प्रदेश पर केंद्र की हो कड़ी निगरानी

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श्याम कुमार

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”] उत्तर प्रदेश पर केंद्र की कड़ी निगरानी हो मैं काफी समय से लिख रहा था कि उत्तर प्रदेश में अनेक मंत्रियों, विधायकों एवं अफसरों के आचरण से सरकार की छवि पर बुरा असर पड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही ‘बुलडोजर बाबा’ के रूप में ख्याति अर्जित कर रहे थे, लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि कई मंत्री उनकी इच्छा के अनुरूप परिणाम नहीं दे रहे हैं। एक मंत्री को भ्रम था कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी मोदी की लोकप्रियता के दम पर नहीं, बल्कि उनके कारण जीती है। उनका निकम्मापन, अहंकार एवं भ्रष्टचार भारतीय जनता पार्टी की साख को क्षति पहुंचा रहा था। ऐसे अन्य अनेक मंत्री थे। यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री मोदी समय रहते परिस्थिति को भांप गए और उन्हें पूरा बोध है कि लोकसभा का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरेगा। इसलिए लोकसभा के चुनाव में भाजपा को अधिक से अधिक सीटें जीतनी होंगी। यदि देश का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करना है तो अगले लोकसभा-चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को तीन-चौथाई बहुमत मिलना अतिआवश्यक है। किन्तु ऐसा तभी संभव होगा, जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अधिक से अधिक सफल व लोकप्रिय हो तथा उसके मंत्री, विधायक एवं अफसर जनता के कल्याण के लिए दिनरात पूरी तरह समर्पित रहें।

उत्तर प्रदेश का जो नया मंत्रिमंडल गठित हुआ है, यदि केंद्रीय नेतृत्व ने उस पर कड़ी निगाह नहीं रखी और नए मंत्री पिछले मंत्रियों की तरह ही आचरण करने लगे तो केंद्रीय नेतृत्व की सारी आकांक्षाएं विफल होंगी। इसके लिए सबसे अधिक जरूरी है कि सभी मंत्री ऐशोआराम में डूबने के बजाय दिनरात जनता की सेवा में अपना पूरा समय लगाएं। मंत्रियों के आवास एवं कार्यालय जिस तरह पांचसितारा वाले बना दिए गए हैं, उसमें रमकर जनता की सेवा की बात भूल जाना स्वाभाविक है। पिछली सरकार में ऐसा ही तो हुआ। जब मंत्री राजसी सुख भोगेंगे और नित्य हजार लोग चरणों पर झुके रहेंगे तो मंत्री का अहंकारी एवं धनलोलुप हो जाना स्वाभाविक है। पिछली बार यह बुराई बुरी तरह हावी हो गई थी और मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार इंगित किए जाने के बावजूद मंत्री अपनी ही चाल से चलते रहे। नए मंत्रियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अरविंद कुमार शर्मा को सौंपी गई है। उन्हें नगर विकास एवं ऊर्जा, दो भारीभरकम विभाग दे दिए गए हैं। वैसे, यह प्रथा बहुत गलत है। किसी भी व्यक्ति में कार्य करने की एक सीमा होती है। निश्चित है कि एक ही व्यक्ति इन दो भारीभरकम विभागों का दायित्व सफलतापूर्वक नहीं संभाल सकता है। उचित होता कि ये दो महत्वपूर्ण विभाग अलग-अलग व्यक्तियों को सौंपे जाते।

अब देखना है कि अरविंद कुमार शर्मा दोनों विभागों का दायित्व कितनी सफलता से निभाते हैं। उनके बारे में तो अभी से चर्चा होने लगी है कि उन पर अहंकार हावी होने लगा है। लोग बता रहे हैं कि उनसे मिल पाना एवं दूरभाष पर उनसे बात हो पाना दुर्लभ है। एक बहुत वरिष्ठ पत्रकार ने भी यही शिकायत की। मंत्री के स्टाफ को नंबर लिखाने पर भी अरविंद कुमार शर्मा पलटकर फोन नहीं करते हैं। यदि अरविंद कुमार शर्मा आशुतोष टंडन(गोपालजी), श्रीकांत शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य आदि की तरह आचरण करेंगे तो तय बात है कि वह जनता का भला करने में पूरी तरह विफल होंगे। अरविंद कुमार शर्मा के दोनों विभाग जनता से निकट रूप से जुड़े हुए हैं, इसलिए उन्हें आरामतलबी पूरी तरह भूलकर जनता के अधिक से अधिक निकट रहना पड़ेगा और दिनरात उसकी सेवा में जुट जाना होगा। उन्हें अपने विभागों में भ्रष्टाचार पर भी बेहद कड़ाई से अंकुश लगाना होगा। अरविन्दकुमार शर्मा को जनता के अनुरोधों पर अविलम्ब कारगर कार्रवाई करनी होगी तथा उसकी समस्याओं का तुरंत निवारण करना होगा। उन्हें अफसरों के बजाय जनता की बात को सही मानना होगा। अन्यथा पिछली सरकार में नगर विकास एवं लोकनिर्माण विभाग के अफसर बराबर कहते रहे कि सड़कें पूरी तरह गड्ढामुक्त कर दी गई हैं तथा मंत्री भी अफसरों की बात दुहराते रहे। जबकि हकीकत बिलकुल उलटी थी।

