UP में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं-अखिलेश

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UP की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट - अखिलेश
UP की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट - अखिलेश

UP में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं-अखिलेश

राजेन्द्र चौधरी

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं ने दम तोड़ दिया है। भाजपा सरकार में अस्पतालों की दुर्दशा देखने का किसी को भी समय नहीं है। सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और जी-20 डेलीगेट्स के स्वागत में सजाए गए गमलों की चोरी का पता लगाने में ही व्यस्त हो गई है। एम्बूलेंस सेवा 108 और 102 अब समय से उपलब्ध नहीं होती हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है तो कहीं डॉक्टर अपनी ओपीडी छोड़कर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जी भी अब पस्त हो चुके हैं उनके दौरे और आदेश भी अब थम गए हैं। उत्तम स्वास्थ्य सेवा का दम्भ भरने वाले मुख्यमंत्री जी के राज में गाजियाबाद के संयुक्त अस्पताल में पांच दिन से डॉक्टर मोमबत्ती की रोशनी में मरीजों का इलाज कर रहे है। प्रशासकीय अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। इसे भाजपा का अंधेर राज न कहें तो क्या कहें?


अयोध्या में जिला अस्पताल की इमरजेंसी में एक गंभीर मरीज को आक्सीजन का खाली सिलेण्डर लगा दिया गया। तीमारदारों की नाराजगी पर नर्स ने सिलेण्डर बदले तो दूसरा, तीसरा आक्सीजन मिलेण्डर भी खाली निकला। मरीजों की जान के साथ यह खिलवाड़ भाजपा सरकार में आम बात हो गई है।खुद राजधानी में भी अस्पतालों के हालात अच्छे नहीं हैं। लखनऊ के लोहिया संस्थान और पीजीआई में इमरजेंसी सेवाएं मजाक बन गई है। घंटों मरीज तड़पते रहते है। भर्ती नहीं होती है। मरीज स्ट्रेचर पर या वहां बने टिनशेड में पड़े भाजपा के अमृतकाल में बस अमर हो जाने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। लोहिया संस्थान की नई इमरजेंसी का ताला ही नहीं खोला जा रहा है।

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समाजवादी पार्टी ने एक रुपए के पर्चे पर इलाज और जांच की निःशुल्क सुविधा प्रदान की थी। भाजपा सरकार में अस्पतालों में जांचो के अलग-अलग रेट तय हो गए हैं। गरीब मरीज महंगा इलाज कैसे कराए? समाजवादी सरकार के समय बना कैंसर संस्थान में पूर्ण कालिक निदेशक नहीं नियुक्त हो सका है। यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी कमी है। कैंसर से मौतें हो रही है।प्रदेश की षान कहे जाने वाली किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कभी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती थी। आज वह अपनी पुरानी ख्याति खोती जा रही है। भाजपा सरकार जनता से सिर्फ झूठे वादों का खिलवाड़ कर रही है।सच तो यह है कि अस्पतालों के बुरे हालात से मुख्यमंत्री जी को कोई मतलब नहीं है। लोगों की जान जाय या स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हो जाये भाजपा सरकार से इससे कोई सरोकार नहीं है। भाजपा पूरी तरह संवेदनशून्यता की चरम सीमा पर है।

 देश के बीस फीसद डाक्टर ही ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इससे गांवों में चिकित्सकों की उपलब्धता नाममात्र की रहती है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के मुताबिक इसकी वजह सरकार के पास इसका कोई नक्शा न होना है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि गांवों में चिकित्सक इसलिए नहीं जाना चाहते, क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सीएचसी में सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। गांवों में आपरेशन थियेटर, एनेस्थीसिया के डाक्टर, पैथालाजिस्ट और टेक्नेशियन्स का जबरदस्त अभाव है। इसके अलावा, गांवों के स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात डाक्टरों की आवास की व्यवस्था और जरूरी फर्नीचर की भी कमी है।आज देश में लगभग सात लाख एमबीबीएस डाक्टर सेवा देने के लिए उपलब्ध हैं। ऐसे में पांच लाख डाक्टरों और पांच लाख विशेषज्ञों की कमी को कैसे पूरा किया जाए, यह एक बड़ा सवाल है। इस कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ‘ई-संजीवनी मेडिसिन’ सेवा ने तीन करोड़ टेली परामर्श संख्या को पार कर लिया है।

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