145 केन्द्रों पर टीकाकरण बंद

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विभाग के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। मौके पर पंजीकरण की व्यवस्था पूरी तरह से फेल साबित हो रही है। लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। यही नहीं कई टीकाकरण केंद्र अचानक बंद कर दिए गए। दो दिन पहले 263 केंद्रों (साइट) पर टीकाकरण हुआ। इसके बाद अचानक 118 केंद्रों पर ही टीकाकरण हुआ। 

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार चाहे केन्द्र की हो या प्रदेश की, उन्हें बस खोखले दावे करने की आदत पड़ गई है। उनकी नीयत जनता को धोखे में रखने और लोगों को गुमराह करने की रहती है। कहने को जुलाई में टीकाकरण का महाअभियान शुरू होना है पर हकीकत यह है कि आवश्यकतानुसार टीकों की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। प्रदेश में बड़ी संख्या में टीकाकरण केन्द्र बंद किए जा रहे हैं।


राजधानी लखनऊ में शनिवार, बुधवार को टीकाकरण न होने की सरकारी सूचना है। 145 केन्द्रों पर टीकाकरण बंद हो चुका है। कलस्टर अभियान के अंतर्गत केन्द्रों में टीकाकरण नहीं हो रहा है। अन्य जिलों में भी टीकाकरण दर 40 प्रतिशत गिरावट के साथ दर्ज की गई है। युवाओं के अलावा बुजुर्गों को भी टीकाकरण के लिए इधर-उधर मारे-मारे भटकना पड़ रहा है।करीब 145 केंद्रों पर टीकाकरण बंद कर दिया गया। नतीजतन टीकाकरण के लिए लोग मौके पर पहुंचे तो केंद्रों पर ताला लटकता मिला। वहीं भीड़ नजदीक के दूसरे केंद्र पर पहुंची। भीड़ अधिक होने से अफरा-तफरी मच गई। वैक्सीन खत्म हो गई। काफी लोग बिना टीका लगवाए वापस लौट गए। 


टीकाकरण को लेकर रोज नया झूठा प्रचार, खोखले दावे और बदलती नीतियों से टीके की किल्लत तो हो ही रही है इससे भाजपा सरकार के बदइंतजामों की पोल भी खुल गई है। देश की राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में टीके की भारी कमी से लोग परेशान धूम रहे हैं।


प्राप्त सूचनाओं के अनुसार बाराबंकी में वैक्सीन संकट गहराता जा रहा है। बदायूं में टीकाकरण की रफ्तार थमी है तो औरैया में टीके पर विराम लग गया है। आगरा में बूथों पर वैक्सीन खत्म, अब नहीं लग सकेगा टीका। झांसी में 33 टीकाकरण केंद्रों पर ताले लटके। वाराणसी और कानपुर में भी अफरा-तफरी का माहौल है।


सच तो यह है कि भाजपा सरकार वादों को झुठलाने और काम के शुरूआत का हो-हल्ला मचाने के बाद उसे अधूरा छोड़ देने के मामलों में कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। लोग उसकी सच्चाई से भलीभांति वाकिफ हो चले हैं। भाजपा के सत्ता से बाहर जाने के कुछ ही दिन बचे हैं। सन्2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार और समाजवादी पार्टी की जीत के साथ लोगों के अच्छे दिन जल्दी ही आने वाले हैं।