क्या हिंदू-मुस्लिम पर होगा 2024 का चुनाव..?

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क्या हिंदू-मुस्लिम पर होगा 2024 का चुनाव
क्या हिंदू-मुस्लिम पर होगा 2024 का चुनाव


क्या धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बूते हिंदू मुस्लिम कराकर लड़ना चाहती हैं बीजेपी लोकसभा 2024 का चुनाव।2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए योजनाबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ रही है। क्या हिंदू-मुस्लिम पर होगा 2024 का चुनाव..?

विनोद जनवादी

भारतीय संविधान को मानने वाला व्यक्ति हूं देश की स्वतंत्रता में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूत हीं हमारे सच्चे मार्गदर्शक एंव प्रेरणास्रोत हैं। खैर मैं धार्मिक आदमी नहीं हूं। मंदिरों में मेरी कोई आस्था भी नहीं है। न ही आचार्य कुणाल किशोर के किसी ऐतिहासिक शोध में। मगर महावीर मंदिर के चढ़ावे को लेकर जो उन्होंने अस्पताल खोले हैं और दूसरे जनोपयोगी काम किए हैं। उस मॉडल का मैं मुरीद हूं। दलित पुजारियों को बिहार के मंदिरों में नियुक्त करने का उनका अभियान भी मुझे ठीक लगा। मैं मानता हूं कि वे एक ऐसे व्यक्ति हैं। जिनमें हिंदुओं की धार्मिक आस्था को सकारात्मक दिशा देने की बुद्धि और क्षमता है।मगर पिछले कुछ दिनों से उनकी दिशा बदल रही है। उनका फोकस बदल रहा है। वे फिर से धर्म की उसी परंपरागत दिशा की तरफ मुड़ते नजर आ रहे हैं जो धर्म को अधम बनाती है।

राम मंदिर को लेकर उन्होंने खूब ताकत लगाई फिर महावीर मंदिर का बड़ा संसाधन उन्होंने वहां झोंक दिया। शायद उन्हें धर्म की मौजूदा राजनीति में प्रासंगिक बने रहने की इच्छा जागी है। वे इस राजनीति से कुछ चाहते भी होंगे।मगर जहां तक इस नौसिखुआ लड़के का सवाल है, इस तस्वीर में जिसके पास जाने को वे आतुर नजर आते हैं और सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक रखा है वह तो इनकी उपलब्धियों के आगे शून्य है। धीरेंद्र शास्त्री की क्या उपलब्धियां हैं…? वह एक ऐसा कथा वाचक है जो हिंदुओं की धर्मांध भीड़ को अंधविश्वास की दलदल में धकेले जा रहा है। अपने जीवन की विषमताओं और अधिक से अधिक हासिल करने की लालसा में फंसे लोग उसके करतब पर भरोसा करते हैं। उन्हें लगता है कि यह व्यक्ति उन्हें उनके कष्टों से छुटकारा दिला सकता है।सच तो यह है कि लोगों को उनके कष्टों से छुटकारा दिलाने की किसी में क्षमता है तो वह खुद आचार्य किशोर कुणाल में हैं। उनके द्वारा स्थापित कैंसर अस्पताल और दूसरे कई अस्पताल रोज लोगों को उनके कष्टों से उबारते हैं। मगर इस तस्वीर में यह साफ नजर आ रहा है कि कुणाल जी का आत्मविश्वास इस फरेबी जादू टोना वाले के आगे नतमस्तक है।


इंसान जब खुद के कार्यों पर भरोसा करना छोड़ दे तो ऐसा ही होता है। हिंदुओं की बड़ी आबादी धर्मांध और अंधविश्वास से भरी है, इस बात का अहसास इन दिनों बखूबी हो रहा है। इस दीवानी भीड़ को कुणाल जैसे लोग सही दिशा दे सकते थे। मगर इन दिनों उनकी दिशा खुद भटकी हुई है। लिहाजा यह सब हमलोग देख रहे हैं। हर फरेबी हातिमताई का एक वक्त होता है आज इनका है कल किसी और का होगा। सत्ता और ज़िंदगी किसी की बपौती नही रही। ग्रामीण जनता को मानसिक कट्टर बनाने वाला 26 वर्षीय मुच्छमुंडा बाबा हो गया…? पार्टी विशेष के माननीय, मंत्री और अधिकारियों की पलटन उसके पहरेदार हुए…! छतरपुर में पांच साल पहले आंशिक लोग जिसको कभी पहचाने होंगे वो आज राजनीति नियंत्रण करने की तरफ अग्रसर है। अंधविश्वास लच्छेदार बातें जिसने सीख ली वो राजनीति और धर्म की ठेकेदारी का भामाशाह है इस तथाकथित लोकतंत्र में। अब तक इस देश मे कुछ हुआ कहाँ सबकी पीढ़ी 2014 के बाद आजाद हो गई है उससे पहले गुलाम थी।

क्या हिंदू-मुस्लिम पर होगा 2024 का चुनाव..?

