्षा मंत्री थे, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से निकटता की वजह से तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग का परीक्षा आयोजन में दखल रहा।

सूत्रों के अनुसार गर्ग के दखल की वजह से ही कोलकाता की सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस को रीट के प्रश्न पत्र छापने और अजमेर की कम्प्यूटर फर्म माइक्रोनिक को अभ्यर्थियों से आवेदन मांगने से लेकर ओएमआर शीट को जांच ने तक का काम दिया गया। यानी इन दोनों फर्मों ने ही रीट परीक्षा का काम किया। जबकि कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गत भाजपा शासन में इन फर्मों से शिक्षा बोर्ड ने काम करवाना बंद कर दिया था। कहा जा सकता है कि इन दोनों को शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने ब्लैक लिस्टेड मान लिया था। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि सुभाष गर्ग जब पूर्व में तीन वर्ष तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे, तब इन्हीं दोनों फर्मों से शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं के काम करवाते रहे। रीट परीक्षा के समय बोर्ड अध्यक्ष के पद पर डीपी जारोली कार्यरत थे। ईडी की पूछताछ में जारोली को बताना होगा कि किस लालच और दबाव में रीट परीक्षा का कार्य कोलकाता की सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस और अजमेर की कम्प्यूटर फर्म माइक्रोनिक को दिया गया। मालूम हो कि रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र जयपुर के शिक्षा संकुल स्थित रीट के अस्थाई दफ्तर से लीक हुए थे।

बोर्ड ने यही पर प्रश्न पत्रों के लिए स्ट्रांग रूम बनाया था। एक प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले 10-10 लाख रुपए में बिका। घोटाले में हवाला से भी पैसों का लेनदेन हुआ, इसलिए ईडी की जांच के दायरे में आ गया है। ईडी ने जिस तरह से मामला दर्ज किया है, उससे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रति नाराजगी और बढ़ेगी। गहलोत पहले ही जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप केंद्र सरकार पर लगाते रहे हैं। स्वाभाविक है कि जब मंत्रियों को समन देकर बुलाया जाएगा, तब राज्य सरकार की बदनामी होगी। एसओजी ने भी अपनी जांच में करोड़ों रुपए के लेनदेन की बात को स्वीकार किया है। एसओजी ने जहां अपनी जांच समाप्त की है, वहीं से ईडी जांच शुरू करेगी। ईडी की जांच के दौरान डीपी जारौली का भी पता चल जाएगा। बोर्ड अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए जाने के बाद जारोली का कहना था कि जयपुर में गैर सरकारी व्यक्ति प्रदीप पाराशर और रामकृपाल मीणा को रीट का समन्वयक बनवाने में राजनीतिक दखल था। इस बयान के बाद से ही जारौली लापता है। लेकिन अब ईडी की जांच में तो सामने आना ही पड़ेगा।