बहुमत की बागडोर योगी के हाथ

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उत्तर प्रदेश विधानसभा का गठन 20 मई 1950 को हुआ था। 71 सालों में प्रदेश को 21 मुख्यमंत्री मिले। अब तक ऐसा किसी विधानसभा चुनाव में नहीं हो सका है। यानी योगी भारतीय जनता पार्टी के लिए लकी साबित हुए हैं।उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 1997 से 2002 तकप्रथम बार पांच वर्ष तक शासन किया परन्तु इन 5 वर्षों में 0 3 मुख्यमंत्री भी बदले। 21 सितंबर 1997 को जब भाजपा सरकार बनी तो कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। 02 वर्ष बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदलकर राम प्रकाश गुप्ता को कुर्सी दी गई। इस बदलाव के महज 351 दिन बाद राम प्रकाश गुप्ता को हटाकर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया था।

उत्तर प्रदेश 2017 का चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था और विशाल बहुमत की बागडोर योगी आदित्यनाथ को थमा दी गई। यह चुनाव मोदी-योगी दोनों के चेहरे पर हुआ। एंटी इनकंबेंसी, अंतर्विरोध व मिथकों को धता बते हुए योगी फिर सत्ता पर काबिज होने जा रहे हैं। सीएम बनने के बाद भाजपा के स्टार प्रचारकों में शुमार हो चुके योगी का कद इन नतीजों से मजबूत होगा। मोदी मैजिक भी बरकरार है। मोदी की लोकप्रियता अभी भी शिखर पर है। उनके आते ही बीजेपी के खिलाफ दिखने वाले तमाम फैक्टर बेअसर हो जाते हैं। यूपी में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के जरिए योगी आदित्यनाथ भी लोकप्रियता के पायदान पर दूसरे नंबर पर माने जाने लगे हैं। भविष्य में मोदी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में योगी के नाम की चर्चा शुरू हो गई है। कई फैसलों पर योगी के बढ़े कद का असर भी दिख सकता है।

पांच साल की डबल इनकंबेंसी, कोविड महामारी की भयावह यादें, लॉकडाउन में पलायन का दर्द, बेरोजगारी, महंगाई, किसान आंदोलन… चुनौतियों का पूरा पहाड़ था। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को 4-1 से जीत दिलाई। पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे उस तथ्‍य की पुष्टि करते हैं कि मोदी ही भगवा राजनीतिक के सबसे बड़े ध्‍वजवाहक हैं और उनकी बदौलत भारतीय राजनीति में अभी भाजपा का दबदबा रहने वाला है। नरेंद्र मोदी ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो मुश्किल चुनाव में भी बीजेपी की नैया पार लगा सकते हैं। उनकी लोकप्रियता उत्‍तर प्रदेश में पार्टी की बड़ी जीत के पीछे एक बड़ी वजह रही।

योगी के रिकॉर्ड –

34 साल से चल रहे नोएडा फैक्टर को तोड़ कर जीत हासिल करने वाले मुख्यमंत्री।योगी आदित्यनाथ 15 साल में पहले मुख्यमंत्री होंगे जो विधायक के रूप में शपथ लेंगे। उनके पहले 2007 में मायावती और 2012 में अखिलेश यादव ने विधान परिषद सदस्य रहते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।योगी लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने वाले पांचवें मुख्यमंत्री हैं। इसके पहले 1957 में संपूर्णानंद, 1962 में चंद्रभानु गुप्ता, 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा और 1985 में एन.डी. तिवारी भी ऐसा कर चुके हैं।उत्तर प्रदेश विधानसभा के इतिहास में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले उम्मीदवार।05 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले भाजपा के पहले मुख्यमंत्री।भाजपा शासन में पहली बार ऐसा हुआ, जब 5 साल तक एक ही व्यक्ति मुख्यमंत्री रहा।2007 में मुलायम सिंह के बाद बतौर मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने वाले पहले उम्मीदवार।


सत्ता विरोधी लहर और पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद मोदी के चेहरे के सहारे बीजेपी ने जीत की स्क्रिप्ट लिख दी। इसने यह भी साफ कर दिया कि उत्तराखंड में मोदी का जादू अभी भी बरकरार है। मोदी ने भी जब-तब उत्तराखंड से खुद को जोड़ने की भरपूर कोशिश की। कभी केदारनाथ तो कभी टोपी के सहारे उन्होंने सीएम के चेहरे की बीजेपी की कमजोरी को पूरी तरह ढक दिया। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में पीएम मोदी का उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी पहनने को भी बीजेपी के चुनाव अभियान का हिस्सा समझना चाहिए। ऐसे में अगर उत्तराखंड में बीजेपी के जीत के कोई हीरो हैं, तो वह सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी ही हैं।

