
जब सनातन धर्म को खत्म करने का विचार है तो फिर सर्वधर्म सम्भाव कैसे हो सकता है? इसे कहते हैं मुंह में राम बगल में छुरी। इसे कहते हैं मुंह में राम बगल में छुरी..!

16 व 17 सितंबर को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई। इस बैठक में कहा गया कि कांग्रेस तो सर्वधर्म सम्भाव में विश्वास करती है। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया कि विपक्ष को एकजुट करने के लिए जो इंडिया गठबंधन बनाया गया है उसे और आगे बढ़ाया जाएगा तो फिर सर्वधर्म सम्भाव की बात कैसे होगी? गठबंधन के प्रमुख सदस्य डीएम के ने स्पष्ट तोर पर कहा है कि सनातन धर्म को खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि यह मलेरिया, डेंगू और कोरोना जैसे रोग है। गंभीर बात तो यह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के पुत्र और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खडग़े तथा पी चिदंबरम के सासंद पुत्र कार्तिक चिदंबरम ने भी डीएमके जैसी भाषा बोली है।
मल्लिकार्जुन खडग़े और पी चिदंबरम जैसे नेता ही कांगेस के नीति निर्धारक हैं। डीएमके के बयान पर गांधी परिवार के तीनों प्रमुख सदस्यों ने चुप्पी साध रखी है। किसी ने भी डीएमके के बयान की आलोचना नहीं की है। कांग्रेस की गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह तो पहले ही कह चुके हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। ऐसी सोच के होते हुए सर्वधर्म समभाव की बात कैसे मानी जा सकती है…? यदि सनातन धर्म को ही खत्म कर दिया जाएगा तो फिर सर्वधर्म समभाव कैसे होगा? कांग्रेस की कार्य समिति का निर्णय मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। पांच राज्यों के विधानसभा और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव को देखते हुए अभी तो सर्वधर्म समभाव की बात कही जा रही है, लेकिन यदि इंडिया गठबंधन को केंद्र में सरकार बनाने का अवसर मिल गया तो सनातन धर्म को खत्म कर देने वाली सोच ही आगे बढ़ेगी।
एक तरफ ऐसा गठबंधन है जिसमें सनातन धर्म को समाप्त करने वाली सोच के लोग शामिल हैं, दूसरी तरफ पीएम मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन है जो हमेशा सनातनी नजर आता है। संसद के नए भवन की शुरुआत भी गणेश चतुर्थी से की जा रही है। असल में सनातन धर्म किसी दूसरे धर्म को खत्म करने की शिक्षा नहीं देता है। कांग्रेस को तो यह बताना पड़ रहा है कि यह सर्वधर्म समभाव को मानेगी, जबकि सनातन धर्म विश्वास रखने वाले तो मानते ही हैं कि हमें दूसरे धर्म को समाप्त करने की बात कर रहे हैं, वे आज भी अपने प्रदेशों में सत्ता का सुख भोग रहे हैं। यही सनातन धर्म की महानता है। यदि किसी और धर्म को खत्म करने की बात कही जाती है तो अब तक गर्दन कट जाती। इसे कहते हैं मुंह में राम बगल में छुरी..!