आख़िर मुख्यालय से कब हटेंगे अटैच जेल सुरक्षाकर्मी..!
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आख़िर मुख्यालय से कब हटेंगे अटैच जेल सुरक्षाकर्मी.! जेेलमंत्री व प्रमुख सचिव के प्रयास के बाद भी जेलों पर डटे सुरक्षाकर्मी।

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश की जेलों में संबद्ध जेल सुरक्षाकर्मियों को मूल तैनाती स्थल पर भेजे जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सामान्य जेलों से शासन, जेल मुख्यालय और कमाऊ जेलों से संबद्ध (अटैच ) जेल के हेड वार्डर और वार्डर को मूल तैनाती स्थल पर भेजने के लिए जेलमंत्री व प्रमुख सचिव को आदेश भी काम नहीं आया। यही वजह है कि प्रदेश की गाजियाबाद, अलीगढ़, नोएडा सरीकी कमाऊ जेलों पर आज भी दर्जनों की संख्या में जेल सुरक्षाकर्मी संबद्ध हैं। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि दो दिन पहले प्रमुख सचिव के निर्देश पर शासन में तैनात कर्मियों को तो कार्यमुक्त कर दिया गया लेकिन जेल मुख्यालय में दर्जनों की संख्या में प्रदेश की विभिन्न जेलों से संबद्ध कर्मियों को हटाया जाएगा यह बड़ा सवाल है।


गोपनीयता भंग करने वाले बाबू नहीं हटाए गए- शासन से संबंद्ध जेलकर्मियों को हटाए जाने को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि जेलकर्मियों को गोपनीय भंग करने के आरोप जेलकर्मियों को हटाया गया है। सूत्रों का कहना है कि हकीकत यह कि शासन में फाइल इधर से उधर ले जाने वाले जेलकर्मियों को तो हटा दिया गया कि विभाग में गोपनीय कार्य करने वाले बाबूओं को अभी तक वहीं पर बनाए रखा गया है। विभाग के पांच अनुभागों में करीब दस ऐसे बाबू हैे जो विभाग की गोपनीय फाइलों को डील करते है। उन्हें नहीं हटाया गया है। उधर इस संबंध में जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने कहा कि साहब मीटिंग में गए हैं बात नहीं हो सकती है।


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प्रदेश के जेलमंत्री का कार्यभार संभालने के कुछ समय बाद ही धर्मवीर प्रजापति ने एक आदेश जारी किया था कि जेलों में संबद्धता को पूरी तरह से समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा था कि विभिन्न जेलों से अटैच हेड वार्डर और वार्डरों की संबद्धता समाप्त करने के साथ अन्य किसी कर्मी को किसी भी जेल से संबद्ध नहीं किया जाए। चुनिंदा जेलकर्मियों को इधर-उधर करने के बाद जेलमंत्री का यह आदेश फाइलों में सिमट कर रह गया।

बीती 29 अक्टूबर को प्रमुख सचिव कारागार ने भी एक ऐसा ही आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया कि प्रदेश के समस्त संबद्ध जेलकर्मियों संबद्धता को समाप्त कर उन्हें मूल तैेनाती स्थल पर भेजा जाए। इस आदेश पर भी कोई अमल नहीं हो पाया। बताया गया है कि जेल मुख्यालय के अफसरों ने संबद्धता समाप्त किए जाने के फरमान को देखते हुए जेलकर्मियों की ड्यूटी के बहाने मनमाफिक कमाऊ जेलों पर तैनात करना शुरू कर दिया।


सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों जेलमंत्री की विभाग के एक वरिष्ठï अधिकारी से भेंट के दौरान वार्ता में जेलकर्मियों की संबद्धता समाप्त कर मूल तैनाती स्थल पर भेजे जाने को लेकर चर्चा हुई। इस पर वरिष्ठ अधिकारी ने तर्क दिया कि जेल में ही नहीं शासन में भी बड़ी संख्या में जेलकर्मी संबद्ध है। सूत्रों की माने तो इस पर जेलमंत्री ने प्रमुख सचिव से शासन में संबद्ध जेलकर्मियों को कार्यमुक्त कर मूल तैनाती स्थल पर भेजे जाने का निर्देश दिया। इस निर्देश का त्वरित अनुपालन करते हुए प्रमुख सचिव कारागार ने शासन में संबद्ध करीब 30 जेलकर्मियों को तत्काल कार्यमुक्त कर दिया।

इस कार्यवाही के बाद चर्चा है कि शासन से तो संबद्ध जेलकर्मियों को हटा दिया गया जेल मुख्यालय में प्रदेश के विभिन्न जेलों से संबद्ध हेड-वार्डर व वार्डरों को कब हटाया जाएगा। मिल जानकारी के मुताबिक वर्तमान समय में करीब 60 से 70 जेलकर्मी प्रदेश की विभिन्न जेलों से जेल मुख्यालय में संबद्ध हैं। उधर इस संबंध में जब डीजी पुलिस/आईजी जेल आनंद कुमार से बात करने का प्रयास किया तो उनका फोन नहीं उठा। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि संबंद्ध कर्मियों को वापस भेजे जाने मुख्यालय का कार्यबाधित हो जाएगा। व्यवस्था होने के बाद इन्हें वापस कर दिया जाएगा

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