पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में फूल और प्रसाद चढ़ाने पर रोक क्यों..?

201

जब अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में पवित्र मजार पर चादर, फूल आदि पेश हो रहे हैं तो फिर पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में फूल और प्रसाद चढ़ाने पर रोक क्यों हैं?पुष्कर मेले के शुरू होने के बाद भी सीवरेज का गंदा पानी सड़कों पर बहना, बेहद शर्मनाक बात है।56 भोग में 200-200 ग्राम मिठाई।

एस0 पी0 मित्तल

सब जानते हैं कि जगतपिता ब्रह्माजी का मंदिर और पुष्कर में पवित्र सरोवर तथा सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह होने की वजह से अजमेर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। दोनों ही धार्मिक स्थलों पर देश विदेश से लोग आते है। कोरोना काल में सरकार ने दोनों ही धार्मिक स्थलों पर समान रूप से पाबंदियां लगाई। लेकिन अब जब हालात सामान्य होने लगे तो ख्वाजा साहब की दरगाह में परंपरागत तरीके से पवित्र मजार पर फूल, चादर लच्छा, इत्र अगरबत्ती गुलाब जल आदि सामग्री पेश हो रही है। जायरीन अपनी अकीदत के अनुरूप जियारत कर रहा है।

दरगाह में धार्मिक रस्मों को निभाने वाले खादिम भी अपने मेहमानों को तबर्रुख के तौर सोहन हलवा व मखाने आदि दे रहे हैं। परंपरागत तरीके से जियारत होने के कारण ही देशभर से जायरीन बड़ी संख्या में अजमेर आ रहे हैं, लेकिन वहीं पुष्कर स्थित विश्व के एक मात्र ब्रह्मा मंदिर में अभी तक भी कोरोना काल की पाबंदियां लागू हैं। किसी भी श्रद्धालु को मंदिर में ब्रह्माजी की प्रतिमा के समक्ष फूल और प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं है। असल में ब्रह्मा मंदिर की सभी व्यवस्थाएं जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली प्रबंध कमेटी के पास है। ऐसे में सरकारी कारिंदे मंदिर परिसर में मंडराते रहते हैं। इन कारिंदों के निर्देश पर ही मंदिर परिसर में तैनात पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं को प्रसाद और फूल नहीं ले जाने देते। पुलिस कर्मियों और सरकारी कारिंदों का व्यवहार भी मानवीय दृष्टिकोण वाला नहीं होता है। सवाल उठता है कि जब एक ही स्थान पर दो धार्मिक स्थल हैं तो व्यवस्थाएं अलग अलग क्यों हैं?

पुलिस कर्मी तो दरगाह परिसर में भी तैनात होते हैं, लेकिन किसी भी जायरीन को फूल चादर आदि सामग्री ले जाने से नहीं रोका जाता। यह सही है कि जब हालात सामान्य हो गए हैं तो जियारत की सामग्री ले जाने से किसी को रोका भी नहीं जाना चाहिए। वैसे भी दरगाह में इन दिनों बहुत भीड़ है। ऐसे में जायरीन की चेकिंग संभव नहीं है। पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में फूल, प्रसाद आदि नहीं चढ़ाने देने के विरोध में अब तीर्थ पुरोहित भी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि जिस प्रकार ख्वाजा साहब की दरगाह में जायरीन को चादर फूल आदि पेश करने की छूट है, उसी प्रकार पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में भी श्रद्धालुओं को छूट दी जाए। ब्रह्मा मंदिर के नीचे और आसपास सैकड़ों लोग फूल और प्रसाद बेचने के काम से जुड़े हैं। पिछले दो वर्ष से ऐसे लोग बेरोजगार हैं। यह श्रद्धालुओं का ही नहीं बल्कि रोजगार से भी जुड़ा मामला है।


200-200 ग्राम की मिठाई का भोग

हाल ही में ब्रह्मा मंदिर में 56 भोग की झांकी सजाई गई। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि सरकारी कारिंदों ने 200-200 ग्राम मिठाई का ही भोग लगाया। ब्रह्मा मंदिर में लगी दान पेटियों से प्रबंध कमेटी करोड़ों रुपया प्राप्त कर रही है, लेकिन भगवान के भोग के लिए सिर्फ 200 ग्राम मिठाई ही रखी जा रही है। समझ में नहीं आता कि ऐसे सरकारी कारिंदे अपने घर पर स्वादिष्ट भोजन कैसे कर रहे हैं। इससे तो अच्छा होता कि किसी श्रद्धालु को 56 भोग का काम दे दिया जाता। श्रद्धालु कम से कम दो दो किलो मिठाई का भोग तो लगाता। 200-200 ग्राम की मिठाई रख कर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस मामले में प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष और जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए।


सीवरेज का पानी सड़कों पर

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेला शुरू हो चुका है, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि मेले के दौरान भी पुष्कर शहर में सीवरेज का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। इन दिनों श्रद्धालु पुष्कर की परिक्रमा भी कर रहे हैं, लेकिन परिक्रमा मार्ग पर भी सीवरेज का पानी बह रहा है। इससे श्रद्धालुओं को भारी असुविधा हो रही है। पुष्कर में सीवरेज का पानी सड़कों पर बहने की आम शिकायत है, लेकिन प्रशासन मेले के दौरान भी सीवरेज के पानी को बहने से नहीं रोक पा रहा है। इससे मेले के अन्य इंतजामों का अंदाजा लगाया जा सकता है।