एमएसपी का बहाना क्यों-अखिलेश

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UP की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट - अखिलेश
UP की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट - अखिलेश

राजेन्द्र चौधरी

  सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कहा है कि जबसे भाजपा सत्ता में आई है लोगों पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा है। समाज का हर वर्ग परेशान है। किसान और गरीब सभी महंगाई की मार झेल रहे हैं। भाजपा की केन्द्र और राज्य की डबल इंजन सरकारें जनता को सिर्फ झूठे आश्वासन दे रही है। जनता अब समझ चुकी है और वह भाजपा के बहकावे में आने वाली नहीं है। परेशान जनता अब बस चंद महीनों के बाद ही होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का इंतजाम कर रही है।श्री यादव ने कहा कि जैसे ही चुनाव समाप्त हुए खाद्य सामग्री लोगों की पहुंच से बाहर होने लगी है। अरहर की दाल 30 रूपये महंगी हो गई। बेसन, चीनी, रसोई गैस के भी दाम बढ़ गये। किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल रही है जबकि खाद, बीज, कीटनाशक आदि के दाम बढ़ रहे हैं। अब लोग क्या करें? कैसे अपनी जिंदगी चलायें….? एमएसपी का बहाना क्यों-अखिलेश


  अखिलेश यादव ने कहा कि किसान की तो बहुत ही दुर्दशा है। खेती-किसानी अब मुनाफे का धंधा नहीं रह गयी है। हमेशा वह घाटे में ही रहती है। भाजपा सरकार एमएसपी का बहाना क्यों करती है…? जबकि किसानों को उसकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कभी नहीं मिला है। गेहूं, धान के क्रय केन्द्रों पर किसान की फसल की खरीद में तमाम अड़चने लगाई जाती है। घटतौली, समय से भुगतान न होने की शिकायतें आम हैं। क्रय केन्द्रों की अव्यवस्था के चलते निराश किसान अपनी फसल को बिचौलियों के हाथ औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाता है। भाजपा सरकार द्वारा इस बार लक्ष्य से भी कम गेहूं की खरीद की गई है।श्री यादव ने कहा कि यहीं नहीं, किसान को अनावृष्टि, ओले से क्षति भी झेलनी पड़ती है। खेत, खलिहानों में अग्निकांड की भी घटनाएं होती हैं। किसान की इस तबाही में राहत के नाम पर भाजपा सरकार सिर्फ फरेब करती है। किसान को समय से मुआवजा देने के बजाय वह सर्वे करने का नाटक करती है जबकि हालात से मजबूर किसान आत्महत्या कर रहा है।

क्रय केंद्रों की अव्यवस्था के चलते निराश किसान अपनी फसल को बिचौलियों के हाथ औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाता है। भाजपा सरकार द्वारा इस बार लक्ष्य से भी कम गेहूं की खरीद की गई है। किसान को अनावृष्टि, ओले से क्षति की मार भी झेलनी पड़ती है। खेत, खलिहानों में अग्निकांड की भी घटनाएं होती हैं। किसान की इस तबाही में राहत के नाम पर भाजपा सरकार सिर्फ फरेब करती है।


    भाजपा के छल-छद्म का हाल इससे बुरा क्या होगा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र के वादों का भी ख्याल नहीं किया। किसानों की आय 2022 तक दुगना करने के वायदे का क्या हुआ? सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। गन्ना किसानों के भुगतान का भी वादा भाजपा ने भुला दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि दरअसल भाजपा सरकार गरीबों, किसानों की हितैषी नहीं है। भाजपा सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। भाजपा सरकार की नीतियां पूंजीपतियों के स्वार्थ साधन के लिए बनती है। भाजपा सरकार ने तीन काले कृषि कानून बनाकर पूंजीपतियों के हित साधन का कार्य किया था जिसे किसान आंदोलन के चलते वापस लेना पड़ा। भाजपा सरकार का गरीबों, किसानों से कोई सरोकार नहीं है। गरीब और किसान ही अब भाजपा सरकार को उसकी सारी चालाकियों के बावजूद जमीन पर धूल चटाएगा।           एमएसपी का बहाना क्यों-अखिलेश