आखिर क्यों गन्ना किसानों की दुर्दशा

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धांधली से चुनाव जीतती है भाजपा-अखिलेश
धांधली से चुनाव जीतती है भाजपा-अखिलेश

आखिर क्यों गन्ना किसानों की दुर्दशा

उत्तर प्रदेश में किसान बदहाली में जीने को मजबूर है। भाजपा सरकार को किसानों की दिक्कतों, परेशानियों की कोई चिंता नहीं है। किसानों के साथ किए गए भाजपा के सभी वादे झूठे निकले हैं। किसान हित की बातें सिर्फ सरकारी विज्ञापनों में छपी दिखती है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि अब तो मुख्यमंत्री जी भी किसानों के बारे में कुछ नहीं बोलते है। किसान मंहगाई और कर्ज के बोझ से दबकर आत्महत्या करने को मजबूर है।


भाजपा सरकार के तमाम दावों के बावजूद धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दरों पर नहीं हुई है। किसान को अपनी फसल को औने-पौने दाम पर बिचैलियों के हाथों बेचना पड़ा है। प्रदेश में धान की क्रय अवधि 05 माह होती है जिसमें पहले 48 घंटो के अन्तर्गत किसानों कोे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर पर भुगतान करने का निर्देश था, फिर इसे 90 दिन कर दिया गया लेकिन यह बात तो खुद आयुक्त खाद्य रसद विभाग भी मान रहा है कि सभी किसानों को एमएसपी पर भुगतान नहीं किया जा सका है। भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि आखिर किसानों को धान का एमएसपी दरों पर निर्धारित अवधि में भुगतान क्यों नहीं किया गया….?

अखिलेश यादव को सहायक सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों ने ज्ञापन सौंपकर परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करने और शीघ्र नियुक्ति पत्र दिए जाने की मांग पर समर्थन मांगा।ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सहायक सांख्यिकी अधिकारी एवं सहायक शोध अधिकारी के पदों पर परीक्षा का विज्ञापन सितम्बर 2019 में हुआ था जिसके ढाई वर्ष बाद 22 मई 2022 को परीक्षा कराई गई। इसके बाद से परीक्षा परिणाम के लिए अभ्यर्थी लगातार आयोग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रवीण मौर्य, धीरेन्द्र कुमार सिंह, अय्यूब हसन, सरबजीत, संतोष कुमार, राजकुमार यादव, अमित मिश्र, अतुल कुमार, कौशल यादव आदि ने मांग की है कि मिशन रोजगार के तहत उन्हें जल्दी ही नियुक्ति पत्र प्रदान किए जाए।

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गन्ना किसानों की दुर्दशा तो भाजपा राज में सबसे ज्यादा है। गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए तीन महीना हो चुका है। वर्ष 2022-23 का गन्ना मूल्य अभी तक घोषित नहीं किया गया है। प्रदेश में चल रही 120 चीनी मिलों से जुड़े 60 लाख से ज्यादा किसानों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। भाजपा सरकार हर काम चुनाव के लाभ हानि की नज़र से करती है। गन्ना किसानों को भी भाजपाई राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। गन्ना किसान को उत्पादन और परिश्रम लागत जोड़कर भुगतान किया जाना चाहिए। भाजपा सरकार गन्ना का समर्थन मूल्य जल्द घोषित क्यों नहीं कर रही है…?


प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था। सन् 2022 बीत गया पर भाजपा नेतृत्व को अपने वादे की याद नहीं आई। मंहगाई के कारण किसान की फसल की उत्पादन लागत बहुत बढ़ती जा रही है। सरकारी मदद समय से न मिलने से किसान पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या तक कर ली है। भाजपा सरकार किसानों के प्रति घोर संवेदनहीन बनी हुई है। भाजपा जबसे सत्ता में आई है, पूंजीघरानों के हितों को ही संरक्षण दे रही है। गरीबों-किसानों के प्रति भाजपा की हमदर्दी केवल दिखावटी और जुमलों तक सीमित है। भाजपा की गलत नीतियों से किसान आक्रोशित है। वह सन् 2024 के चुनाव में भाजपा को करारा जवाब देगा।

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