अरविंद कुमार शर्मा को चाहिए कि अपने स्टाफ को विनम्रता से पेश आने का निर्देश भी दें। बेबीरानी मौर्य को उत्तराखण्ड के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिलाकर उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय किया गया। विधानसभा-चुनाव के समय कयास लगाए जा रहे थे कि शायद प्रधानमन्त्री मोदी योगी आदित्यनाथ को केंद्र में मंत्री बनाएंगे तथा बेबीरानी मौर्य को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। नए मंत्रिमंडल में गुलाब देवी एवं संदीप सिंह को स्वतंत्र प्रभार दिए जाने की बहुत सराहना हो रही है। गुलाब देवी लम्बे समय से मंत्री हैं, फिर भी उनका जीवन बहुत सीधासादा एवं व्यवहार पूर्णरूपेण अहंकारमुक्त है। काफी समय से मंत्री पद पर रहने के बावजूद उनके घर में धोबी का काम अभी भी पूर्ववत होता है। संदीप सिंह कल्याण सिंह के पौत्र हैं तथा मंत्री बनने के बावजूद उन्होंने अपनी सरलता नहीं छोड़ी है। यदि वह सही रास्ते पर चले तो आगे उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल होगा। किन्तु इसके लिए उन्हें जनता को आसानी से निरंतर उपलब्ध रहना होगा।

नंदगोपाल नंदी को औद्योगिक विकास के रूप में बहुत महत्वपूर्ण विभाग मिला है। अब यह उन पर निर्भर करता है कि वह अवसर का सदुपयोग करें तथा पूरी ईमानदारी एवं जनता की सेवा के प्रति समर्पणभाव से अपनी योग्यता सिद्ध करें। उन्हें अहंकार से पूर्णरूपेण दूर रहना चाहिए। नन्दी प्रयागराज के निवासी हैं, जो आजादी के बाद बहुत उपेक्षित कर दिया गया। उन्हें प्रयागराज को पुराना गौरव दिलाने में विशेष रूप से सक्रिय होना चाहिए। अनिल राजभर श्रम मंत्री बनाए गए हैं, जिन्हें इस विभाग में स्वामी प्रसाद मौर्य की लाइन से अलग हटकर चलना होगा। असीम अरुण योग्य एवं ईमानदार पिता के पुत्र हैं। उनके पिता श्रीराम अरुण लखनऊ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे थे। असीम अरुण को भाजपा का राष्ट्रवाद आत्मसात करना होगा तथा जनता के लिए हरसमय अपनी उपलब्धता रखनी होगी। जितिन प्रसाद को भारीभरकम लोकनिर्माण विभाग मिला है। उन्हें चाहिए कि प्रदेश की सड़कों को पूरी तरह आदर्श रूप दें। उन्हें अफसरों की आंकड़ेबाजी में फंसने के बजाय स्वयं प्रदेशभर की सड़कों का गहन निरीक्षण करना चाहिए। उन्हें सड़क मार्ग से ही अपनी यात्राएं करनी चाहिए तथा उन सड़कों पर भी जाते रहना चाहिए, जहां पहले मंत्री नहीं जाते थे। जो मंत्री कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में आए हैं, उन्हें समझना होगा कि कांग्रेस और भाजपा के चरित्र में जमीन-आसमान का अंतर है। उन मंत्रियों को कांग्रेस का फर्जी सेकुलरवाद पूरी तरह त्यागकर शुद्ध राष्ट्रवादी बनना होगा। उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निकट रहकर राष्ट्रवाद की प्रेरणा लेनी होगी। [/Responsivevoice]