उत्तर प्रदेश बनेगा जैव ईंधन उत्पादन का मॉडल राज्य-मुख्यमंत्री

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उत्तर प्रदेश बनेगा जैव ईंधन उत्पादन का मॉडल राज्य। हर जिले में स्थापित होंगे बायो फ्यूल प्लांट, तैयार करें कार्ययोजना। मुख्यमंत्री का निर्देश, जल्द तैयार करें प्रदेश की नई जैव ऊर्जा नीति। बायो फ्यूल न केवल हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा, बल्कि अतिरिक्त आय और रोज़गार सृजन में भी सहायक होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश में बायो फ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए जैव ऊर्जा नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

◆ आदरणीय प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, एथेनॉल और बायो डीजल जैसे जैव ऊर्जा प्रकल्पों को प्रोत्साहन के हमारे प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने की मिले हैं। अब तक बायोकोल की 02 इकाइयों में उत्पादन भी शुरू हो चुका है और कम्प्रेस्ड बायोगैस की 01 इकाई विगत जून माह ने पूर्ण हो चुकी है।

◆ भविष्य की जरूरतों के लिए हमें बायोमास सप्लाई चेन का विकास करना होगा। ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। विद्युत उत्पादन गृहों में बायोमास पैलेट्स के उपयोग किया जाना चाहिए। इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है।

◆ बायो फ्यूल को बढ़ावा देना कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देने में सहायक होगा। बायो फ्यूल न केवल हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा, बल्कि अतिरिक्त आय और रोज़गार सृजन में भी सहायक होगा।

◆ बायो फ्यूल के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। आज जबकि पूरी दुनिया इस विषय पर चिंतित है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के पास एक मॉडल प्रस्तुत करने का सुअवसर है। अपार संभावनाओं से भरे इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्य बनने के लिए नई जैव ऊर्जा नीति तैयार की जाए।

◆ आगामी 05 वर्षों में 500 टन सीबीजी प्रतिदिन कम्प्रेस्ड गैस उत्पादन के लक्ष्य को लेकर प्रयास करें। इस तरह प्रतिवर्ष 1.5 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। इसी प्रकार, बायोकोल, बायोडीजल और बायो एथेनॉल के लिए 2000-2000 टन प्रतिदिन के लक्ष्य को लेकर काम किया जाना चाहिए।

◆ इस क्षेत्र की निवेशकर्ता कंपनियों के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता, पूंजीगत उपादान सहित सभी जरूरी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। नवीन जैव ऊर्जा नीति तैयार करते समय औद्योगिक जगत से परामर्श जरूर करें। निवेशकर्ता संस्थाओं/कंपनियों की जरूरतों को समझें। सभी पक्षों की राय लेते हुए व्यापक विमर्श के बाद नवीन नीति तैयार की जाए।

◆ अन्नदाता किसानों द्वारा पराली जलाए जाने से पैदा हो रही पर्यावरणीय चुनौतियों के स्थायी समाधान के लिए हमें विशेष प्रयास करना होगा। नवीन नीति में इस विषय का ध्यान रखा जाए।

◆ सभी 75 जिले में न्यूनतम 01 बायोफ्यूल इकाई की स्थापना के लिए नियोजित प्रयास किए जाएं। यह कार्य प्राथमिकता के साथ हो। अगले चरण में इसे हर तहसील तक बढ़ाया जाना चाहिए।

◆ बायो फ्यूल प्लांट की स्थापना और बायोमास भंडारण के लिए ग्राम समाज/राजस्व भूमि/चीनी मिल परिसर में खाली भूमि का उपयोग किया जाना चाहिए।