डबल इंजन की सरकार के अधिकार पर कुठाराघात

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बात पूर्णयता सच साबित हुई कि केन्द्र सरकार भारत के संघीय ढांचे पर लगातार चोट पहुंचा रही है। ताजा उदाहरण है केन्द्र सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और  विद्युत नियामक आयोग को पत्र भेजा है विदेशी कोयला खरीदो वरना घरेलू कोयले के आवंटन में 7 जून से 30 प्रतिशत और 15 जून से यही कटौती 40 प्रतिशत तक बढ़ा दी जायेगी। यह असैवंधानिक निर्णय एक तरीके से केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की डबल इंजन की सरकार के स्वतंत्र निर्णय लेने के अधिकार पर सीधे कुठाराघात है। जिसे कांग्रेस पार्टी भारत देश के राज्यों को प्राप्त अधिकार के संघीय ढांचे पर चोट के समान मानती है। श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस इस शंका को ध्यान में रखते हुए समय रहते ही विद्युत (संशोधन) अधिनियम 2022 का भी विरोध कर चुकी है। क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के लागू होने से केंद्र सरकार सर्वाधिकार अपने हाथों में रख लेगी। जिसके कारण नियामक आयोग व राज्य सरकार के निर्णय प्रभावित होंगे। जिससे राज्यों के आर्थिक निर्णय और अधिकार केन्द्र के अधीन हो जायेंगे। जिसका सीधा असर राज्यों की जनता पर पडे़गा।

विकास श्रीवास्तव ने कहा है कि भारत में कोयला की कोई कमी नहीं हैं, क्यांकि भारत  कोयला भडारण में पांचवे स्थान पर है।  इसके साथ ही भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक एवं खपत वाला देश है। केंद्र सरकार देश के कुछ अपने मित्र उद्योगपतियों को भारी लाभ पहुंचाने के लिए राज्यों पर विदेशी कोयला खरीदने का दबाव बना रही है। जिस पर उत्तर प्रदेश योगी सरकार ने भी भारी आपत्ति दर्ज कराते हुए आयतित कोयले की टेन्डर प्रक्रिया निरस्त कर दिया । राज्य विद्युत उपाभोक्ता द्वारा अपने आंकलन में भी बताया गया है कि कोल इण्डिया द्वारा विदेशी कोयले की आपूर्ति पर उत्तर प्रदेष के बिजलीघरों को भुगतान के रूप में 11 हजार करोड़ रूपये अतिरिक्त देने पडे़गे। प्रस्तुत तथ्यों से स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार के तीन जिम्मेदार मंत्रालय ऊर्जा, कोयला एवं रेलवे राज्य द्वारा आयातित कोयला न खरीदने का विरोध एक साथ कर रहें हैं और धमकी के साथ उनके घरेलू कोयले के आवंटन में 40 प्रतिषत की कटौती करने की बात कर रही है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा आयातित कोयले की खरीद के टेंडर निरस्त करने के महत्वपूर्ण निर्देशों का दुष्परिणाम तुरंत सामने आया, जब कोल इंडिया ने उत्तर प्रदेश के बिजली घरों को दिए जाने वाले कोयले की मात्रा घटा दी और राज्य विद्युत उत्पादन निगम के बिजली घरों को रोजाना प्राप्त होने वाले 15-17 रैकों के स्थान पर 12-12 रैक ही दिए जाने लगे। जब राज्य सरकार अपने निर्णय पर स्थिर रही तो केंद्र की मोदी सरकार ने किसी भी स्थिति में अपने उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए 31 मई को निर्देश जारी किए हैं कि राज्य को जितने कोयले की आवश्यकता है उसकी मात्रा बताएं, ताकि “कोल इंडिया उतनी मात्रा में सभी राज्यों के लिए विदेशी कोयले की खरीद करके आपूर्ति कर सके”।

कांग्रेस प्रवक्ता श्री श्रीवास्वत ने कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार के इस घृणित कृत्य की भर्त्सना करते हुए राज्य सरकार को आगाह करती है कि वह केंद्र सरकार की जनविरोधी नीति के दबाव में न आते हुए विदेशी कोयले की खरीद न करने के अपने निर्णय से बिल्कुल भी पीछे न हटे। उल्लेखनीय है कि कानूनी लड़ाइयों के चलते कई वर्षों की देरी के बाद भारत का अडानी ग्रुप ऑस्ट्रेलिया स्थित विवादित ‘‘कारमाइकल कोयला खदान’’ से कोयला भारत में स्टोर कर चुका है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप मढ़ते हुए कहा कि भारत में कोयले की कोई कमी नहीं है। इसलिए जब विगत सितंबर में बिजली घरों में देशी कोयले की कमी हुई तो ऊर्जा मंत्री ने विश्वास दिलाया कि कोयले की कमी नहीं होने दी जाएगी। किंतु इस वर्ष भीषण गर्मी में भारतीयों खदानों से कोयले की आपूर्ति जानबूझ कर कम कर दी गई। केन्द्रीय ऊर्जा, कोयला और रेल मंत्री इस कमी के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते रहे। विदेशी कोयले की खरीद का विरोध और विद्युत मूल्यों में वृद्धि न करने के लिए उत्तर प्रदेश कांग्रेस जन-व्यथा निस्तारण समिति के सचिव संजय शर्मा ने विगत मई में राज्य विद्युत नियामक आयोग व मुख्यमंत्री समेत केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री, रेल मंत्री और कोयला मंत्री को पत्र प्रेषित किया था। साथ ही केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग को भी यहाँ की स्थिति से अवगत कराया था। इसके बावजूद तानाषाही रवैया अपनाते हुए अब पुनः उत्तर प्रदेश पर विदेशी कोयले की खरीद का अनुचित दबाव बनाकर मोदी सरकार स्पष्ट तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि इसी संबंध में उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने फिर से राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की है जिसमें मांग की है कि उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करें कि वह प्रदेश के बिजली घरों में भारतीय कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए मोदी  सरकार के अनुचित दबाव में न आए।