दिव्यांग सैनिकों की मांग को खारिज करने में सतर्कता जरुरी: विजय कुमार पाण्डेय

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लखनऊ। सेना की राजपूत रेजिमेंट में छब्बीस साल नौकरी करने वाले फर्रुखाबाद निवासी हवलदार सर्वेश कुमार को ग्यारह साल बाद सुगर की बीमारी में सेना कोर्ट लखनऊ से मिली पचास प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन, याची के अधिवक्ता रहे विजय कुमार पाण्डेय l प्रकरण यह था कि सर्वेश कुमार सन 1985 में सेना की राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हुए और वे सुगर की बीमारी के शिकार हो गए उन्हें बगैर दिव्यांगता पेंशन दिए सेना से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, उनकी अपील सरकार द्वारा खारिज कर दी गई l

सशत्र-बल अधिकरण के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से वाद दायर हुआ, दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायामूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों और दस्तावेजों के आधार पर निर्णय सुनाते हुए कहा कि, याची के साथ गलत हुआ, वह पूरी तरह से दिव्यांगता पेंशन पाने का हकदार है l

खण्ड-पीठ ने कहा कि सेना के तनाव और दबाव को लंबी सैन्य सेवा के कारण नकारा नहीं जा सकता, सरकार द्वारा उसके साथ गलत किया गया वह डिस्चार्ज की तारीख से पचास प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन पाने का हकदार है, भारत सरकार का आदेश गलत है इसलिए, उसे खारिज किया जाता है और सरकार को आदेशित किया जाता है कि वह याची को चार महीने के अंदर दिव्यांगता पेंशन दे अन्यथा सरकार को आठ प्रतिशत ब्याज भी याची को देना होगा।