आखिर कांग्रेस के विधायक ही क्यों बिकते हैं….?

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महाराष्ट्र में शिवसेना तो ढाई वर्ष पहले ही कमजोर हो गई थी।भाजपा पर अब झारखंड की सरकार गिराने का आरोप लगा। आखिर कांग्रेस के विधायक ही क्यों बिकते हैं….?

एस0 पी0 मित्तल

झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार चल रही है। सोरेन सरकार को कांग्रेस का भी समर्थन है। लेकिन अब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित असम के मुख्यमंत्री हेमंत झारखंड की सरकार गिराने का प्रयास कर रहे हैं। इसको लेकर पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई है। कांग्रेस ने यह आरोप तब लगाया है, जब झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल को 50 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी किसी भाजपा शासित प्रदेश में नहीं, बल्कि ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में हुई। अभी ये तीनों विधायक हावड़ा पुलिस के कब्जे में है।

कांग्रेस का आरोप है कि हमारे विधायकों को 10-10 करोड़ का लालच दिया जा रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो हर सार्वजनिक सभा में आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस विधायकों को खरीद कर निर्वाचित सरकारों को गिराया जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर देशभर में कांग्रेस के विधायक ही क्यों बिकते हैं? क्या कांग्रेस के विधायक इतने कमजोर हैं कि उन्हें कोई भी खरीद सकता है? कांग्रेस को इस बात पर भी मंथन करना चाहिए कि आखिर कांग्रेस के विधायक ही राजनीति की मंडी में सबसे ज्यादा क्यों बिकते हैं?

आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। जहां तक राजनीति में विधायकों की खरीद फरोख्त का सवाल है तो मौजूदा समय में कांग्रेस शासित राजस्थान सबसे उपयुक्त उदाहरण है। सीएम अशोक गहलोत ने बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर एक मिसाल कायम की। राजस्थान देश का एकमात्र प्रदेश होगा, जहां सभी 13 निर्दलीय विधायक कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। सीएम गहलोत का कहना है कि इन विधायकों को मैंने खरीदा नहीं है बल्कि प्रदेश के विकास के लिए ये विधायक मुझे समर्थन दे तो वह विकास का मुद्दा होता है, लेकिन वहीं जब कांग्रेस के विधायक किसी दूसरी पार्टी को जब समर्थन देते हैं तो उन्हें तुरंत बिकाऊ करार दे दिया जाता है।

ढाई वर्ष पहले ही कमजोर:

शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शिवसेना को कमजोर करने के लिए की है। लेकिन मैं शिवसेना और उसके प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए खड़ा रहंूंगा। राउत का कथन कितना सही है यह तो वे ही जाने, लेकिन शिवसेना तो तभी कमजोर हो गई थी, जब ढाई वर्ष पहले शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई। यदि ऐसा नहीं होता तो शिवसेना के 55 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई शिवसेना नहीं बनाते। असल में कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने के बाद से ही शिवसेना के विधायक बेचैन थे। संयज राउत जैसे नेताओं ने उद्धव ठाकरे को विधायकों की बेचैनी समझने का मौका नहीं दिया। यही वजह रही कि शिवसेना अब मात्र 15 विधायकों की पार्टी बन कर रह गई है। संजय राउत जैसे नेता अभी चिपके रहते हैं तो शिवसेना और कमजोर होगी। संजय राउत को किसी जन आंदोलन में गिरफ्तार नहीं किया है, बल्कि मुंबई में एक हजार करोड़ रुपए के मात्रा चॉल जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उद्धव सरकार में एनसीपी के कोटे से मंत्री रहे अनिल देशमुख और नवाब मलिक भी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं।