अशोक गहलोत के साथ राजस्थान भी क्वारंटीन क्यों

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  • आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने साथ राजस्थान के लोगों को भी क्वारंटीन क्यों कर रखा है?
  • बाजारों को सायं चार बजे बंद करवाने का तुक दुकानदारों के समझ में नहीं आ रहा है। प्रदेश में लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है।

एस0पी0 मित्तल

सब जानते हैं कि कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान को देखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं को क्वारंटीन कर लिया है। गहलोत ने घोषणा की है कि अब वे 15 अगस्त से पहले मुख्यमंत्री आवास पर किसी भी व्यक्ति से नहीं मिलेंगे और न ही बाहर निकलेंगे। यानी वे कोविड-19 के क्वारंटीन नियमों का सख्ती से पालन करेंगे। गहलोत अप्रैल माह में कोरोना संक्रमित हुए थे, लेकिन अब जून माह से स्वयं को 15 अगस्त तक के लिए क्वारंटीन कर रहे हैं, यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है, लेकिन सवाल उठता है कि प्रदेश की जनता को क्वारंटीन रहने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है?

यह सवाल इसलिए उठा है कि अभी भी प्रदेशभर को सायं चार बजे लॉकडाउन किया जा रहा है तथा रविवार को चौबीस घंटे बंद रखा जा रहा है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि पड़ोसी राज्य अब रात 8 बजे तक खुल रहे हैं। इन राज्यों में आर्थिक और रोजगार की स्थिति पुन: बहाल हो रही है। चिकित्सा विभाग के भी आंकड़े बताते हैं कि 24 जून को जिन 44 हजार 194 लोगों के सैम्पल लिए गए उनमें से मात्र 147 लोग ही संक्रमित पाए गए हैं।

प्रदेश के 8 जिले तो ऐसे हैं, जहां एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं मिला है। 24 जून को प्रदेशभर में कोरोना से एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई। यानी अब ऐसा कोई कारण नहीं है, जिसकी वजह से प्रदेशभर में सायं चार बजे लॉकडाउन करवाया जाए। यह माना कि तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है, लेकिन यह खतरा अकेले राजस्थान में ही नहीं है। तीसरी लहर आएगी तो पड़ोसी राज्यों पर भी असर पड़ेगा।

रात 8 बजे तक बाजार खोलकर पड़ोसी राज्य तीसरी लहर से मुकाबला करने की तैयारी भी कर रहे हैं। क्या 4 बजे लॉकडाउन करवा कर सीएम गहलोत राजस्थान को तीसरी लहर से बचा लेंगे? सीएम गहलोत और उनके सलाहकार माने या नहीं, लेकिन चार बजे बाजार बंद होने से आम दुकानदार बेहद दुखी और परेशान है। जिन व्यापारियों और स्ट्रीट वेंडरों का कारोबार शाम को ही होता है उनके लिए तो अभी भी सपंूर्ण लॉकडाउन ही है। शाम चार बजे बाजारों को बंद करवाने का तुक किसी भी व्यापारी के समझ में नहीं आ रहा है।

दुकान एक घंटा खुले या 10 घंटे खर्च तो बराबर ही होगा। चार बजे तक बाजार खुलने से व्यापारियों को खर्च तो दिनभर जितना ही करना पड़ रहा है, लेकिन सायं चार बजे बाद माल की बिक्री नहीं हो रही है। व्यापारी तीन बजे से दुकान को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है। साढ़े तीन बजे भी कोई ग्राहक आता है तो माल देने में असमर्थता बताई जाती है, क्योंकि अधिकांश बाजारों में चार बजे पुलिस वाले डंडा लेकर आ जाते हैं। सरकार को लाखों रुपए का टैक्स चुकाने वाला व्यापारी किसी पुलिस वाले से मां बहन की गालियां सुनना पसंद नहीं करता है।

व्यापारी वर्ग ही जानता है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की आड़ में पुलिस ने कितना परेशान किया है। हो सकता है कि कुछ सज्जन पुलिस वालों ने परेशान न किया हो, लेकिन अधिकांश दुनकदारों ने पुलिस को भुगता है। क्वारंटीन रह कर सीएम गहलोत रोजाना डिजीटल तकनीक से अपने मंत्रियों और अधिकारियों से संवाद करते हैं, लेकिन आम लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है। पता नहीं असंतुष्ट नेता सचिन पायलट अपनी सरकार की सांसें कब तक फुला कर रखेंगे। पायलट राहत देंगे तो सभी दुकानदारों को भी राहत मिलेगी। फिलहाल दो तीन दिन से पायलट गुट के विधायक शांत हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि 28 जून सोमवार से दुकानें रात 8 बजे तक खुलने लगें।