अनुसूचित जाति के साथ अन्याय क्यों और कब तक….?

110

बहुचर्चित 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाल जिसके तहत अभ्यर्थियों द्वारा तमाम धरना प्रदर्शन के साथ ही लाठियां खानी पड़ी। सरकार की अनुभवहीनता और अपारदर्शिता अभ्यर्थियों को झेलनी पड़ी। इसी क्रम में सरकार को अपनी गलती स्वीकार करते हुए दिनांक 24.12.2021 को बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 6000 अभ्यर्थियों की भर्ती राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर जो विसंगति के कारण अधूरी रह गयी कराने की बात कही गयी है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता कृष्ण कांत पाण्डेय ने बताया कि अनुसूचित जाति आरक्षण के आधार पर 14490 सीट पर चयन होना चाहिए था, अनारक्षित वर्ग का अन्तिम कटऑफ 67.11 मेरिट पर हुआ। जिसमें अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी 4742 को सामान्य वर्ग में ओवरलैपिंग होनी थी। सरकार ने 1606 का सामान्य में ओवर लैंपिग करायी। 3136 अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी ओवर लैप से वंचित रह गये।

अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षा विभाग ने सिर्फ छह हजार सीटों पर ही आरक्षण विसंगतियों को माना है। जबकि इस भर्ती में ओबीसी और एससी वर्ग की 19 हजार से अधिक सीटों पर आरक्षण में गड़बड़ी की गई है। अभ्यर्थियों ने सभी विसंगति वाली सीटों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की मांग की।69 हजार शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले को लेकर लखनऊ के डाली बाग स्थित शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के आवास के बाहर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान अभ्यर्थियों की पुलिस से नोक-झोक भी हुई। पुलिस ने कई अभ्यर्थियों को गिरफ्तार भी किया है।

प्रदेश प्रवक्ता ने आगे बताया कि 3136 अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी जो वंचित रह गये हैं उनके साथ न्याय कब होगा। जबकि अनुसूचित जनजाति की 1133 अभ्यर्थियों की सीटें खाली रह गयी थी। जिसे अनुसूचित जाति में तब्दील किया गया लेकिन उसका लाभ दिव्यांग अभ्यर्थियों को दिया गया। ऐसे हालात में अनुसूचित जाति के साथ अन्याय क्यों और कब तक…?