भाजपा के ओबीसी नेता ओबीसी आरक्षण पर क्यों चुप्पी साधे हैं..?

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भाजपा के ओबीसी नेता ओबीसी आरक्षण पर क्यों चुप्पी साधे हैं..?
भाजपा के ओबीसी नेता ओबीसी आरक्षण पर क्यों चुप्पी साधे हैं..?

दिल्ली पुलिस भर्ती में ओबीसी लगभग 22 प्रतिशत पदों की खुलेआम हकमारी। ओबीसी आरक्षण पर क्यों चुप्पी साधे हैं भाजपा के ओबीसी नेता?

लौटनराम निषाद
लौटनराम निषाद

लखनऊ। दिल्ली पुलिस में एसएससी के जरिए प्रकाशित विज्ञापन में ओबीसी को कुल 7547 पदों की भर्ती में 2037/38 पदों की जगह मात्र 429 पद ही आरक्षित कियागयाहै। उक्त विज्ञापन में 7547 दिल्ली पुलिस भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत कोटा की जगह मात्र 5.17 प्रतिशत ही कोटा दिया गया है।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटन राम निषाद ने दिल्ली पुलिस भर्ती में ओबीसी की खुलेआम हकमारी पर चिन्ता व्यक्त किया है।उन्होंने बताया दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन है। केन्द्रीय आरक्षण नियमावली के तहत ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत, ओबीसी को 27 प्रतिशत, एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण कोटा दिया गया और 40.5 अनारक्षित कोटा है, जिसमें कट ऑफ के आधार पर आरक्षित वर्ग का भी अभ्यर्थी समायोजित हो सकता है। 7547 पदों में एससी को 1301,एसटी को 452 ईडब्ल्यूएस को 810 और ओबीसी को मात्र 429 सीटें आरक्षित की गयी हैं।उन्होंने कहा कि ओबीसी के संवैधानिक अधिकारों पर खुलेआम डकैती की जा रही है और भाजपा के ओबीसी नेता निज स्वार्थ में चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ओबीसी के 121,एससी के 87 और एसटी के 44 लोकसभा में सांसद हैं, जो ओबीसी, एससी, एसटी के अधिकारों की हकमारी पर शांत बैठे हुए हैं। कहा कि ओबीसी के सांसद, विधायक तो अपने ज़मीर को दफन कर दिए हैं।

भाजपा के ओबीसी नेता ओबीसी आरक्षण पर क्यों चुप्पी साधे हैं..?


निषाद ने बताया कि आरएसएस के इशारे पर ओबीसी से एससी, एसटी को अलग करने के लिए बड़ी चतुराई से षड्यंत्र कर रही है। एसएससी द्वारा दिल्ली पुलिस भर्ती में एससी, एसटी को कोटा से अधिक सीटें तो दी गई है, लेकिन दूसरी तरफ ओबीसी को 2037/38 पदों की बजाय मात्र 429 यानि 5.17 कोटा देकर 21.83 प्रतिशत पदों की खुलेआम हकमारी की गयी है। उन्होंने बताया कि 5056 दिल्ली पुलिस (पुरूष) पदों की भर्ती में 2047/48 पदों की बजाय 3053 यानि 1006 अतिरिक्त पद अनारक्षित रखा गया है।ईडब्ल्यूएस को 506 की 542 यानी 36 अधिक पद आरक्षित किया गया है, एससी को 758 के स्थान पर 114 अतिरिक्त पदों के साथ 872 और एसटी को 77 कम यानि 379 की जगह 302 और ओबीसी को 1365 पदों की मात्र 287 पद आरक्षित कर 1078 पदों की खुली हकमारी की गयी है।ईडब्ल्यूएस को आरक्षण 10% और पद 810 और ओबीसी का आरक्षण 27% और पद 429 ही दिया गया है।


निषाद ने आगे बताया कि दिल्ली पुलिस (महिला)के 2491 पदों के विज्ञापन में अनारक्षित 992-3 की जगह 1502 पद अनारक्षित कर 510-11 अधिक पद अनारक्षित रखा गया है। ईडब्ल्यूएस को 33 अधिक कोटा देते हुये 245 की जगह 268 पद आरक्षित किया गया है।एससी को 62 अधिक पद आरक्षित करते हुए 367 की जगह 429 पद आरक्षित किया गया है। एसटी 183-84 पदों के कोटा की जगह 150 पद आरक्षित कर 33-34 पद की हकमारी की गयी है। उन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर से दिल्ली पुलिस भर्ती में ओबीसी आरक्षण कोटे की हकमारी का संज्ञान लेने और कोटा के अनुसार संशोधित विज्ञापन प्रकाशित कराने का आग्रह किया है।उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान, नित्यानंद राय, रामकृपाल यादव,हुकुम देव नारायण यादव, लक्ष्मीनारायण यादव, भूपेन्द्र यादव, अन्नपूर्णा देवी यादव,डॉ.सुधा यादव,निरंजन ज्योति,मुकेश राजपूत, प्रहलाद पटेल, अनुप्रिया पटेल, राजवीर सिंह,अशोक यादव आदि निज स्वार्थ में ओबीसी की हकमारी पर चुप्पी साधे हैं। भाजपा के ओबीसी नेता ओबीसी आरक्षण पर क्यों चुप्पी साधे हैं..?