उत्‍तराखंड में कमजोरी बन गई ताकत,जीत इस बार, इतनी आसान होगी, इसका अंदाजा शायद बीजेपी को भी नहीं था। पर उत्तराखंड में बीजेपी ने 22 साथों का मिथक तोड़ा। लगातार दूसरी बार बीजेपी ने सत्ता में वापसी की। इसके बावजूद कि उसके सीएम फेस और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड से चुनाव हार गए। उत्तराखंड में बीजेपी की सबसे बड़ी कमजोरी उसके पास कोई बड़ा क्षेत्रीय चेहरा न होना था। लेकिन चुनाव में यह उसकी ताकत बन गई। मोदी के चेहरे ने यह करिश्मा किया। पूरा चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया। चारधाम, ऑल वेदर रोड, दिल्ली-देहरादून हाइवे, फ्री राशन जैसे उनकी सरकार की योजनाओं को इस चुनाव में खूब भुनाया गया।

योगी आदित्‍यनाथ सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों पर मोदी ने पानी फेर दिया। उत्‍तराखंड तो स्‍पेशल केस है। वहां तो मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी चुनाव हार गए मगर बीजेपी मोदी के दम पर सत्‍ता में वापसी कर रही है। गोवा में भी पार्टी ने मोदी की बदौलत जीत की हैट्रिक लगा दी है। मणिपुर में भी भाजपा फिर आ रही है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भाजपा का ऐसा प्रदर्शन दिखाता है कि ब्रैंड नरेंद्र मोदी का जलवा न सिर्फ बरकरार है, बल्कि जनता के सिर चढ़कर भी बोल रहा है।

विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग साफ हो गए हैं। लगभग दो महीने लंबी चली कवायद के बाद अब सबकी निगाहें नतीजों पर रही हैं। प्रदेश में 403 सीटों के लिए सात चरणों में मतदान हुए थे। भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है। लखनऊ स्थित पार्टी मुख्‍यालय पर समर्थकों ने नरेंद्र मोदी और योगी आदित्‍यनाथ के पोस्‍टर लगा दिए। चुनाव आयोग के मतगणना से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की 403 सीटों में (41.3 % वोटों के साथ)273 सीट पर भाजपा गठबंधन (भाजपा-255) जीती है।

मुख्य विपक्षी दल समाजवादी गठबंधन (सपा-111) ने (34.90 % वोटों के साथ) 125 सीटों पर जीती है। इसके अलावा भाजपा की सहयोगी दल अपना दल (एस)12 एवं निषाद पार्टी 06 सीट पर और सपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) 08 एवं सुभासपा 06 सीट पर जीती है। जबकि, कांग्रेस 02 और बसपा के उम्मीदवार 01 सीट पर जीत दर्ज़ की है।वहीं, रुझानों में सीएम योगी गोरखपुर शहर सीट से (165499)तो अखिलेश यादव करहल सीट से(148916) जीत दर्ज़ की है, जबकि बीजेपी का साथ छोड़ सपा का दामन थामने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य फाजिलनगर विधानसभा सीट पर हार गये हैं।

उत्तर प्रदेश के 24 जनपदों में सिर्फ भगवा ही लहराया बाकी दलों का सूपड़ा साफ हो गया। इन जनपदों की 127 सीटों पर सिर्फ कमल ही खिला जिसमें सपा का गढ़ माना जाने वाला कन्नौज भी शामिल है। मुख्यमंत्री का गृह जनपद गोरखपुर से सभी 09 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते कुशीनगर 05, गोंडा 07, देवरिया 07, गाजियाबाद 05, हापुर 03, गौतमबुध नगर 03, उन्नाव 06, बुलंदशहर 07, फर्रुखाबाद 05, कन्नौज 03, पीलीभीत 04, आगरा 09, अलीगढ़ 07, मथुरा 05, राबर्टगंज 04,झांसी 04, महोबा 02, हमीरपुर 02, ललितपुर 02, हरदोई 08, लखीमपुर खीरी 08 सीटों पर एकतरफा भाजपा का कब्जा रहा। वही इसके विपरीत 04 जनपदों में सिर्फ सपा गठबंधन का कबजा रहा है आजमगढ़ 10, अंबेडकरनगर 05, कौसाम्बी 03 व शामली 03 की सभी सीटों पर सपा गठबंधन का कबजा रहा है।

भाजपा का मजबूत संगठन के चलते विपक्षी दलों पर भारी पड़ा,गरीबों को आवास निशुल्क राशन व महिला सुरक्षा व सुरक्षा का माहौल के चलते जनता का भरोसा बरकरार रहा। वही इसके विपरीत सपा दलबदलू को तहरीर देकर टिकट वितरण किया एवं टिकट वितरण में देरी उम्मीदवारों व संगठन के बीच समन्वय का अभाव तथा घोषणा पत्र के वादों को जनता तक पहुंचाने में असफल रहना रहा है।उत्तर प्रदेश में भाजपा गठबंधन को 42% वोट मिले पिछले चुनाव में यह 39.17 फ़ीसदी से करीब 3 फ़ीसदी ज्यादा है मगर सीटें 52 कम हुई हैं लेकिन सत्ता प्राप्त करने में कामयाब रही।समाजवादी पार्टी की सीटें लगभग ढाई गुना बढ़ी और पिछली बार की 21.82% से बढ़कर 32% के करीब रहा जो 10% बढ़ा है मगर सत्ता से बहुत दूर रह गई।बसपा को 13% कांग्रेस को ढाई परसेंट वोट मिले सपा रालोद गठबंधन को करीब 35% वोट मिला है।

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