पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक शिक्षक देने वाला राज्य उत्तर प्रदेश

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ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों में जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, पुरातन छात्रों आदि ने मिलकर बुनियादी सुविधाएं दीं, जिससे यह विद्यालय आज दर्शनीय हुए स्कूल ही वह स्थान है, जहां बच्चे के मन में समाज तथा राष्ट्र के लिए संवेदना एवं भावना पैदा की जा सकती है।आजाद भारत का यशस्वी नेतृत्व भारत को एक नई दिशा देकर लोकतांत्रिक देश के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ दुनिया की एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ा।प्रत्येक बच्चे में अपने स्कूल, मातृ-भूमि, गांव, माता-पिता, अभिभावक,गुरुजनों तथा अपने से बड़ों के प्रति आदर का भाव पैदा करना होगा।प्रधानमंत्री ने एक जिम्मेदारी पूरे देशवासियों को सौंपी है कि आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के साथ अमृत काल तथा देश की आजादी के शताब्दी महोत्सव की तैयारी के साथ जुड़ें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बच्चे का रिपोर्ट कार्ड खराब हो तो भी शिक्षकों को कभी भी अभिभावक के पास जाकर नकारात्मक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। अभिभावक के पास जाकर शिक्षक सकारात्मक भाव से बोले कि आपका बच्चा अच्छा है। थोड़ा प्रयास कर लेंगे, तो आपका बच्चा और अच्छा हो जाएगा। इस पर थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है। यह सकारात्मक भाव बच्चे के जीवन में व्यापक परिवर्तन का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि बच्चे की पढ़ाई में रुचि पैदा करने व पाठ को आसान बनाने की जिम्मेदारी शिक्षक की है। बच्चों को सरल व सुगम भाषा में उदाहरण के साथ समझाया जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा के विद्यार्थियों की उम्र ऐसी नाजुक है, जिसमें बच्चों को जैसी दिशा देंगे, वे उसी रूप में आगे बढ़ेंगे।क्षक आंगनबाड़ी सेन्टरों में भी जाएं। साथ ही, अपने बच्चों को भी आंगनबाड़ी सेन्टर में ले जाएं। उनको सोसाइटी की जानकारी से परिचित कराएं। सोसाइटी से कटा हुआ कोई भी व्यक्ति एक समय के बाद त्रिशंकु हो जाता है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को अच्छे ढंग से बताया जाना चाहिए। बच्चों को सरल और बोधगम्य भाषा में पढ़ाया जाना चहिए। उन्हें सरकार के कार्यक्रम, महापुरुषों की जयन्ती व उनके व्यक्तित्व तथा कार्याें के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक शिक्षक देने वाला राज्य है। एक समय उत्तर प्रदेश राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों में बेसिक शिक्षा परिषद व अन्य माध्यम के स्कूलों में शिक्षक देने वाला राज्य था। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि विगत 05 वर्षों में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की प्रगति संतोषजनक है। इसमें और अच्छा किये जाने की आवश्यकता है।सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे इस बात का प्रयास करें कि सभी बच्चों को यूनिफॉर्म समय से प्राप्त हो जाए। सभी बच्चे यूनिफॉर्म एवं निर्धारित जूता-मोजा पहनकर स्कूल आएं। सर्दियों में बच्चे स्वेटर पहनकर स्कूल पहंुचे। उन्होंने कहा कि 5वीं और 8वीं कक्षा पास विद्यार्थियों के पास अगर पुस्तकें सही हालत में हों, तो उसे स्कूल के बुक बैंक में जमा करवाने का कार्य करें, जिससे वह जरूरतमंद विद्यार्थियों को दी जा सकें। यह बच्चों के प्रति उपकार होगा। बच्चे जीवनभर इस ऋण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में अपने द्वारा रोपे गए पौधे से फल प्राप्त करेंगे, तब उससे ज्यादा आत्मसंतुष्टि और कुछ नहीं होगी। यही व्यक्ति की जीवन सिद्धि है। इस सिद्धि के लिए सभी को तपना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में अभी से तैयारी करनी होगी। यह नीति भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री जी के विजन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ बनाने की दिशा का एक हिस्सा है।

प्रदेश में जुलाई, 2017 के प्रथम सप्ताह में ‘स्कूल चलो अभियान’ प्रारम्भ किया गया था। 01 लाख 62 हजार शिक्षकों की तैनाती बेसिक शिक्षा परिषद व माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में की गई। ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों में जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, पुरातन छात्रों आदि ने मिलकर बुनियादी सुविधाएं दीं, जिससे यह विद्यालय आज दर्शनीय हुए हैं। आज परिषदीय विद्यालयों में जाकर कोई भी व्यक्ति अभिभूत होता है। आज बेसिक शिक्षा का प्रत्येक छात्र-छात्रा इस बात पर गौरव कर सकता है कि वह भी किसी पब्लिक या कॉन्वेन्ट स्कूल की तर्ज पर अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पा रहा है। स्कूलों में नये पाठ्यक्रम लागू किये गये। नए-नए अभिनव प्रयोग व नवाचार किये गये, जिनके परिणाम देखने को मिल रहे हैं।आज का समय तकनीकी का समय है। हमें तकनीक के साथ ही, अपनी भावनात्मक संवेदनाओं को बच्चे के साथ जोड़कर रखना होगा, तभी बच्चे आगे बढ़ पाएंगे और सफल हो पाएंगे। हमें तकनीक से परहेज नहीं करना है। तकनीक ही बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। तकनीक उन बच्चों को देश व दुनिया से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगी। स्कूल ही वह स्थान है, जहां बच्चे के मन में समाज तथा राष्ट्र के लिए संवेदना एवं भावना पैदा की जा सकती है।