पिछड़े वर्ग को आरक्षण देकर भी वीपी सिंह नहीं बन पाए पिछड़ों के नायक

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पिछड़े वर्ग को आरक्षण देकर भी वीपी सिंह नहीं बन पाए पिछड़ों के नायक।”91 जयंती के अवसर पर वीपी सिंह को भारतरत्न दिए जाने की माँग।

लौटनराम निषाद

भारतीय पिछड़ा दलित महासभा के द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी की 91 वीं जयंती के अवसर पर अर्जुनगंज में श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया।अनुराग सिंह अन्नु के संयोजकत्व व मनोज सिंह यादव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग की गई।इस अवसर पर चौ.लौटनराम निषाद ने उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वीपी सिंह जी युगपुरुष, सामाजिक न्याय के महानायक व गौतमबुद्ध के अवतार थे,पर पिछड़ी जाति के लोगों ने इनके साथ न्याय नहीं किया।वे सामाजिक व राजनीतिक रूप से अत्यंत दूरदर्शी राजर्षि थे।उन्हें मालूम था कि मण्डल कमीशन की सिफारिश लागू करने का परिणाम क्या होगा,लेकिन क्षत्रिय धर्म का असली परिचय देते हुए बिना परवाह किये 7 अगस्त,1990 को यह कदम उठा ही लिए।जिन लोगों ने “राजा नहीं फ़क़ीर है,देश की तक़दीर है”,का नारा लगाया रहे थे,मण्डल कमीशन की सिफारिश लागू करते ही गाली देते हुए “राजा नहीं रंक है,देश का कलंक है,जयचंद मान सिंह की औलाद है” का अमर्यादित नारा लगाने लगे।

मण्डल कमीशन के तहत वीपी सिंह जी ने ओबीसी को सरकारी सेवाओं में 27 आरक्षण व अर्जुन सिंह जी ने उच्च शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत कोटा दिए।इन महापुरुषों ने क्षत्रिय होते हुए जो महान व न्यायोचित कार्य किये,कोई पिछड़ा नेता नहीं कर सकता था।लेकिन पिछड़े वर्ग ने इनका साथ नहीं दिया।लौटनराम निषाद ने बताया कि वीपी सिंह जी का कथन था-सामाजिक परिवर्तन की मशाल हमने जो जलाई है और उसके उजाले की जो आँधी उठी है,उसका तार्किक परिणति तक पहुंचना अभी शेष है।अभी तो सेमी फाइनल भर हुआ है और हो सकता है कि फाइनल मेरे जीवन के बाद हो।लेकिन अब कोई शक्ति उसका रास्ता रोक नहीं पाएगी।” देश की तस्वीर व पिछडों की तक़दीर बदलने वाले यूपी के फ़क़ीर के फैसले ने भारत की राजनीतिक ढ़हर को बदल दी।उन्होंने एक अवसर पर मण्डल के मुद्दे पर कहा था-“ये वो मैच है जिसमें गोल करने में मेरा पाँव जरूर टूट गया है,लेकिन गोल तो मैंने कर ही दिया है।”

निषाद ने उन्हें याद करते हुए कहा कि 7 अगस्त,1990 को मण्डल कमीशन लागू करने के बाद नायक से खलनायक बना दिये गए।16 नवम्बर 1992 को मण्डल कमीशन की सिफारिश को न्यायालय द्वारा संवैधानिक तौर पर सही मानने पर उन्होंने कहा कि-“यदि मैं अभी मर भी गया तो अपने जीवन से संतुष्ट होकर मरूँगा।”निषाद ने कहा कि वीपी सिंह नहीं होते तो बीपी मण्डल का कोई नाम लेने वाला नहीं होता।वीपी सिंह ने उन्हें सामाजिक न्याय का महानायक बना दिये।वीपी सिंह जी को पता था कि पिछड़ों की राजनीति के वो नेता नहीं बन सकते हैं।एक बार उन्होंने कहा था कि-तितली के जन्म के लिए केंचुए को मरना पड़ता है।क्या हुआ अगर मैं सामाजिक न्याय का नेता नहीं बना।वे एक महान दार्शनिक व न्यायप्रिय राजनेता थे।जयंती के अवसर पर पुष्पेन्द्र यादव,मनोज पाल,शिवकुमार यादव,दिनेश कुमार विश्वकर्मा, मनोज वर्मा,दीपक कश्यप,रामसजीवन प्रजापति,राकेश सबिता,हरिद्वार पाल,देवशरण यादव,अखिलेश यादव,नीरज कुमार शर्मा,हरीश चौरसिया आदि ने उन्हें याद करते हुए भारत रत्न देने,मण्डल कमीशन की सभी सिफारिशें लागू करने,ओबीसी की जनगणना कराकर सरकारी व निजी क्षेत्र में समानुपातिक कोटा देने की माँग उठाई।

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