यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था

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उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष, हृदय नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में आज यूनिसेफ द्वारा कोविड़-19 बच्चों पर प्रभाव एवं उनकी सुरक्षा पर एक आनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें 50 से ज्यादा विधान सभा सदस्यों एवं यूनिसेफ के पदाधिकारियों ने भाग लिया।परिचर्चा का प्रारम्भ कोविड-19 महामारी के दौरान दिवंगत हुए विधायकों एवं विधान सभा के अधिकारियों, कर्मचारियों को श्रद्धांजलि देकर किया गया। सभा को सम्बोधित करते हुए श्री दीक्षित ने कहा कि विधान सभा कार्यालय और विधान सभा सदस्यों ने समय-समय पर बच्चों के जीवन में आने वाली चुनौतियों का संज्ञान लिया है और गम्भीर चर्चा की है। सदन की महिला एवं बाल विकास सम्बन्धी संयुक्त समिति नियमित रूप से बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा एवं शिक्षा पर चर्चा करती है और प्रदेश में इन मुददो की समीक्षा करती है ।


अध्यक्ष ने कहा कि यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। जो विश्व भर के 190 देशों में बाल अधिकारों को बढ़ावा देने का कार्य करती है। यूनिसेफ का प्रयास हमेशा सबसे कमजोर और जरूरतमंद बच्चों को उनके अधिकार दिलाने का होता है। बाल अधिकारों के सन्दर्भ में यूनिसेफ ने बड़ा सहयोग और प्रशंसनीय कार्य किया है।उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस महामारी से झूझने में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पायी है। उन्होंने भारत के संघीय ढ़ांचे के अन्तर्गत बार-बार मुख्य मंत्रियों से परामर्श लिया है। यह अपने आप में अनूठा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस महामारी से लड़ने के लिए अद्वितीय प्रबन्धन किया है। जिसे मैक्रो प्रबन्धन भी कह सकते है। अनेक ऐसे गरीब परिवारों के बच्चों जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है और बच्चे अनाथ हुए है। उनके लिए मुख्यमंत्री द्वारा विशेष बाल सेवा योजना लागू की गयी है जिसके अन्तर्गत प्रदेश सरकार ऐसे बच्चों की सम्पूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करेगी और 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक प्रति माह 4000 रुपये दान करेगी। कन्याओं के विवाह 1.01 लाख रुपये की धनराशि से आर्थिक सहायता दी जायेगी।


विधान सभा में कोविड़ 19 के संकट में विधान सभा के सदस्यों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संकट की इस घड़ी में जनता के लिए वह हमेशा उपलब्ध रहे। हर किसी को सुविधा प्रदान कराने का प्रयास किया है। कोविड़ काल में अन्य प्रदेशों के आये प्रवासी मजदूरों को आवास एवं भोजन और उनके गंतव्य स्थानों पर पहुचाने का काम किया। अपने वेतन का 30 प्रतिशत कोविड़ केयर फण्ड में दान दिया है। 01 वर्ष की विधायक निधि कोविड़ के लिए उपलब्ध कराया है।  विधान सभा के सभी सदस्यों ने कोविड महामारी के दौरान अपने क्षेत्रों में बहुत परिश्रम किया है। प्रवासी मजदूरों की सहायता से ले कर राशन उपलब्ध करना, रोगियों को उपचार दिलाना, जन जागरूकता बढ़ाना आदि कार्य हर क्षेत्र में किए गए हैं। कोविड से प्रभावित बच्चों के अधिकारों के प्रति भी सभी सदस्य कटिबद्ध हैं एवं अपना पूर्ण योगदान दे रहे है।


यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस, रूथ लीयनो ने कहा, विगत वर्षों में यूनिसेफ ने माननीय सदस्यों के साथ मिल कर बाल अधिकार से जुड़े विषयों पर कार्य करने का प्रयास किया है। कोविड 19 महामारी ने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आदि सभी को प्रभावित किया है। महामारी की दूसरी लहर में कुछ बच्चों ने अपने माता पिता को खोया है और ऐसे बच्चों की सुरक्षा और उचित देखभाल सुनिश्चित करने में उत्तर प्रदेश सरकार ने सरहनीय कदम उठाए हैं।परिचर्चा के दौरान प्रदेश के विभिन्न कोविड प्रभावित बच्चों ने अपने अनुभव भी साझा किए जिसके उपरांत माननीय सदस्यों द्वारा बालाधिकार संरक्षण में जन प्रतिनिधियों की भूमिका पर चर्चा की गई।यूनिसेफ की हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ कानुप्रिय सिंघल द्वारा महामारी के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला गया। सत्र के दौरान डॉ सिंघल ने सदस्यों द्वारा तीसरी लहर एवं टीकाकरण आदि विषय पर पूछे गए प्रश्नों के भी उतर दिये।यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम मैनेजर श्री अमित महरोत्रा ने बताया कि कैसे कोविड 19 बच्चों के लिए दोहरी विपदा का समय है और उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। उन्होंने महामारी का बच्चों पर प्रभाव विषय पर चर्चा की।सत्र के दौरान माननीय सदस्यों ने बच्चों के अधिकारों के प्रति कार्य करने की प्रतिज्ञा की एवं एक संयुक्त घोषणा पत्र भी जारी किया।विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने पारिचर्चा में भाग लेने के लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।