महिलाओं के लिए असुरक्षित हो चुका है उत्तर प्रदेश-उमाशंकर पांडेय

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महिलाओं के लिए असुरक्षित हो चुका है उत्तर प्रदेश, लगातार बढ़ रही हैं महिला अत्याचार की घटनाएं । उत्तर प्रदेश में कानून का राज समाप्त, अपराधियों के हौंसले आसमान पर। महिलाओं के साथ बलात्कार, गैंगरेप और हत्या को रोकने में योगी सरकार पूरी तरह विफल । गोरखपुर, हाथरस, सम्भल, शाहजहांपुर, अलीगढ़, कुशीनगर, बुलन्दशहर, उन्नाव, फिरोजाबाद समेत पूरे प्रदेश में बेटियों के साथ जघन्य अपराध, ज्यादातर मामलों में आरोपियों को शासन व प्रशासन का संरक्षण । उत्तर प्रदेश में जंगलराज है कायम, आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री राजनैतिक पर्यटन पर।

डा0 उमा शंकर पाण्डेय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति आपराधिक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बलात्कार, सामूहिक दुष्कर्म व हत्या की घटनाये निरन्तर बढ़ती जा रही हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि 6 माह की बच्ची से लेकर 80 वर्ष की बुजुर्ग महिलाएं प्रदेश में असुरक्षित हैं। तमाम सुर्खियों में आयी महिला अत्याचारों की वीभत्स घटनाओं में यह साबित हुआ है कि योगी सरकार और उनका प्रशासनिक अमला आरोपितों के संरक्षण में खड़ा दिखाई दिया है। ंउन्नाव से लेकर हाथरस, शाहजहांपुर की घटनाएं इसके उदाहरण हैं। योगी सरकार की कानून व्यवस्था की स्थिति यह है कि उनके अपने गृह जनपद गोरखपुर में उनकी मौजूदगी के दिन ही एक नाबालिग बालिका डांसर का खुलेआम कार्यक्रम स्थल से अपराधियों द्वारा अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म की जघन्य घटना को अंजाम दिया गया।

शर्मनाक स्थिति यह है कि पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी रही। श्री योगी आदित्यनाथ जी के गृह जनपद में ही न मिशन शक्ति का वजूद दिखा और न ही पिंक बूथ की सक्रियता। उत्तर प्रदेश के आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के अपराध नियंत्रण पर किये जा रहे दावे पूरी तरह से झूठे हैं और वह उ0प्र0 को संभालने के बजाय राजनैतिक पर्यटन पर अन्य राज्यों के चुनाव प्रचार मंें कानून व्यवस्था पर झूठ बोलते घूम रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ0 उमा शंकर पांडेय ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था व अपराध की स्थिति पर योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उ0प्र0 महिलाओं के लिए सर्वाधिक असुरक्षित प्रदेश बन चुका है। महिलाएं घरों से बाहर निकलने में स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। अभिभावक बच्चियों को घर से बाहर भेजने में डर रहे हैं।

गोरखपुर में नाबालिग बालिका जो कि अपनी शिक्षा एवं परिवार के भरण पोषण के लिए आर्केस्ट्रा में काम करती थी उसके साथ मानसिक अपराधियों द्वारा अपहरण एवं सामूहिक दुष्कर्म की वारदात मुख्यमंत्री के लिए प्रदेश की कानून व्यवस्था का आईना है। दुष्कर्म के बाद लड़की द्वारा सम्बन्धित थाने पर घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाने जाने पर सम्बन्धित थानाध्यक्ष ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की।

योगी सरकार की पुलिस द्वारा बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में एफआईआर दर्ज न करने व पीड़िता को धमकाने, समझौता कराने, पीड़िता के विरूद्ध बयान देने जैसी घृणित बातें तमाम मामलों में साबित होती रही हैं। इस घटना में भी यही हुआ। अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए पीड़ित परिवार को भटकना पड़ा। सोशल मीडिया पर घटना वायरल होने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इसी तरह उन्नाव में किशोरी के अपहरण व बलात्कार, पीलीभीत में स्कूली छात्रा के साथ हैवानियत, बुलंदशहर एवं फिरोजाबाद में बलात्कार, सम्भल में बलात्कार की शिकार बालिका के साथ पुलिस के दबाव में समझौते की विवशता के बाद पीड़िता द्वारा आत्महत्या करना उ0प्र0 में महिला अत्याचारों की पराकाष्ठा के कुछ उदाहरण हैं।  योगी सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह वेंटिलेटर पर जा चुकी है। पुलिस का इकबाल समाप्त हो चुका है और कानून व्यवस्था अपराधियांे के नियंत्रण में जा चुकी है।

      डॉ0 उमा शंकर पांडेय ने योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि उपरोक्त घटनाओं से योगी सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा अपराधियों को संरक्षण देने की नीति और नीयत साबित करता है कि स्थितियां जनता की सुरक्षा के प्रति अनुकूल नही हैं। उंन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश में पूरी तरह जंगलराज कायम हो चुका है, योगी सरकार कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह विफल होकर अपराधियों के समक्ष नतमस्तक हो चुकी है। अपराधियों के हौसले बुलंद है वह बेखौफ होकर अपराध कारित कर जनता में दहशत का माहौल स्थापित कर चुके हैं। सत्ता के संरक्षण में अपराधियों के हौसले बुलंद हो चुके हैं। मुख्यमंत्री की घोषणाएं झूठे आंकड़ों पर आधारित हैं और आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री जी केन्द्र की अपनी ही सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी एनसीआरबी के आंकड़ों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि उ0प्र0 को महिलाओं के लिए असुरक्षित प्रदेश बनाने में योगी सरकार की अक्षमता एवं अपराधियों को संरक्षण देने की प्रवृत्ति एक बड़ा कारण है। प्रदेश की महिला अत्याचारों की तमाम प्रमुख घटनाओं में पुलिस और भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं के नकारात्मक रवैये पूरे देश के सामने हैं। हाथरस की बेटी के साथ हुई वीभत्स घटना में भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी के साथ ही प्रदेश की राजधानी में बैठे उच्च पदस्थ अधिकारियों एवं भाजपा नेताओं द्वारा पीड़िता को बदनाम करने, परिवारजनों को दोषी साबित करने एवं आरोपियों को बचाने के लिए प्रयास किया गया। गोरखपुर की इस घटना में भी पुलिस का रवैया पीड़िता का ही विरोध करने का रहा है और स्थानीय भाजपा नेता भी इसे दबवाने में लगे रहे और बाद में विपक्ष का दबाव पड़ने पर दिखावे की कार्यवाही की गयी। सरकार के इसी रवैये ने ही उ0प्र0 को महिलाओं के लिए पूरी तरह असुरक्षित बना दिया है।