जिसका डर वही हुआ

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जिसका डर वही हुआ
जिसका डर वही हुआ

ईआरसीपी के मुद्दे पर सीएम अशोक गहलोत भाजपा नेताओं के साथ चले पीएम मोदी के पास। जिसका डर वही हुआ,राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने दिया प्रस्ताव। जिस बात का डर वही हुआ।

एस0 पी0 मित्तल

ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर जिस बात का डर था वही हुआ। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब चंबल कालीसिंध नदी पर नोनेरा बांध बनाने का काम शुरू किया तो मध्य प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई अब बांध के काम को रुकवाने की मांग की गई है। एमपी सरकार द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि चंबल नदी मध्य प्रदेश से होकर भी गुजरती है। लेकिन नौनेरा बांध बनाने पर एमपी सरकार की सहमति नहीं ली गई। एमपी में भाजपा और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। इसलिए ईआरसीपी को लेकर राजनीति भी हो रही है। एमपी सरकार के सुप्रीम कोर्ट चले जाने के बाद ईआरसीपी को लेकर जो हालात उत्पन्न हुए उन पर 23 फरवरी को ज़ी टीवी के राजस्थान चैनल पर एक लाइव डिबेट प्रसारित हुई। इस डिबेट में पत्रकार के तौर पर मैं भी शामिल रहा।

भाजपा के सांसद और ईआरसीपी के मुद्दे को जोर शोर से उठाने वाले डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने लाइव बहस में प्रस्ताव रखा है कि समस्या के समाधान के लिए सीएम अशोक गहलोत को भाजपा नेताओं के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के पास चलना चाहिए। मीणा ने कहा कि यदि सीएम गहलोत सहमत होते हैं तो वे पीएम मोदी से मिलने का समय ले लेंगे। उन्होंने कहा कि जब कोई नदी दो राज्यों से होकर गुजरती है तो उसके पानी पर दोनों राज्यों का समान अधिकार होता है। लेकिन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने एक तरफा रुख अपना रखा है और मध्यप्रदेश की सहमति के बिना ही नोनेरा बांध का निर्माण करवा रहे हैं। उन्होंने माना कि यदि इस मामले में पीएम मोदी का दखल होता है तो समस्या का समाधान भी हो जाएगा। लेकिन इससे पहले सीएम गहलोत को अपनी जिद छोड़नी चाहिए।

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डॉ. मीणा ने कहा कि वे स्वयं भी पूर्वी राजस्थान से आते हैं और उनका भी प्रयास है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से 13 जिलों के लोगों को पेयजल उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि राजस्थान पहले ही पेयजल के भीषण किल्लत से गुजर रहा है। ऐसे में यदि ईआरसीपी पर राजनीति होती है तो इसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ेगा। सीएम गहलोत चाहते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार स्वत: ही सहमति दे दे। जबकि सब जानते हैं कि जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ईआरसीपी के प्रोजेक्ट पर सहमति देने से इंकार कर दिया था। उस समय अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। लेकिन तब उन्होंने कमलनाथ की असहमति पर कोई एतराज नहीं किया। अब सीएम गहलोत चाहते हैं कि कमलनाथ की राय को दरकिनार कर मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहमति दे दे।

डॉ. मीणा ने कहा कि एमपी सरकार अपने वाजिब अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई है। अब इस मामले में सीएम गहलोत को राजनीति करने के बजाए सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए ताकि प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके। लाइव बहस में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व प्रदीप चतुर्वेदी ने किया जबकि एंकर की भूमिका अभिनव अभी ने निभाई। असल में इस प्रोजेक्ट को लेकर जिस बात का डर था वही हुआ। अब तक यह माना जा रहा था कि दोनों राज्य आपस में बैठ कर मामले को सुलझा लेंगे, लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि 8 माह बाद इन दोनों राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जिसका डर वही हुआ