ग्रामीण वासियों ने भाजपा नेताओं को दौड़ाया

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अपने ही घर में गुस्से का शिकार हो रहे हैं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 22 जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र गुलामीपुर में प्रचार करने पहुंचे तो महिलाओं ने घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी। वे केशव मौर्य के खिलाफ नारा लगाने लगीं। उपमुख्यमंत्री ने महिलाओं को चुप करवाने की कोशिश जरूर की, पर महिलाएं चुप नहीं हुईं।वीडियो वायरल हुआ तो सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा, ‘पहले कुर्सी खतरे में आई अब स्टूल भी खतरे में है।’ दरअसल सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने एक बार कहा था कि केशव प्रसाद मौर्य को मंत्रिमंडल में बैठने के लिए सोफा नहीं बल्कि स्टूल मिलता है। इसके बाद विपक्षी दल केशव प्रसाद पर तंज के लिए स्टूल शब्द का प्रयोग करने लगे।

उत्तर प्रदेश में कई विधान सभा के ग्रामीण वासियों ने भाजपा प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं।आचार संहिता के बाद से भाजपा नेताओं को जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है। गांव में न घुसने देने का जो ट्रेंड किसान आंदोलन के बीच चल रहा था, वही फिर से शुरू हो गया है। विरोध से एक प्रत्याशी तो इतना हलकान हो गए कि अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ FIR तक दर्ज करवा दिया।

गौरी शंकर वर्मा जालौन की उरई सीट से विधायक हैं,जनता ने जब मांगा हिसाब तो विधायक ने जोड़े हाथ। पार्टी ने तो भरोसा जताते हुए फिर प्रत्याशी बना दिया। 29 जनवरी को क्षेत्र में प्रचार करने पहुंचे तो नारेबाजी शुरू हो गई। लोगों ने कहा, ‘पांच साल में न गांव की एक सड़क बनी और न ही नल मिला।’ विधायक जी फंस गए और सफाई देने लगे। लोग नहीं माने तो विधायक वहां से निकल गए। घर पहुंचे तो कहा, ‘2 शराबी थे, वही विरोध कर रहे थे,बाकी पूरा गांव हमारे ही साथ है।’

मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से भाजपा के विक्रम सैनी विधायक हैं उन्होंने अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ केस कर दिया है । 20 जनवरी को मनव्वरपुर गांव में प्रचार करने पहुंचे तो लोगों ने घेर लिया। मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। विधायक समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन जनता नहीं मानी। विक्रम सैनी चले गए। उन्हें फिर 29 जनवरी को चांद समंद गांव में घेर लिया गया। नारेबाजी हुई और काफिले की एक गाड़ी का सामने वाला शीशा तोड़ दिया गया,विधायक को अपने ही क्षेत्र के लोगों पर FIR दर्ज करानी पड़ी।

मनिंदर पाल मेरठ की सिवलखास सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। 21 जनवरी को पथोनी गांव में प्रचार करने पहुंचे तो हंगामा हो गया। ‘योगी-मोदी जिंदाबाद’ से ज्यादा ‘जयंत चौधरी जिंदाबाद’ का नारा लगने लगा। दोनों पार्टियों के समर्थकों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। विधायक मनिंदर पाल ने समझदारी दिखाई और खुद ही वापस लौट गए। जाट बाहुल्य पथोनी गांव में भाजपा के नेता जब भी गए, उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा।

संभल की असमोली सीट पर दो बार से सपा की पिंकी यादव विधायक हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए भाजपा के हरेंद्र सिंह रिंकू जोरदार प्रचार कर रहे हैं। 21 जनवरी को शकरपुर गांव पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया। ग्रामीणों ने कहा, ‘भाजपा ने गाजीपुर बॉर्डर पर हम लोगों के लिए कील लगाई गई थी। आंसू गैस के गोले छोड़े। हम कुछ भूले नहीं है कभी वोट नहीं देंगे’। वायरल वीडियो में ये भी कहा जा रहा कि किसी भाजपा नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे,उन्होंने कहा की हम कील और आंसू गैस के गोले भूले नहीं

फिरोजाबाद की जसराना सीट से भाजपा ने मानवेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है।जनता ने ठाना की भाजपा को हम पहली बार चुनाव नहीं लड़ने देंगे ।मानवेंद्र की पत्नी ज्योति किरण राजपूत प्रचार करने पहुंचीं तो विरोध शुरू हो गया। अखिलेश यादव जिंदाबाद’ के नारे लगने लगे। ज्योति वापस लौट गईं तो मानवेंद्र का बयान आया। कहा, ‘ऐसी हरकत ठीक नहीं है, हम यहां से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और विरोधी ऐसा कर रहे हैं।