समान नागरिक संहिता लागू हो…

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श्याम कुमार

लखनऊ। स्वर्गीय चन्द्रभानु गुप्त द्वारा स्थापित बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं प्रतिष्ठित संस्था ‘विचार मंच’ द्वारा ‘समान नागरिक संहिता’ विषय पर फोन-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता अविलम्ब लागू की जानी चाहिए। हमारे संविधान में नीतिनिर्देशक सिद्धांत के रूप में यही मंशा व्यक्त की गई है, लेकिन वोटबैंक की भूखी सरकारों ने अब तक संविधान की इस इच्छा की उपेक्षा की।मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल ने कहा कि समान नागरिक कानून लागू किए जाने में बहुत विलम्ब हो चुका है, जिससे देश का बहुत नुकसान हुआ है। इस विलम्ब का फायदा अलगाववादी तत्व उठा रहे हैं। केंद्र सरकार को किसी विरोध की परवाह न कर देशहित में समान नागरिक संहिता तुरंत लागू करनी चाहिए। सर्वाेच्च न्यायालय भी केंद्र सरकार से इस दिशा में अग्रसर होने के लिए कई बार कह चुका है।


संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ‘समाचार वार्ता’ के सम्पादक श्याम कुमार ने कहा कि हमारे देश में गोवा में समान नागरिक कानून पहले ही लागू है तथा उत्तराखण्ड सरकार भी इस दिशा में सक्रिय है। अतः केंद्र सरकार को भी ‘एक देश, एक कानून’ का सिद्धांत अपनाकर इस दिशा में अब तुरंत आगे बढ़ना चाहिए।सुविख्यात अर्थशास्त्री प्रो. अम्बिका प्रसाद तिवारी एवं वरिष्ठ मजदूर नेता व विश्लेषक सर्वेशचंद्र द्विवेदी ने कहा कि हमारे यहां जो कट्टरपंथी मुसलिम तथा विभिन्न विभाजनकारी तत्व हैं, वे समान नागरिक कानून न होने का फायदा उठा रहे हैं तथा इससे अलगाववाद की भावना का पोषण हो रहा है। बिलकुल इसी प्रकार अनुच्छेद ३७० के होने से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी तत्वों को बल मिल रहा था तथा एक झटके में जब उस अनुच्छेद को हटा दिया गया तो जम्मू-कश्मीर राज्य तेजी से विकास के पथ पर बढ़ने लगा है।


वरिष्ठ समाजसेवी सुशीला मिश्र एवं हरिप्रकाश ‘हरि’ ने कहा कि मुसलिमों का कट्टरपंथी वर्ग देशहित के हर काम का विरोध करता है। जब फौजदारी के मामले में देश में समान कानून लागू है तो सिविल मामलों में समान कानून क्यों न हो? मजहबपरस्त कट्टरपंथी मुसलिम अपने लिए उन इसलामी कानूनों को लागू करने की मांग क्यों नहीं करते हैं, जिसमें हाथ काटने या पत्थर मारकर जान से मारने की सजा की व्यवस्था है।पत्रकार डाॅ. हरिराम त्रिपाठी एवं राजीव आहूजा ने कहा कि केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता कार्यान्वित करने के सम्बंध में उत्तराखण्ड की सरकार की तरह आयोग गठित करना चाहिए, जो सभी पहलुओं पर विचार करे।संगोष्ठी में दो दर्जन से अधिक इन पत्रकारों, विश्लेषकों, समाजसेवियों, अधिवक्ताओं, साहित्यकारों, छात्र नेताओं आदि ने भी विचार व्यक्त किए और कहा कि मुसलिमों को हर बात में मजहब प्रविष्ट कर देने की आदत छोड़नी चाहिए, क्योंकि इसी प्रवृत्ति से देश का विभाजन हुआ तथा अभी भी नुकसान हो रहा हैः- राजेश राय,दिनेश कुमार गर्ग, सचिन त्रिपाठी, शिवचरण चौहान, सुरेंद्र अग्निहोत्री, विजय कुमार निगम, शेखर पंडित, आमोद श्रीवास्तव, राजू यादव, अनुराग मिश्र, कृष्णानंद त्रिपाठी, कृष्णचंद्र भार्गव, सूर्यभानु सिंह गौतम, डाॅ. अजयदत्त शर्मा, मुरलीधर सोनी, अंकुर, नितिन, अशोक साहू, आदि।