अल जवाहिरी की मौत के बाद क्या आतंकवाद कम होगा…?

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अल जवाहिरी की मौत के बाद क्या आतंकवाद कम होगा?सवाल कट्टरपंथी विचारधारा का है।

अल जवाहिरी की मौत के बाद खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा का प्रमुख सैफ अल अदल को बना दिया गया है। अदल भी अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है। अदल पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम है। 1998 में हुए अमेरिकी दूतावास के हमलों में अदल शामिल है। यानी अब सैफ अल अदल के नेतृत्व में आतंकी गतिविधियां जारी रहेंगी। 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के अल जवाहिरी को अलकायदा का चीफ बनाया गया था। जवाहिरी पर 25 मिलियन डॉलर का इनाम था। कहा जा सकता है कि आतंकी संगठनों के प्रमुख बनने का सिलसिला जारी रहेगा। इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या जवाहिरी की मौत के बाद आतंकवाद कम हो जाएगा? यह सवाल अमरीका के लिए ही नहीं बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है।

भारत की खुफिया एजेंसी भी मानती है कि यहां के अनेक कट्टरपंथियों के तार अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़े हैं, इनमें अलकायदा जैसा संगठन भी शामिल हे। भारत में पिछले दिनों गर्दन काटने जैसी जो घटनाएं हुई उनके आरोपियों के संबंध भी आतंकी संगठनों से जुड़े पाए गए। असल में आतंकवादियों के भी अलग अलग संगठन हैं, जिनकी अपनी अपनी विचारधारा है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद महिला शिक्षा पर रोक लग गई है। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कैसे कैसे प्रतिबंध लगाए हैं यह किसी से छिपा नहीं है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के भारत में कश्मीर सहित अन्य प्रदेशों में कट्टरपंथी विचारधारा को बल मिला है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) अपना उदारवादी चेहरा लेकर भारत में सक्रिय हो गया है। पीएफआई के माध्यम से जगह जगह शांति मार्च निकाले जा रहे हैं।

गंभीर बात यह है कि ऐसे शांति मार्च में ही सिर तन से जुदा के नारे लग रहे हैं। देश में कभी हिजाब तो कभी एनआरसी को लेकर आंदोलन हो रहे हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि ऐसी विचारधारा से युवा वर्ग भी जुड़ रहा है। अपनी विचारधारा को थोपने के लिए कश्मीर में हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है। जबकि पूरी दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा भारत में सुरक्षित है। तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान में रह कर भी अल जवाहिरी सुरक्षित नहीं रहा, जबकि भारत में किसी को भी कोई खतरा नहीं है। सवाल उठता है कि अफगानिस्तान में जिन हालातों में महिलाओं को रहना पड़ रहा है, क्या उन हालातों में मुस्लिम महिलाएं भारत में रह सकती है? भारत में रहने वाली मुस्लिम लड़कियां आज कॉन्वेंट स्कूल कॉलेज में पढ़ रही है। ओसामा बिन लादेन पर अल जवाहिरी की मौत से आतंकवाद कम नहीं होगा। आतंकवाद को समाप्त करने के लिए विचारधारा में बदलाव की जरूरत है। लेकिन मौजूदा माहौल में आतंकवाद कम होता नजर नहीं आ रहा है। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे आतंकवाद के शिकार अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, ईरान आदि देशों के आम नागरिक भी होते हैं।