पृथ्वी पर एक स्वर्ग है…..

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कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा गया है और ऐसा कहना भी गलत नही है। यहां की बर्फ से ढकी चोटिया हरे भरे पहाड कल कल करती नदियां झीले इसे धरती की जन्नत का दर्जा दिलाती है। कश्मीर का कोने कोने मे कुदरत ने प्रकृति को इस तरह सजाया है कि मानो साक्षात धरती पर ही स्वर्ग उतार दिया हो। लद्दाख कश्मीर का एक खुबसूरत जिला है। लद्दाख का क्षेत्रफल 97776 वर्ग किलोमीटर है। लद्दाख समुन्द्र तल से लगभग 3524 मीटर की ऊचाई पर बसा है। लद्दाख इतिहास के पन्नो में शुरू से ही रहस्यो से परिपूर्ण भूमि के रूप में जाना जाता है। इसे पृथ्वी की छत कहना अनुचित नही है। यहां ओर पहाडो की तरह हरियाली तो नही है। पर यहा के बर्फ से ढके पहाड सैलानी को अपनी ओर आकर्षित करते है। लद्दाख का अर्थ ही पर्वतो का देश है। इसके अलावा अनेक जातियों संस्कृतियों एवं भाषाओ का संगम लद्दाख अपनी विशिष्टताओ के कारण देशी विदेशी पर्यटको के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।

लेह जो जगह है वो लद्दाख जिले के अंतर्गत आता है और यह लद्धाख पहले जम्मू कश्मीर का हिस्सा था लेकिन अब लद्दाख को एक केंद्र शाशित प्रदेश बना दिया गया है। ये जो लेह है ये लद्दाख का सबसे फेमस जगह है। ये जगह अपने मठो खुबसूरत स्थानों ठंडी झीलों और अपने कल्चर के के लिए माना जाता है। यहाँ का जो रास्ता है वो बहुत ही कठिन है और यहाँ पर फैले रेगिस्तान को ठंडा रेगिस्तान कहते है। कही शांत ,कही महीन जलधार,कही ठहरती-उफनती चौड़ी नदी। नदी पार किनारे-किनारे रंगा-रंग पर्वत शिखर, कही नीले,कही हरे, काही हल्के बैगनी शुरू होती है, सिंधु नदी की आँखमिचौनी कभी दूर,कभी पास ,कभी गुम ,कभी एकदम से साथ -साथ। नदी मे जगह -जगह साइबेरिया के प्रवासी पक्षियो के झुंड,हंसो के कल्लोल का अदभूत दृश्य होता है।

दुनिया भर की सबसे शक्तिशाली पर्वत श्रृंखलाओं हिमालय और काराकोरम से घिरा हुआ लेह लद्दाख वास्तव में पृथ्वी पर एक स्वर्ग है। लद्दाख उन सभी क्षेत्रों में से एक है, जो प्रकृति, भूगोल, विज्ञान से लेकर मामूली संस्कृतियों को कवर करता है। गोम्पस से लेकर मोमोज तक, इस शहर में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। जम्मू और कश्मीर राज्य को तीन भागों में बांटा गया है,जम्मू, कश्मीर और लद्दाख। लद्दाख, आगे दो जिलों में विभाजित है: जिला लेह और जिला कारगिल। पूर्व जिले में एक लोकप्रिय शहर “लेह” है जो अपने सुंदर मठों, सुरम्य स्थानों और दिलचस्प बाजारों की वजह से एक महान पर्यटक आकर्षण है।लद्दाख जिसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाता हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती आपको अपना दीवाना बना देगी। मठों का भ्रमण, पर्वतों की लंबी पैदल यात्रा और झीलों द्वारा डेरा लगाना लद्दाख के कुछ बेहतरीन आकर्षण हैं जिन्हें एक्सप्लोर करने के लिए टूरिस्ट बाइक से लद्दाख का टूर बनाते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य, शांत प्राकृतिक वातावरण और मनोहर दृश्यों की वजह से लद्दाख और इसके आसपास की जगहों को बहुत पसंद किया जा रहा हैं।

लद्दाख और तिब्बत के बीच 4,595 मीटर की ऊंचाई पर स्थित त्सो मोरीरी झील भारत की सबसे ऊंची झील है। त्सो मोरीरी झील पैंगोंग झील की जुड़वां झील है, जो चांगटांग वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है। बता दें कि यह झील यहां आने वाले सैलानियों को सुंदर वातावरण और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करती है। त्सो मोरीरी झील लगभग 28 किमी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है और इसकी गहराई लगभग 100 फीट है। आकर्षक त्सो मोरीरी झील सुंदर बर्फ से ढके पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ बंजर पहाड़ियों से घिरी हुई है। वैसे इस झील के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं इसलिए यहां पर्यटकों की ज्यादा भीड़ नहीं होती है।

तुरतुक गाँव में हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध तीनों धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। यह गांव श्योक नदी के तट पर स्थित है, जहां जाने के बाद आपको काफी सुंदर और बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा। यह भारत द्वारा 1971 ई० में पाकिस्तान से छीना गया गांव है, जो वर्तमान समय में भारत का एक हिस्सा बन चुका है। यह गांव चारों ओर से पहाड़ों से घिरे होने के साथ-साथ श्योक नदी के तट पर बसा हुआ है, जहां जाने के बाद एक अलग ही दुनिया का अहसास होता है।

ऊंचाई पर मौजूद पैंगॉन्ग झील अपने खूबसूरत नज़ारों के लिए पॉपुलर है। लेह से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस झील तक चांगला पास को पार कर पहुंचा जा सकता है। इस झील का नीला पानी आपकी आंखों को सुकून देगा। यहां तक पहुंचने के लिए आपको इनर लाइन परमिट की ज़रूरत पड़ेगी। यहां जाने के लिए अप्रैल से सितंबर का महीना बेहतर होता है। लेह लद्दाख में एक खूबसूरत जगह होने और कई फिल्मों की शूटिंग के लिए हॉट-स्पॉट होने के कारण इस झील को काफी लोकप्रियता मिली है। पैंगोंग झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता, क्रिस्टल जल और कोमल पहाड़ियों और क्षेत्र के सुंदर परिदृश्य के कारण लेह-लद्दाख का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।