लाॅकडाउन में चौपट हुआ काम-धंधा तो सन्यासी बन गया युवक

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लाॅकडाउन में चौपट हुआ काम-धंधा तो सन्यासी बन गया युवक,आर्थिक तंगी के लिए पीएम और सीएम को बताया जिम्मेदार।

प्रयागराज।वैश्विक कोरोना महामारी से पूरी दुनिया प्रभावित किया।वैश्विक महामारी ने भारत में भी लोगों के जीवन को खासा प्रभावित किया है।वैश्विक कोरोना महामारी में न जाने कितने लोगों ने अपनों को खोया और न जाने कितने बेरोजगार हो गये।

संगमनगरी प्रयागराज के आशुतोष श्रीवास्तव भी इनमे से है जो वैश्विक महामारी से बचाव के लिए लागू हुए लॉकडाउन में इन पर इस तरह प्रभाव पड़ा कि इन्होंने अपना गृहस्थ जीवन छोड़कर सन्यासी बन गये।सुपरफास्ट ट्रेन की तरह अंग्रेजी बोलने वाले आशुतोष अब योगी का चोला धारण कर इधर-उधर घूमा करते हैं।आशुतोष परिवार के मोह माया से दूर होकर संगम किनारे एक पेड़ के नीचे रहते हैं।

आशुतोष श्रीवास्तव कहते है कि लॉकडाउन से उनकी नौकरी और ट्रैवल एजेंसी का काम ठप हो गया।घर का खर्च चला पाने में बहुत मुश्किल हो रही थी।इकलौती बेटी को लेकर पत्नी घर छोड़कर चली गई।नौकरी की तलाश के लिए कई जगह हाथ-पैर मारे, लेकिन सिर्फ निराशा ही हाथ लगी।

आशुतोष कहते है कि परिवार और संपत्ति से संपन्न होने के बाद वो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहते थे,इस लिए साधु बन गये।उनके इस फैसले से घर के सभी सदस्य उनसे नाराज हैं।अब पारिवारिक जीवन को त्याग कर पूरी तरह से सन्यासी हो गये हैं।आगे का जीवन मां गंगा के चरणों में ही बिताना चाहते हैं।

आशुतोष कहते है कि मुझे मजबूरी ने साधु बना। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेरी हालत के जिम्मेदार हैं। कोरोना काल में जब हर शख्स परेशान था,तब दोनों सरकारें अपनी राजनीति को चमकाने का काम कर रही थी।लोग मर रहे थे, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की बजाय ये लोग अयोध्या में राममंदिर निर्माण की नींव रख रहे थे।

साधु बने आशुतोष श्रीवास्तव कहते हैं कि कोरोना काल से पहले विधायक सईद अहमद के यहां ड्राइवर की नौकरी करते थे।दो गाड़ियों को लोन पर लेकर ट्रेवल्स में भी लगा दिया था।लॉकडाउन के कारण नौकरी भी गई और गाड़ियों का लोन भी नहीं पूरा हो सका।इसके बाद आर्थिक संकट हमे घेरता चला गया।बहुत संघर्ष किया इसके बाद भी जब असफलता मिली तो संगम किनारे सन्यासी बनकर भोलेनाथ का भक्त बनकर उनकी भक्ति में लीन हूं।