जब राहुल गांधी के बराबर अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक हैसियत है तो फिर केजरीवाल को जेड प्लस की सुरक्षा पर एतराज क्यों…?

पंजाब सरकार ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देने की घोषणा की है। पंजाब सरकार के इस फैसले पर भाजपा, कांग्रेस, अकाली दल आदि एतराज कर रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को जेड प्लस से भी ज्यादा की सुरक्षा मिल रही है, तब केजरीवाल की सुरक्षा पर एतराज क्यों किया जा रहा है। राजनीति में जो हैसियत राहुल गांधी की है, वहीं केजरीवाल की भी है। राहुल की कांग्रेस पार्टी की दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार है, इसी प्रकार केजरीवाल की आम पार्टी की सरकार पंजाब और दिल्ली में है। जहां तक सांसदों की और अन्य राज्यों में विधायकों की संख्या का सवाल है तो केजरीवाल की पार्टी 10 वर्ष पुरानी है, जबकि कांग्रेस पार्टी 100 वर्ष की है। केजरीवाल ने पंजाब में कांग्रेस से ही सत्ता छीनी है तथा हिन्दी भाषी राज्यों में आम आदमी पार्टी तेजी से कांग्रेस का विकल्प बन रही है। गुजरात और हिमाचल में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन दोनों ही राज्यों में केजरीवाली की पार्टी कांग्रेस के मुकाबले में आकर खड़ी हो गई है।

भाजपा को भी अब इन दोनों राज्यों में कांग्रेस से ज्यादा आप से खतरा नजर आ रहा है। सब जानते हैं कि गांधी परिवार के तीनों प्रमुख सदस्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को पूर्व में प्रधानमंत्री को मिलने वाली एसपीजी की सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन अब एसपीजी के समकक्ष वाली केंद्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा मिली हुई है। गांधी परिवार की सुरक्षा में वही पुलिस अधिकारी और जवान नियुक्त है जो पहले एसपीजी में अनुभव ले चुके हैं। यानी राजनीति में केजरीवाल के बराबर हैसियत रखने वाले राहुल गांधी केंद्रीय सुरक्षा बलों की मजबूत सुरक्षा मिली हुई है। जबकि केजरीवाल ने तो अपनी पार्टी के शासन वाले पंजाब से जेड प्लस की सुरक्षा ली है। जब राहुल गांधी एसपीजी के समकक्ष वाली सुरक्षा ले सकते हैं तो फिर केजरीवाल क्यों नहीं ले सकते? जहां तक भाजपा के एतराज का सवाल है तो दिल्ली में आम आदी पार्टी की मजबूत स्थिति भाजपा को सहन नहीं हो रही है। केजरीवाल के पुराने आदर्शवादी बयानों का हवाला देकर जेड प्लस सुरक्षा का विरोध किया जारहा है। लेकिन भाजपा को भी यह समझना चाहिए कि राजनीति में रह कर आदर्श और सिद्धांतों की बात करना बेमानी है।