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है। एक तरफ जमीन पर सोशल इंजीनियरिंग के जरिए समीकरण साधने के प्रयास हैं तो दूसरी तरफ कई ऐसे मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं जिससे वोटरों को ध्रुवीकरण किया जा सके। इन्हीं मुद्दों में अब सनातन, इस्लाम और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे भी जुड़ गए हैं। क्या 2024 का लोकसभा चुनाव विकास से ज्यादा धर्म के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।।? क्या इस चुनाव में यूनिफॉर्म सिविल कोड एक निर्णायक मुद्दा बन जाएगा…? ये सवाल इसलिए क्योंकि संघ और जमीयत ने अपनी बयानबाजी से अलग तरह की सियासी बिसात बिछाने का काम कर दिया है।

कम्प्यूटर और सूचना टेक्नोलॉजी बंदर लेकर आये थे देश मे। 2014 में टू जी,थ्री जी,4 जी की सारी फ़ाइल कबाड़ हो गई, सात साल में एक भगोड़ा देश वापस नही लौटा और एक सेठ को देश के प्राकृतिक संसाधनों की खेप सौंपकर गुजरात मॉडल की दुहाई। वो गुजरात जिसके महाराष्ट्र से लगे नंदुरबार ज़िले के 40 से ऊपर गांव आदिवासियों की मुफलिसी को अर्धनग्न किये बैठे हैं। जिन्हें सूरत की फैक्टरी में लेबर दलाल 410 रुपया दिहाड़ी परफ्यूम उद्योग, पैरासिटामोल कंपनी,जरी साड़ी उद्योग में सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे ड्यूटी के बाद देते हैं। वे गांव जो आज गुजरात की दत्तक पत्रकारिता की अखबारी दुनिया और टीवी के मायावी न्यूज़ से गायब है।

ताप्ती नदी गटर बना दी गई देश की बांकी नदियों की तर्ज पर। एक तरफ जहां हिंदू राष्ट्र बनाने की बात एक तथाकथित बाबा करता हैं कि मैं हिंदू राष्ट्र बनाने का सपना लिए देश में अलख जगा रहा हूं । अपनी कथा के समय शोषित वंचित पिछडे़ दलित तबके को आओ शूद्र तुम दू र से आशीर्वाद लेना अछूत आदमी हो जैसे वक्तव्य से दलित पिछडे़ लोगों को आपमानित करने का जो स्वांग बाबा अलाप रहें हैं कहीं न कही दलित पिछडे़ लोगों को अपने हक और अधिकार के लिए आखिर कब चिंतित होगें इसका चिंतन तो सिर्फ उन्हें ही करना हैं।

क्या धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बूते भाजपा लडेगें हिंदू बनाम मुस्लिम करके लडेगी चुनाव। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बुरी शिकस्त के बाद बैखलाई बीजेपी अब आने वाले विधानसभा चुनाव का धार्मिक धुर्वीकरण करने का प्रयास कर रहीं हैं । अपनी चुटिया को झटकने और दरबार में सबका कल्याण करने वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मध्यप्रदेश के छतरपुर से होकर बिहार में हिंदू का कार्ड खेलना शुरु कर दिया हैं । आगामी लोकसभा चुनाव 2024 धीरे-धीरे नजदीकियां बना रहा हैं इस लिए बीजेपी धर्म कार्ड को ही अपना मारक यंत्र समझ पा रहीं हैं । भलें अपने मंचों से बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री किसी राजनैतिक दल का समर्थन न करते हो लेकिन बोली आर एस एस की ही बोलते हैं । खैर सबसे ज्यादा सीटें यूपी में हैं और ओ समय दूर नहीं की बाबा की इंट्री यूपी में भी न हो ।

खैर बाबा हैं तो हिंदुत्व का पेटेंट बेच सकते हैं ऐसा इसलिए कि इन्हें न डिग्री की जरूरत हैं न डिप्लोमा की और न ही अपनी चल एंव अचल संपत्तियों का ब्योरा ही देना हैं न सरकार को कर देना हैं इस लिए इन सब तमाम झंझावात कार्यों से मुक्ति भी मानी जा सकती हैं मसलन बाबागीरी के लिए डिग्री डिप्लोमा की आवश्यकता तो होती नहीं हैं इसमें धंधा चोखा चलता हैं खैर जिसको बढिया बोलना आता हो और अपने शब्दों की मार्केटिंग शानदार कर लेता हो उससे बेहतरीन बिजनेस मैंन कोई हो नहीं सकता यहीं इस धंधे का मूलमंत्र भी हैं खैर जो लोग भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कर रहें हैं ओ संविधान की अस्मिता और आत्मा के साथ खिलवाड़ भी माना जा सकता हैं क्योंकि भारतीय संविधान किसी को भी इस बात की इजाजत नहीं देता कि वहीं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की बात को नकार दे। ऐसे लोग संविधान का आत्मा के साथ खिलवाड़ कर रहें हैं। क्या हिंदू-मुस्लिम पर होगा 2024 का चुनाव..?